Tuesday, March 29, 2022

मनोवैज्ञानिक परीक्षण के चरण (Steps of Psychological Test)

मनोवैज्ञानिक परीक्षण के चरण (Steps of Psychological Test/Experiment)

  1. समस्या (Problem)/उद्देश्य (Objective)
  2. परीक्षण परिचय (Introduction)
  3. परिकल्पना (Hypothesis)
  4. चर (Variable)- (a) स्वतंत्र चर (Indipendent variable) (b) आश्रित चर (Dependent Variable)
  5. सामग्री (Tools)
  6. प्रतिदर्श/प्रयोज्य परिचय (Sample)
  7. नियन्त्रण (Control)
  8. निर्देश (Instructions)
  9. परीक्षण प्रक्रिया (Procedure)
  10. प्रदत्त संग्रह एवं परिणाम (Data Analysis/Result)
  11. व्याख्या एवं निष्कर्ष (Discussion and Conclusion)
  12. संदर्भ (Refernce)

Monday, March 28, 2022

संवेगात्मक बुद्धि (Emotional Intelligence)

 संवेगात्मक बुद्धि (Emotional Intelligence)


संवेगात्मक बुद्धि की सर्वप्रथम अवधारणा - जॉन मेयर एवं पीटर सेलोवी 1990 ई० में अमेरिका में दी थी। 
पुस्तक - What is E.I.
सफलता में योगदान - 80% Emotional Intelligence & 20% Intelligence Qoutient (IQ)
संवेगात्मक बुद्धि के प्रतिपादक - डैनियल गोलेमैन (1995 अमेरिका), पुस्तक- E.Q. - Why it better than I.Q.

मनोवैज्ञानिकों ने व्यक्ति की ज्ञानात्मक (Cognitive) बुद्धि के स्वरूप को जानने के लिए 19वीं शताब्दी के प्रारम्भ में ही प्रयास जारी कर दिये थे तथा इसके मापन हेतु विभिन्न परीक्षणों तथा बुद्धि-लब्धि की अवधारणा का प्रतिपादन किया। थार्नडाइक ने सामाजिक बुद्धि (Social Intelligence) को बुद्धि घटक (Component) के रूप में महत्त्वपूर्ण स्थान दिया। इसके बाद 1983 में हावर्ड गार्डनर ने अपने बहु-बुद्धि सिद्धान्त में अन्तर्वैयक्तिक तथा अन्तः वैयक्तिक बुद्धि (Interpersonal and Intra-personal Intelligence) का उल्लेख किया। बुद्धि के ये कारक, व्यक्ति को अपने तथा दूसरे के भावों को समझने एवं अन्य व्यक्तियों से उनकी संवेदनाओं को ध्यान में रखते हुए अन्तःक्रिया करने के लिए नियन्त्रित तथा निर्देशित करते हैं। धीरे-धीरे संवेगों से सम्बन्धित बुद्धि की अवधारणा ने संवेगात्मक बुद्धि के स्वतन्त्र अस्तित्व को जन्म दिया। अब तो स्थिति यहाँ तक आ पहुँची है कि व्यावहारिक जीवन की सफलता में बुद्धि की अपेक्षा संवेगात्मक बुद्धि को अधिक महत्वपूर्ण माना जाने लगा है। 19वीं
 सदी के 80 के दशक में पीटर सैलोवे तथा जान मेयर ने संवेगात्मक बुद्धि को परिभाषित किया। उनके अनुसार बुद्धि एक सीमा तक सामाजिक बुद्धि (Social Intelligence) का ही अनुवर्ग (Section) है जिसके द्वारा व्यक्ति अपनी तथा दूसरों की भावनाओं एवं संवेगों को जानने, समझने तथा परिस्थिति के अनुसार विचार करके व्यवहार को निर्देशित एवं संचालित करने में सक्षम होता है। सैलोवे के बाद 1995 में डेनियल गोलमैन ने इमोशनल इन्टेलिजेंस (Emotional Intelligence) नामक पुस्तक लिखकर मनोवैज्ञानिकों को संवेगात्मक बुद्धि के विषय में गम्भीरता से अध्ययन करने के प्रेरित किया।

