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Tuesday, September 16, 2025

शिक्षक शिक्षा के संदर्भ में एनईपी 2020 (NEP 2020 with reference to Teacher Education)


शिक्षक शिक्षा के संदर्भ में एनईपी 2020 

(NEP 2020 with reference to Teacher Education)


राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 भारत में शिक्षक शिक्षा पर केंद्रित महत्वपूर्ण सुधार लाती है, जिसमें शिक्षकों को शिक्षा प्रणाली की सफलता के लिए केंद्रीय माना जाता है और उनके निरंतर विकास और समर्थन पर जोर दिया जाता है।

  • अगली पीढ़ी के लिए शिक्षकों को तैयार करना (Preparing teachers for the next generation): 

अगली पीढ़ी को आकार देने वाले शिक्षकों की एक टीम के निर्माण में अध्यापक शिक्षा की भूमिका महत्वपूर्ण है। शिक्षकों को तैयार करना एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके लिए बहु-विषयक दृष्टिकोण (Multi-disciplinary Approach) और ज्ञान की आवश्यकता के साथ ही साथ, बेहतरीन मेंटरों के निर्देशन में मान्यताओं और मूल्यों के निर्माण के साथ ही साथ उनके अभ्यास की भी आवश्यकता होती है। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि अध्यापक शिक्षा और शिक्षण प्रक्रियाओं से संबंधित अद्यतन प्रगति के साथ ही साथ भारतीय मूल्यों, भाषाओं, ज्ञान, लोकाचार (Ethos) और परंपराओं जनजातीय परंपराओं सहित के प्रति भी जागरूक रहें।
  •  गुणवत्ता के उच्चतर मानक निर्धारित करना (Setting higher standards of quality):

न्यायमूर्ति जे. एस. वर्मा आयोग (2012) के अनुसार, स्टैंड- अलोन टीईआई, जिनकी संख्या 10,000 से अधिक है, अध्यापक शिक्षा के प्रति लेशमात्र गंभीरता से प्रयास नहीं कर रहे हैं, बल्कि इसके स्थान पर ऊंचे दामों पर डिग्रियों को बेच रहे हैं। इस दिशा में अब तक किए गए विनियामक (Regulatory) प्रयास न तो सिस्टम में बड़े पैमाने पर व्याप्त भ्रष्टाचार को रोक पाए हैं, और न ही गुणवत्ता के लिए निर्धारित बुनियादी मानकों को ही लागू कर पाए हैं, बल्कि इन प्रयासों का इस क्षेत्र में उत्कृष्टता और नवाचार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। अतः इस सेक्टर और इसकी नियामक प्रणालियों में महत्वपूर्ण कार्यवाहियों के द्वारा पुनरुद्धार (Revival) की तात्कालिक आवश्यकता है जिससे कि गुणवत्ता के उच्चतर मानकों को निर्धारित किया जा सके और शिक्षक शिक्षा प्रणाली में अखंडता, विश्वसनीयता, प्रभाविता और उच्चतर गुणवत्ता को बहाल किया जा सके। 

  • निम्न स्तरीय और बेकार अध्यापक शिक्षा संस्थानों पर कार्यवाही करना (To take action against low quality and useless teacher education institutions): 

शिक्षण पेशे की प्रतिष्ठा को बहाल करने के लिए आवश्यक नैतिकता और विश्वसनीयता के स्तरों में सुधार को सुनिश्चित करने और फिर इसके द्वारा एक सफल विद्यालयी प्रणाली सुनिश्चित करने के लिए, नियामक प्रणाली को उन निम्न स्तरीय और बेकार अध्यापक शिक्षा संस्थानों (TEI) के खिलाफ उल्लंघन के लिए एक वर्ष का समय दिये जाने के पश्चात, कठोर कार्यवाही करने का अधिकार होगा जो बुनियादी शैक्षिक मानदंडों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं । वर्ष 2030 तक, केवल शैक्षिक रूप से सुदृढ़ (very strong), बहु-विषयक (Multi disciplinary) और एकीकृत अध्यापक शिक्षा कार्यक्रम ही कार्यान्वित होंगे।

  • संस्थानों को बहु विषयक बनाना (Making institutions multidisciplinary): 

अध्यापक शिक्षा के लिए बहु-विषयक / बहु-विषयक इनपुट के साथ ही साथ उच्चतर गुणवत्तायुक्त विषयवस्तु और शैक्षणिक प्रक्रियाओं की आवश्यकता होती है, अतः इसे ध्यान में रखते हुए सभी अध्यापक शिक्षा कार्यक्रमों को समग्र बहु-विषयी संस्थानों में ही आयोजित किया जाना चाहिए। इसके लिए, सभी बड़े बहु-विषयक विश्वविद्यालयों के साथ-साथ सभी सार्वजनिक विश्वविद्यालय और बड़े बहु- विषयक महाविद्यालय का लक्ष्य होगा कि वे अपने यहाँ ऐसे उत्कृष्ट शिक्षा विभागों की स्थापना और विकास करें, जो कि शिक्षा में अत्याधुनिक अनुसंधानों को अंजाम देने के साथ ही साथ मनोविज्ञान, दर्शनशास्त्र, समाजशास्त्र, तंत्रिकाविज्ञान, भारतीय भाषाओं, कला, संगीत, इतिहास और साहित्य के साथ-साथ विज्ञान और गणित जैसे अन्य विशिष्ट विषयों से संबंधित विभागों के सहयोग से भविष्य के शिक्षकों को शिक्षित करने के लिए बी.एड. कार्यक्रम भी संचालित करेंगे। इसके साथ ही साथ वर्ष 2030 तक सभी एकल शिक्षक शिक्षा के संस्थानों को बहु-विषयक संस्थानों के रूप में बदलने की आवश्यकता होगी क्योंकि उन्हें भी 4-वर्षीय एकीकृत शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों को संचालित करना होगा।

