मनोविज्ञान का विकास
(Development of Psychology)
मनोविज्ञान का विकास निम्न चरणों मे हुआ है -
1. मनोविज्ञान आत्मा का विज्ञान है (Psychology is the science of soul) -
यूनानी (ग्रीक) दार्शनिक प्लेटो (Plato) इस प्रकार के जनक माने जाते हैं। उनके बाद उनके शिष्य अरस्तू (Aristotle) ने इस चिन्तन को आगे बढ़ाया। उन्होंने बताया कि आत्मा प्राणी का मुख्य तत्त्व है और यह उसका सभी क्रियाओं का आधार है। इस प्रकार के चिन्तन को तब आत्मा के विज्ञान (Science of Soul) की संज्ञा प्रदान की गई। 16 वीं शताब्दी के अंत तक यह आत्मा का विज्ञान ही माना जाता रहा।
2. मनोविज्ञान मन का विज्ञान है (Psychology is the Science of Mind) -
17वीं शताब्दी के प्रारम्भ में कुछ पाशचात्य दार्शनिकों ने मनुष्य की समस्त क्रियाओं का आधार उसके मन को बताया। इनमें इटली के दार्शनिक पोम्पोनाजी (Poimponazzi) का नाम उल्लेखनीय है। लीबनीज (Leibnitez), हॉब्स (Hobbes), लॉक (Locke) और कान्ट (Kant) भी इसी मत के समर्थक थे। तब से इस प्रकार के चिन्तन को मन का विज्ञान (Science of Mind) कहा गया। परन्तु पाश्चात्य दार्शनिकों के सामने मन सम्प्रत्यय को स्पष्ट करने में भी वे सब बाधाएँ उत्पन्न हुई जो आत्मा का सम्प्रत्यय स्पष्ट करने में उत्पन्न हुई थीं। अतः आगे चलकर इसे मन का विज्ञान भी नहीं माना गया।
3. मनोविज्ञान चेतना का विज्ञान है (Psychology is the Science of Consciousness)-
19वीं शताब्दी में कुछ पाश्चात्य चिन्तकों ने मनुष्य की समस्त क्रियाओं का आधार उसकी चेतना (Consciousness) को बताया। इनमें अमेरिका के विलियम जेम्स (William James) और जर्मनी के विलियम वुन्ट (Wilhelm Wundt) मुख्य हैं। इनका तर्क था कि मनुष्य की सभी क्रियायें उसकी चेतना से नियन्त्रित होती हैं, अतः इस प्रकार के चिन्तन को चेतना का विज्ञान (Science of Consciousness माना जाना चाहिए। विलियम जेम्स संसार के पहले चिन्तक हैं जिन्होंने मनोविज्ञान को दर्शन से अलग कर एक स्वतन्त्र अनुशासन (Discipline) का रूप प्रदान किया और मनोविज्ञान प्रयोगशाला स्थापित कर प्रायोगिक मनोविज्ञान की शुरूआत की। पाश्चात्य जगत में विलियम जेम्स वर्तमान मनोविज्ञान के जनक माने जाते हैं।
4. मनोविज्ञान चेतना तथा अचेतना का विज्ञान है (Psychology is the Science of consciousness and Unconsciousness)-
मनोवैज्ञानिक फ्रायड (Freud) तथा जुंग (Jung) ने अपने प्रयोगों के आधार पर यह सिद्ध किया कि मन के दो भाग है- चेतन (Conscious) तथा अचेतन (Unconscious)। मानव चेतन मन के 1/10 भाग का प्रतिनिधित्व करता है जबकि 9/10 भाग का प्रतिनिधित्व अचेतन मन करता है। अतः उन्होंने मनोविज्ञान को चेतन तथा अचेतन मन का अध्ययन करने वाले विज्ञान के रूप में परिभाषित किया।
5. मनोविज्ञान व्यवहार का विज्ञान है (Psychology is the science of behaviour)-
20 वीं शताब्दी में जीव वैज्ञानिकों (Biologists), शरीर वैज्ञानिकों (Physiologists) और मनो चिकित्सकों ने मनोविज्ञान के विकास में बड़ा योगदान दिया। यह मनुष्य के अन्तरिक तथा बाह्य व्यवहार के विज्ञान के रूप में प्रतिष्ठित हुआ। तब से मनोविज्ञान को व्यवहार का विज्ञान माना जाता है।
कॉलेसनिक के अनुसार "मनोविज्ञान मानव व्यवहार का विज्ञान है।"
No comments:
Post a Comment
Please follow, share and subscribe