संवेगात्मक बुद्धि का अर्थ (Meaning of Emotional Intelligence)

संवेगात्मक बुद्धि दो प्रत्ययों से मिलकर बना है संवेग और बुद्धि। संवेग का अर्थ है उद्वेलन की अवस्था (state of excitement) वं बुद्धि का अर्थ है विवेकपूर्ण चिन्तन की योग्यता (ability to think rationally)। इस प्रकार संवेगात्मक बुद्धि एक आन्तरिक योग्यता होती है जिसके द्वारा व्यक्ति में संवेगों को महसूस करने, समझने एवं उनका प्रभावपूर्ण नियन्त्रण करने की क्षमता का विकास होता है। दूसरे शब्दों में, संवेगात्मक बुद्धि (Emotinal Intelligence) स्वयं की एवं दूसरों की भावनाओं अथवा संवेगों को समझने, व्यक्त करने और नियंत्रित करने की योग्यता है। 

अपनी भावनाओं, संवेगों को समझना उनका उचित तरह से प्रबंधन करना ही भावनात्मक समझ है। व्यक्ति अपनी 'भावनात्मक समझ ' का उपयोग कर सामने वाले व्यक्ति से ज्यादा अच्छी तरह से संवाद कर सकता है और ज्यादा बेहतर परिणाम पा सकता है।

गोलमैन के अनुसार - संवेगात्मक बुद्धि व्यक्ति के स्वयं  एवं दूसरों के संवेगों को पहचानने की वह क्षमता है जो हमें अभिप्रेरित कर सकने और हमारे संवेगों को स्वयं में और अपने संबंधों में पाए जाने वाले संवेगों का  भली प्रकार से प्रबंधन  करते हैं। (Emotional intelligence is the ability to recognize one's self and the emotions of others that can motivate us and manage our emotions well within ourselves and in our relationships.- Goleman)

सैलोवे एवं मैयर के अनुसार - संवेगात्मक बुद्धि, संवेगों का प्रत्यक्षीकरण करने, उन्हें समझने, उसका प्रबन्धन करने एवं उन्हें प्रयोग में लाने की योग्यता है। (Emotional intelligence is the ability to perceive, understand, manage and use emotions.- Sailove & Mayer)

बार के अनुसार- संवेगात्मक बुद्धि व्यक्ति की वह अन्तःवैयक्तिक योग्यता है जिसके द्वारा वह अपनी शक्ति तथा कमजोरियों को जानने और स्वयं की भावनाओं और विचारों को बिना नुकसान पहुँचाये व्यक्त करने में स्वयं को सदैव जागरूक रखती है। (Emotional intelligence is that one's intrapersonal ability to be aware of oneself to understand one's strength and weakness and to express one's feelings and thoughts non-destructively- Bar)

बेरन के अनुसार- "संवेगात्मक बुद्धि व्यक्ति की सामर्थ्य, योग्यता और भावात्मक पक्ष की वह श्रृंखला है जो जीवन में अनुभव किए जाने वाली मांग एवं दवावों से संघर्ष करने की क्षमता को प्रभावित करती है।" (Emotional Intelligence is a series of competency, capability and effective domain which affect the ability to succeed in fighting with the demand and various pressure forms. - Baron)

संवेगात्मक बुद्धि-

  • स्वयं को समझना, स्वयं के उद्देश्य, अनुक्रियाओं, भावनाओं और व्यवहार आदि को समझना।
  • दूसरे व्यक्तियों की भावनाएँ तथा संवेगों को समझना।
  • स्वयं की तथा दूसरों की भावनाओं तथा संवेगों को समझकर उनका इस प्रकार व्यवस्थापन करना कि उनकी अभिव्यक्ति में स्वयं का कोई नुकसान न हो और दूसरों को भी प्रभावित करें।