  • 4-वर्षीय एकीकृत बी.एड. कार्यक्रम  के साथ अन्य विषयों में डिग्री को सम्मिलित करना (Incorporating degrees in other subjects with the 4-year integrated B.Ed. programme): 

वर्ष 2030 तक बहु-विषयक उच्चतर शिक्षण संस्थानों द्वारा प्रदान किया जाने वाला यह 4-वर्षीय एकीकृत बी.एड. कार्यक्रम स्कूली शिक्षकों के लिए न्यूनतम डिग्री योग्यता बन जाएगा । यह 4-वर्षीय एकीकृत बी.एड. शिक्षा और इसके साथ ही एक अन्य विशेष विषय जैसे भाषा, इतिहास, संगीत, गणित, कंप्यूटर विज्ञान, रसायनविज्ञान, अर्थशास्त्र, आदि में एक समग्र ड्युअल मेजर स्नातक डिग्री होगी। अत्याधुनिक शिक्षा शास्त्र के शिक्षण के साथ ही साथ शिक्षक-शिक्षा में समाजशास्त्र, इतिहास, विज्ञान, मनोविज्ञान, प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा, बुनियादी साक्षरता और संख्याज्ञान, भारत से जुड़े ज्ञान और इसके मूल्यों / लोकाचार / कला / परंपराएं और भी बहुत कुछ शामिल होगा । 4-वर्षीय एकीकृत बी.एड. प्रदान करने वाला प्रत्येक उच्चतर शिक्षण संस्थान, किसी एक विषय विशेष में पहले से ही स्नातक की डिग्री हासिल कर चुके ऐसे उत्कृष्ट विद्यार्थी जो आगे चलकर शिक्षण करना चाहते हैं, के लिए अपने परिसर में 2- वर्षीय बी.एड. कार्यक्रम भी डिजाइन कर सकते हैं। विशेष रूप से ऐसे उत्कृष्ट विद्यार्थी जिन्होंने किसी विशेष विषय में 4 वर्ष की स्नातक की डिग्री प्राप्त की है, के लिए 1-वर्षीय बी.एड. कार्यक्रम भी ऑफर किया जा सकता है। इन 4-वर्षीय, 2-वर्षीय और 1-वर्षीय बी.एड. कार्यक्रमों के लिए उत्कृष्ट उम्मीदवारों को आकर्षित करने के उद्देश्य से मेधावी विद्यार्थियों के लिए छात्रवृत्तियों की स्थापना की जाएगी।

  • विशेष विषयों में विशेषज्ञों की उपलब्धता कराना (Availability of experts in specific subjects): 

अध्यापक शिक्षा प्रदान करने वाले उच्चतर शिक्षण संस्थान, शिक्षा और इससे संबंधित विषयों के साथ ही साथ विशेष विषयों में विशेषज्ञों की उपलब्धता को सुनिश्चित करेंगे। प्रत्येक उच्चतर शिक्षा संस्थान के पास सघन जुड़ाव के साथ काम करने के लिए सार्वजनिक और निजी स्कूलों और स्कूल परिसरों का एक नेटवर्क होगा, जहाँ भावी शिक्षक अन्य सहायक गतिविधियों जैसे सामुदायिक सेवा, वयस्क और व्यावसायिक शिक्षा, आदि में सहभागिता के साथ शिक्षण का कार्य करेंगे।
  • एकसमान मानकों को बनाए रखना (Maintaining uniform standards):