Tuesday, March 22, 2022

व्यवहार का अर्थ (Meaning of Behaviour)

 व्यवहार का अर्थ (Meaning of Behaviour)

 


व्यवहार (Behaviour) का प्रचलन
जे. बी. वाटसन द्वारा किया गया। वाटसन के अनुसार व्यवहार एक क्रिया (Action) है जिसे वस्तुगत रूप से देखा और अवलोकित किया जा सकता है। सभी प्राणी व्यवहार करते हैं, अतः मनुष्यों के अतिरिक्त पशुओं के व्यवहार का भी अध्ययन मनोविज्ञान में किया जाता है। जेम्स ड्रेवर ने लिखा है कि मानव या पशुओं के जीवन में उपस्थित होने वाली परिस्थितियों के प्रति उनकी प्रतिक्रियाओं का समग्र रूप ही व्यवहार है।


साधारण अर्थ में व्यवहार किसी उत्तेजना के फलस्वरूप अनुक्रिया होती है। व्यवहारवादियों का मत है कि बाह्य व्यवहार स्वतंत्र उत्तेजक और प्रतिक्रिया सम्बन्धों (Response Connections) की जटिल प्रणाली पर आधारित है। इनके अनुसार मानसिक क्रिया केवल बाहय उत्तेजना की अनुक्रिया मात्र है। व्यवहारवादियों ने इस तथ्य को निम्नलिखित सूत्र के रूप में व्यक्त किया है-

उत्तेजक (Stimulus) → प्राणी(Organism) → अनुक्रिया (Response)

व्यवहार शब्द के व्यापक अर्थ तथा पूर्ण स्वरूप के संदर्भ में निम्न प्रकार से व्याख्या की जा सकती है-

  • वुडवर्थ (Woodworth, 1945) के अनुसार, "जीवन की कोई भी अभिव्यक्ति एक क्रिया है।" ("Any manifestation of life is activity.") और ऐसी सभी क्रियाओं के सम्मिलित रूप को व्यवहार की संज्ञा दी जा सकती है। इसलिए व्यवहार शब्द में केवल चलना, तैरना, नाचना आदि इन्द्रियजनित क्रियाएँ ही नहीं बल्कि सोचना, विचारना, कल्पना करना आदि मस्तिष्क सम्बन्धी और प्रसन्न होना, उदास होना, क्रोधित होना आदि भाव और अनुभूति सम्बन्धी क्रियाएँ भी शामिल हैं।

  • मानव मस्तिष्क का चेतन ही नहीं बल्कि अचेतन और अर्धचेतन रूप भी मानव व्यवहार को प्रभावित करता है। अतः व्यवहार शब्द का क्षेत्र, प्रत्यक्ष रूप में दिखाई देने वाले ऊपरी व्यवहार तक ही सीमित नहीं है। आंतरिक अनुभवों और मानसिक प्रक्रियाओं से युक्त अप्रत्यक्ष एवं आंतरिक व्यवहार भी इसमें शामिल हैं।
  • मनोविज्ञान में समस्त जीवधारियों के व्यवहार का अध्ययन किया जाता है। इसलिए व्यवहार शब्द में केवल मानव व्यवहार ही नहीं बल्कि पशु-पक्षियों तथा वनस्पति वर्ग तक के व्यवहार को शामिल किया जाता है। मानव समाज में भी केवल सामान्य व्यक्तियों का नहीं बल्कि असामान्य और बच्चों, युवकों तथा प्रौढ़ों, सभी का व्यवहार 'व्यवहार' शब्द में शामिल है।

इस प्रकार से 'व्यवहार' शब्द अपने आप में बहुत व्यापक है। इसमें जीवधारियों की सभी प्रकार की जीवन सम्बन्धी क्रियाएँ सम्मिलित हैं।




Friday, February 18, 2022

गॉस का गणित में योगदान (Contribution of Gauss in Mathematics)

 गॉस का गणित में योगदान (Contribution of Gauss in Mathematics)

पूरा नाम - जोहान कार्ल फ्रेडरिक गॉस  

स्थान - ब्रंसविक (ब्राउनश्वेग) में, डची ऑफ ब्रंसविक वोल्फेनबुटल (अब लोअर सैक्सनी , जर्मनी का हिस्सा )  

क्षेत्र - गणित व विज्ञान

अकादमिक सलाहकार - Johann Fedriech Pfaff, Johann Christian Martin Bartels

इनका जन्म गरीब, कामकाजी वर्ग के माता-पिता के लिए हुआ था। उनकी मां अनपढ़ थीं और उन्होंने कभी भी उनके जन्म की तारीख दर्ज नहीं की, केवल यह याद करते हुए कि उनका जन्म पर्व के आठ दिन पहले बुधवार को हुआ था (जो ईस्टर के 39 दिन बाद होता है)। गॉस ने बाद में ईस्टर की तारीख खोजने के संदर्भ में अपनी जन्मतिथि के बारे में इस पहेली को हल किया , पिछले और भविष्य दोनों वर्षों में तारीख की गणना करने के तरीकों को प्राप्त किया।  उनका नामकरण किया गया और पुष्टि की गई स्कूल के पास एक चर्च में उन्होंने एक बच्चे के रूप में भाग लिया। 

गॉस एक विलक्षण बालक थे। गॉस पर अपने स्मारक में, वोल्फगैंग सार्टोरियस वॉन वाल्टर्सहॉसन ने लिखा है कि जब गॉस मुश्किल से तीन साल का था, तो उसने अपने पिता द्वारा की गई गणित की त्रुटि को ठीक किया; और यह कि जब वह सात वर्ष का था, उसने अपने 100 विद्यार्थियों की कक्षा में किसी अन्य की तुलना में एक अंकगणितीय श्रृंखला की समस्या को तेजी से हल किया ।  इस कहानी के कई संस्करण हैं, श्रृंखला की प्रकृति के बारे में विभिन्न विवरणों के साथ – 1 से 100 तक सभी पूर्णांकों को एक साथ जोड़ने की शास्त्रीय समस्या सबसे आम समस्या है। 