शिक्षक शिक्षा के लिए एकसमान मानकों को बनाए रखने के लिए, पूर्व-सेवा शिक्षक तैयारी कार्यक्रमों में प्रवेश राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी द्वारा आयोजित उपयुक्त विषय और योग्यता परीक्षणों के माध्यम से होगा, और देश की भाषाई और सांस्कृतिक विविधता को ध्यान में रखते हुए मानकीकृत किया जाएगा।
  • शिक्षा विभाग में संकाय सदस्यों की प्रोफ़ाइल में विविधता होना एक आवश्यक लक्ष्य होगा। लेकिन शिक्षण/फील्ड / शोध के अनुभवों को महत्ता प्रदान की जाएगी। सीधे सीधे विद्यालयी शिक्षा से जुड़ने वाले सामाजिक विज्ञान के क्षेत्रों (जैसे, मनोविज्ञान, बालविकास, भाषा विज्ञान, समाजशास्त्र, दर्शन, अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान) के साथ ही साथ विज्ञान शिक्षा, गणित शिक्षा, सामाजिक विज्ञान शिक्षा और भाषा शिक्षा जैसे कार्यक्रमों से संबंधित विषयों में प्रशिक्षण प्राप्त संकाय सदस्यों को शिक्षक शिक्षा संस्थानों मेंआकर्षित और नियुक्त किया जाएगा, जिससे कि शिक्षकों की बहु-विषयी शिक्षा को और उनके अवधारणात्मक विकास को मज़बूती प्रदान की जा सके।
  • सभी नए पीएच-डी. प्रवेशकर्ताओं, चाहे वे किसी भी विषय में प्रवेश लें, से अपेक्षित होगा कि वे अपनी डोक्टोरल प्रशिक्षण अवधि के दौरान उनके द्वारा चुने गए पीएच-डी विषय से संबंधित शिक्षण/ शिक्षा/ अध्यापन/लेखन में क्रेडिट आधारित पाठ्यक्रम लें। उनकी डॉक्टरेट प्रशिक्षण अवधि के दौरान उन्हें शैक्षणिक प्रक्रियाओं, पाठ्यक्रम निर्माण, विश्वसनीय मूल्यांकन प्रणाली और संचार जैसे क्षेत्रों का अनुभव प्रदान किया जाएगा, क्योंकि संभव है कि इनमें से कई शोध विद्वान अपने चुने हुए विषयों के संकाय सदस्य या सार्वजनिक प्रतिनिधि / संचारक बनेंगे। पीएच-डी. छात्रों के लिए शिक्षण सहायक और अन्य साधनों के माध्यम से अर्जित किए गए वास्तविक शिक्षण अनुभव के न्यूनतम घंटे भी तय होंगे। देशभर के विश्वविद्यालयों में संचालित पीएच-डी. कार्यक्रमों का इस उद्देश्य के लिए पुनरुन्मुखीकरण (reorientation) किया जाएगा।
  • कॉलेज और विश्वविद्यालय के शिक्षकों के लिए सेवारत सतत व्यावसायिक विकास का प्रशिक्षण मौजूदा संस्थागत व्यवस्था और जारी पहलों के माध्यम से ही जारी रहेगा; हालांकि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए आवश्यक समृद्ध शिक्षण-अधिगम प्रक्रियाओं की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए इनका सुदृढ़ीकरण और विस्तार किया जाएगा। शिक्षकों के ऑनलाइन प्रशिक्षण के लिए स्वयम/दीक्षा जैसे प्रौद्योगिकी प्लेटफार्मों के उपयोग को प्रोत्साहित किया जाएगा, ताकि मानकीकृत प्रशिक्षण कार्यक्रमों को कम समय के भीतर अधिक शिक्षकों को मुहैया कराया जा सके।
  • सलाह (मेंटरिंग) के लिए एक राष्ट्रीय मिशन को स्थापित किया जाएगा जिसमें बड़ी संख्या में वरिष्ठ /सेवानिवृत्त उत्कृष्ट संकाय सदस्यों को जोड़ा जाएगा। इनमें वे संकाय सदस्य भी शामिल होंगे जिनमें भारतीय भाषाओं में पढ़ाने की क्षमता है और जो विश्वविद्यालय / कॉलेज शिक्षकों को लघु और दीर्घकालिक परामर्श / व्यावसायिक सहायता प्रदान करने के लिए तैयार होंगे।
  • शिक्षक शिक्षा का पाठ्यक्रम अब विषय विशेषज्ञता और शिक्षणशास्त्र दोनों पर ज़ोर देता है, जिसमें वास्तविक कक्षा में इंटर्नशिप और मार्गदर्शन सहित पर्याप्त व्यावहारिक और अनुभवात्मक शिक्षा शामिल है।
  • NEP शिक्षकों के लिए राष्ट्रीय व्यावसायिक मानक (NPST) प्रस्तुत करता है, जो करियर उन्नति, व्यावसायिक मूल्यांकन और वेतन वृद्धि का मार्गदर्शन करते हैं, साथ ही निरंतर व्यावसायिक कौशल उन्नयन और चिंतनशील अभ्यास को बढ़ावा देते हैं।
  • शिक्षकों के लिए सतत व्यावसायिक विकास (CPD) अनिवार्य होगा, जिसमें स्कूल-आधारित और आवश्यकता-विशिष्ट मॉडलों पर ध्यान केंद्रित करते हुए लगातार कौशल उन्नयन, मार्गदर्शन, व्यावसायिक नेटवर्क और नेतृत्व प्रशिक्षण शामिल होगा।
  • CTET जैसी शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) उत्तीर्ण करना एक महत्वपूर्ण योग्यता बनी हुई है, जो यह सुनिश्चित करती है कि सरकारी और निजी दोनों स्कूलों के शिक्षक राष्ट्रीय मानकों को पूरा करें।

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