योगदान (Contribution)-

  • उन्होंने Modular Arithmetic पर काफी कार्य किया। Modular Arithmetic कंप्यूटर की गणनाओं में प्रयुक्त द्विआधारी प्रणाली की स्थापना में अत्यंत उपयोगी सिद्ध हुई। इस गणित के बिना डिजीटल इलेक्ट्रोनिक्स व कंप्यूटर का कोई अस्तित्व न होता।
  • गौस ने सिद्ध किया कि कोई भी पूर्णांक अधिक से अधिक तीन त्रिभुजीय संख्याओं (Triangular Numbers) के रूप में लिखा जा सकता है. ज्ञात हो की n से 1 तक की प्राकृत संख्याओं का योग त्रिभुजीय संख्या कहलाता है. जैसे 1 से 5 तक का योग 15 एक त्रिभुजीय संख्या है.
  • बीजगणित की मूल प्रमेय 'किसी भी बहुपद का कम से कम एक मूल अवश्य होता है.' को उसने सिद्ध करने में सफलता प्राप्त की. यह कठिन प्रमेय है जिसे गणित का कोई छात्र ग्रेजुएशन के अंतिम वर्ष में पढता है. रैखिक समीकरणों को हल करने के लिए गौस ने सूत्र दिया जिसे Gauss Elimination Method नाम से जाना जाता है.
  • गौस ने उस समय खोजे गए बौने ग्रह सीरस का पथ ज्ञात किया. तत्पश्चात उसने खगोलीय पिंडों के रास्तों का अनुमान लगाने के लिए अनेकों गणितीय सूत्र ढूंढ निकाले, इसी बीच उसने नॉर्मल डिस्ट्रीब्यूशन (Normal Distribution) का कांसेप्ट दिया, जो आधुनिक सांख्यकी (Modern Statistics) का आधार है और विज्ञान के सभी क्षेत्रों में भविष्य आधारित गणनाओं में इसका इस्तेमाल होता है
  • गौस की मानसिक गणना शक्ति अत्यंत विलक्षण थी, अत्यंत मुश्किल गणना वाले सवालों के हल वह मौखिक रूप में प्रस्तुत कर देता था. गौस ने ही पहली बार अ-यूक्लिडीय ज्यामिति (Non-Euclidean Geometry) की संभावनाओं पर विचार किया. यूक्लिडीय ज्यामिति समतल सतहों की आकृतियों पर विचार करती है, जबकि अ-यूक्लिडीय ज्यामिति में रचनाओं की सतह वक्र होती है. जैसे की घडे पर बनी कोई आकृति.
  • गौस ने भौतिकविद वेबर के साथ कार्य करते हुए विद्युत तथा चुम्बक के क्षेत्र में अनेक महत्वपूर्ण कार्य किये, जिसमें विद्युत विभव का गणितीय मॉडल, Principle of Least Constraint इत्यादि शामिल हैं. पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के सम्बन्ध में गौस ने अनेक सूत्र खोजे तथा महत्वपूर्ण बात बताई की पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के केवल दो ध्रुव हैं, अर्थात पूरी पृथ्वी बहुत बड़े अकेले चुम्बक के रूप में है



Monday, October 25, 2021

केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (Central Board of Secondary Education, CBSE)

 केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड  (Central Board of Secondary Education, CBSE)

स्थापना - 1952
 कुल सम्बद्ध विद्यालय - 24000 (भारत) एवं 240 विद्यालय अन्य देशों में.


केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड केन्द्रीय सरकार के मानव संसाधन विकास मन्त्रालय/शिक्षा मंत्रालय की एक स्वायत्तशासी संस्था है। प्रारम्भ में हमारे देश में हाई स्कूल और इण्टर की परीक्षाएँ विश्वविद्यालयों द्वारा सम्पादित होती थी। कलकत्ता विश्वविद्यालय आयोग, 1917-19 ने विश्वविद्यालयों का कार्यभार कम करने और माध्यमिक शिक्षा का स्तर ऊँचा उठाने के लिए प्रत्येक प्रान्त में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (Board of Secondary Education) की स्थापना करने और उन्हें माध्यमिक स्कूलों को मान्यता देने, उनका निरीक्षण करने, उन पर नियन्त्रण रखने और उनके छात्रों की अन्तिम परीक्षा का सम्पादन करने का कार्यभार सौंपने का सुझाव दिया। इस सुझाव के आधार पर सर्वप्रथम 1921 में उत्तर प्रदेश में उत्तर प्रदेश हाई स्कूल एण्ड इण्टरमीडिएट शिक्षा बोर्ड (Uttar Pradesh Board of High School and Intermediate Education) की स्थापना हुई। उस समय इसके अधिकार क्षेत्र (Jurisdiction) में तत्कालीन राजपुताना, मध्य भारत और ग्वालियर आते थे। इसके बाद 1929 में तत्कालीन केन्द्रीय सरकार ने 'राजपुताना हाई स्कूल एवं इण्टरमीडिएट शिक्षा बोर्ड (Rajputana Board of High School and Intermediate Education) की स्थापना की और इसका कार्यालय अजमेर में स्थापित किया। उस समय इसके अधिकार क्षेत्र में तत्कालीन अजमेर, मेवाड़, मध्य भारत और ग्वालियर आते थे। स्वतन्त्र होने के बाद 1952 में इस बोर्ड में संगठनात्मक संशोधन किए गए और इसका नाम 'केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (Central Board of Secondary Education) रखा गया। 1962 में इस बोर्ड का पुनः पुनर्गठन किया गया और इसका कार्यालय दिल्ली में स्थानान्तरित कर दिया गया।

1962 में किए गए पुनर्गठन में सर्वप्रथम तत्कालीन 'दिल्ली माध्यमिक शिक्षा बोर्ड' का इसमें विलय किया गया।  1965 में केन्द्रीय सरकार ने इन्हें 'सेन्ट्रल स्कूल' (Central Schools) में परिवर्तित कर शिक्षा विभाग के अन्तर्गत ले लिया और इन्हें भी केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से सम्बद्ध कर दिया। राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1986 के अन्तर्गत देश के प्रत्येक जिले में जो नवोदय विद्यालय स्थापित किए जा रहे है, वे भी इस से संबद्ध हैं।



संगठनात्मक संरचना (Organizational Structure)-

बोर्ड की समितियां

  • वित्त समिति (Finance Committee)







  • पाठ्यचर्या समिति (Curriculum Committee)

































  • परीक्षा समिति (Examination Committee)
























  • परिणाम समिति (Results Committee)














  • संबद्धता समिति (Affiliation Committee)












  • पाठ्यक्रमों की समितियां (Committees of Courses)


  • प्रशिक्षण सलाहकार समिति (Training Advisory Committee)






















  • कौशल शिक्षा समिति (Skill Education Committee)








































  • आईटी समिति(IT Committee)


  • वित्त समिति (Finance Committee)

  • वित्त समिति बोर्ड के वित्त से संबंधित सभी मामलों में एक सलाहकार निकाय के रूप में कार्य करेगी। बोर्ड का वित्तीय विवरण और वार्षिक बजट अनुमान पहले वित्त समिति के समक्ष रखा जाएगा और फिर बोर्ड को इसकी सिफारिशों के साथ प्रस्तुत किया जाएगा।
  • समिति की संरचना-
  • 1. अध्यक्ष
  • 2. नियंत्रण प्राधिकारी का एक नॉमिनी 
  • 3. बोर्ड द्वारा चुने गए बोर्ड के दो सदस्य।
  • 4. बोर्ड के सचिव समिति के सचिव के रूप में कार्य करेंगे


  • पाठ्यचर्या समिति (Curriculum Committee)

  • 1. बोर्ड की प्रत्येक परीक्षा के लिए अनिवार्य और वैकल्पिक विषयों की कुल संख्या पर विचार करना।
  • 2. नए विषयों की शुरूआत और मौजूदा विषयों के बहिष्कार के प्रस्तावों पर विचार करना।
  • 3. विषयों के समूह के गठन और एक समूह के दूसरे के साथ परिवर्तन के प्रश्नों पर विचार करना।
  • 4. पाठ्यक्रम के अनुरूप पाठ्य-पुस्तकों को, जब आवश्यक समझा जाए, लिखने की सिफारिश करना।

  • समिति की संरचना-

  • The Chairperson
    Director (Academics), CBSE
    Additional Director (Sch.), Directorate of Education, NCT, Delhi
    Joint Commissioner, Kendriya Vidyalaya Sangathan, Delhi
    Deputy Commissioner, Navodaya Vidyalaya Samiti, Noida
  • -----


  • परीक्षा समिति (Examination Committee)

  • 1.  विनियमों के अनुरूप परीक्षाओं का आदेश देना और उन्हें आयोजित करने की तारीखें तय करना।
  • 2. परीक्षकों, पेपर-सेटर्स और मॉडरेटर के संबंध में पाठ्यक्रम समिति की सिफारिशों पर विचार करने के लिए और बोर्ड के अनुमोदन के लिए परीक्षकों, पेपर-सेटर्स और मॉडरेटर की सूची तैयार करना।
  • 3. परीक्षा में बैठने की अनुमति के लिए आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों द्वारा भरे जाने वाले आवेदनों के प्रपत्रों और सफल अभ्यर्थियों को दिए जाने वाले प्रमाण-पत्रों के प्रपत्रों की अनुशंसा करना।
  • 4. परीक्षा केंद्रों को खोलने और बंद करने का प्रस्ताव।

  • समिति की संरचना-
  • Chairman
    Joint Commissioner, Kendriya Vidyalaya Sangathan
    Director Education, Govt. of NCT of Delhi
    Principal, Sri Guru Tegh Bahadur Khalsa College
    Retired Professor, Tarang Apartments, I.P.Extension, 
    Add. Director of Education, Directorate of Education
    Principal, DPS Sahibabad
    Controller of Examinations, CBSE- Member Secretary



  • परिणाम समिति (Results Committee)

  • अंक प्रदान करने के लिए नियम तैयार करना,  परिणामों के प्रकाशन को निर्देशित करना,  परीक्षाओं में अनुचित साधनों के मामलों को निपटाना, परिणामों की समीक्षा करना और यदि आवश्यक हो तो उन्हें मॉडरेट करना।

  • समिति की संरचना-
  • Secretary, 
  • Controller of Examinations, 
  • Head of the Kendriya Vidyalaya Sangathan, 
  • Head of the Navodaya Vidyalaya Samiti, 
  • Director Education, Govt. of NCT of Delhi , 
  • Controller of Examinations as Convener.


  • संबद्धता समिति(Affiliation Committee)

  • संबद्धता के लिए आवेदनों की जांच करना, शिक्षकों और संस्थानों के प्रमुखों के लिए न्यूनतम योग्यता निर्धारित करने और बोर्ड से संबद्ध संस्थानों में शिक्षण की न्यूनतम अवधि का निर्धारण करना, संस्थानों के निरीक्षण के लिए निरीक्षकों का एक पैनल बनाना, अन्य मामलों में बोर्ड को सलाह देना   

  • समिति की संरचना-
  • Chairman, 
  • Four Educational Elected by the Board from amongst its members., 
  • One member nominated by the Controlling authority, 
  • The Secretary of the Board is Secretary of the Committee. 


  • पाठ्यक्रमों की समितियां (Committees of Courses)

  • अध्ययन के ऐसे अन्य विषयों के लिए पाठ्यक्रम समितियां गठित की जाती हैं जो समय-समय पर बोर्ड द्वारा निर्धारित की जा सकती हैं।
  • पाठ्यक्रम की प्रत्येक समिति उस विषय (विषयों) में एक पाठ्यक्रम निर्धारित करेगी जिससे वह संबंधित है और जब आवश्यक हो उपयुक्त पाठ्यपुस्तकों की सिफारिश करेगा।




  • प्रशिक्षण सलाहकार समिति (Training Advisory Committee)

  • प्रशिक्षण इकाई की सर्वोच्च नीति बनाना,  संसाधन सामग्री तैयार करने के साथ-साथ प्रधानाचार्यों के साथ सीबीएसई के संबद्ध स्कूलों के शिक्षकों के लिए प्रभावी प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना 

  • समिति की संरचना-
  • Chairperson, 
  • CBSE, Director, Skill Education & Training, CBSE Convener, 
  • Additional Secretary, UGC (Representative from UGC), 
  • Head, ESD, NCERT (Representative from NCERT), 
  • Research Officer, Academic Section, NCTE (Representative from NCTE), 
  • Associate Professor, NIEPA, Delhi (Representative from NIEPA), 
  • Additional Commissioner (Acad.), KVS (Representative from KVS), 
  • Assistant Commissioner (Training), NVS (Representative from NVS), 
  • Deputy Director, RCI (Representative from RCI). 



  • कौशल शिक्षा समिति (Skill Education Committee)

  • कौशल विषयों के पाठ्यक्रम और नए विषयों की शुरूआत तय करना, छात्रों और शिक्षकों के लिए संसाधन सामग्री के विकास को बढ़ावा देना, शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम का अनुमोदन करना, कौशल संवर्धन, उद्योग जुड़ाव, कौशल पाठ्यक्रमों के मूल्यांकन और प्रमाणन से संबंधित नीति का अनुमोदन और मार्गदर्शन करना।

  • समिति की संरचना-
  • Chairperson, CBSE
    Director, Skill Education & Training, CBSE Convener
    Commissioner, KVS, Delhi.
    Commissioner, NVS, Delhi.
    Director of Education, Govt. Of NCT of Delhi.


क्षेत्रीय कार्यालय  (Regional Office)

1.       AJMER -         Gujarat and Rajasthan

2.       ALLAHABAD (PRAYAGRAJ) - Districts of Uttar Pradesh - Ambedkar Nagar, Amethi, Auraiya, Ayodhya, Azamgarh, Bahraich, Ballia, Balrampur, Banda, Barabanki, Basti, Bhadohi, Chandauli, Chitrakoot, Deoria, Etawah, Farukkhabad, Fatehpur, Ghazipur, Gonda, Gorakhpur, Hamirpur, Hardoi, Jalaun, Jaunpur, Jhansi, Kannauj, Kanpur Dehat, Kanpur Nagar, Kaushambi, Kushi Nagar, Lakhimpur Kheri, Lalitpur, Lucknow, Maharajganj, Mahoba, Mau, Mirzapur, Pratapgarh, Prayagraj, Raebareli, Sant Kabir Nagar, Shravasti, Siddharth Nagar, Sitapur, Sonbhadra, Sultanpur, Unnao, Varanasi

3.       BHUBANESWAR- Chhattisgarh, Odisha and West Bengal

4.       CHENNAI  -   Andhra Pradesh, Tamil Nadu, Telangana, Puducherry and Andaman & Nicobar Islands

5.       DEHRADUN -    Uttarakhand and Districts of Uttar Pradesh - Badaun, Bijnor, JP Nagar / Amroha, Moradabad, Muzaffarnagar, Rampur, Saharanpur and Sambhal

6.       DELHI EAST -  East Delhi, South East Delhi, South Delhi, New Delhi, Central Delhi, North East Delhi and Foreign schools

7.       GUWAHATI  -  Assam, Arunachal Pradesh, Manipur, Meghalaya, Mizoram, Nagaland, Sikkim and Tripura

8.       PANCHKULA - Haryana and Himachal Pradesh

9.       PATNA -  Bihar and Jharkhand

10.   THIRUVANANTHAPURAM - Kerala and Lakshadweep

11.   BANGALORE – Karnataka

12.   BHOPAL - Madhya Pradesh

13.   CHANDIGARH - Jammu & Kashmir, Punjab, and U.T. of Chandigarh

14.   DELHI WEST - West Delhi (A & B), South West Delhi (A & B), North West Delhi (A & B), North Delhi

15.   NOIDA  - Districts of Uttar Pradesh - Agra, Aligarh, Baghpat, Bareilly, Bulandshahar, Etah, Firojabad, Gautam Budh Nagar, Ghaziabad, Hapur, Hathras, Kasganj / Kashi Ram Nagar, Mainpuri, Mathura, Meerut, Pilibhit, Shahjahanpur and Shamli

PUNE - Maharashtra, Goa, Daman & Diu, Dadra & Nagar Haveli




मनोविज्ञान के सम्प्रदाय (Schools of Psychology)

मनोविज्ञान के सम्प्रदाय (Schools of Psychology) मनोविज्ञान के सम्प्रदाय से अभिप्राय उन विचारधाराओं से है जिनके अनुसार मनोवैज्ञानिक मन, व्यवह...