Monday, July 12, 2021

शाब्दिक व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण (Verbal Individual Intelligence Test)

 शाब्दिक व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण (Verbal Individual Intelligence Test)

1.  बिने- साइमन बुद्धि परीक्षण (Binet -Simon  Intelligence Test)

  • प्रतिपादक - अल्फ्रेड बिने , 1905 ।
  • संसोधन - 1908 व  1911 ।

  • बिने  ने इस कार्य को करने में अपने सहयोगी मनोवैज्ञानिक साइमन की सहायता ली। दोनों मनोवैज्ञानिकों ने अनेक परीक्षणों  के बाद 1905 में अपनी एक परीक्षण विधि प्रकाशित की, जिसे बिने  साइमन बुद्धि  स्केल कहा जाता है। उन्होंने इसमें  1908  एवं 1911  में कुछ परिवर्तन करके पूर्ण बनाने का प्रयास किया ।
  • 1911 में इस परीक्षण का अंग्रेजी में अनुवाद गोडार्ड ने किया ।

  • यह परीक्षण 3 से 15 वर्ष के बच्चों के लिए उपयोगी है ।
  • इसमें 30 प्रश्न होते हैं, वर्तमान में इसमें 59 प्रश्न हैं ।

  • यदि बालक अपनी आयु के लिए निर्धारित सब प्रश्नों के उत्तर दे देता है तो उसे साधारण बुद्धि  वाला माना जाता है ।
  • यदि वह अपनी आयु वाले बालकों के प्रश्नों के उत्तर देता है  तो उसे श्रेष्ठ बुद्धि  वाला समझा जाता है।
  •  यदि वह अपनी आयु के निर्धारित प्रश्नों के उत्तर नहीं दे पता है तो वह मंद बुद्धि  समझा जाता है ।


स्टैनफोर्ड - बिने  परीक्षण (Stanford Binet Test)

  • प्रतिपादक -  टर्मन  , 1916 ।
  • 02 से 14 वर्ष के लिए उपयोगी है संशोधन के बाद इसे 2 से 22 वर्ष 11 माह का कर दिया गया ।
  • इस परीक्षण में 90 प्रश्न हैं ।
  • 1937 में टर्मन ने अपने साथी मेरिल के सहयोग से  स्टैनफोर्ड बिने परीक्षण में संसोधन किया । इसके नए रूप को टर्मन - मेरिल नवीन संसोधित स्टैनफोर्ड परीक्षण के नाम से प्रकाशित किया गया ।
  • 1960  में पुनः संसोधन किया गया । इस संशोधन में भेदबोधक (Discriminative) पदों का चयन किया गया जिससे अधिक विश्वसनीय निष्कर्ष प्राप्त हो सकें ।



    स्टेनफोर्ड बिने परीक्षण माला (Stanford Binet Test Series) 


    1. अनुकूनकर्ता–                  डॉ० एस० के० कुलश्रेष्ठ । (1960)

    2. मापे जाने वाला गुण -      सामान्य बुद्धि - G |

    3. उपयोगिता –                   यह परीक्षण 2 वर्ष के बच्चों से लेकर 18 वर्ष तक के युवकों की बुद्धि का मापन करने के लिए प्रयोग किया जाता है।

    4.  परीक्षण सामग्री -    इस परीक्षण की सामग्री को चार भागों में बाँटा जा सकता है—
    (i) परीक्षण माला (Test Series) – इसमें विभिन्न आयु स्तर पर दिए जाने वाले उपपरीक्षणों का वर्णन है।

    (ii) सहायक सामग्री  – इसे दो भागों में बाँटा जा सकता है — एक मूर्त वस्तुएँ और दूसरा कार्ड गड्डियाँ। 

    मूर्त वस्तुयें (Abstract Objects) - खिलौने—कुत्ता, बिल्ली, प्याला आदि एवं लकड़ी के विभिन्न आकार के गुटके आदि हैं जिनका प्रयोग 2 वर्ष की आयु के बच्चों  से लेकर 6 वर्ष की आयु के बच्चों की बुद्धि का मापन करने में किया जाता है। 

    कार्ड गड्डियाँ -   ये  दो प्रकार की हैं एक छोटी और एक बड़ी । छोटे काडों की गड्डी में भिन्न-भिन्न वस्तुओं (हवाई जहाज, कोट एवं छाता आदि) और विभिन्न जीवों  के 36 चित्र (Picture) और कुछ चित्र के कटिंग हैं। इनका प्रयोग केवल 2 वर्ष से लेकर 5 वर्ष तक के बच्चों की बुद्धि का मापन करने के लिए किया जाता है। 
    बड़े कार्डों की गड्डी में कुल 37 कार्ड हैं और कुछ अलग से दिए हुए चित्र (Picture)  हैं। इन काडों पर विभिन्न प्रकार के चित्र और भाषा सम्बन्धी प्रश्न (पद, Items) हैं जिनका प्रयोग 3 वर्ष की आयु के बच्चों से लेकर 18 वर्ष तक के युवकों पर किया जाता है। इसमें भिन्न-भिन्न आयु के बच्चों एवं प्रौढ़ों के लिए भिन्न-भिन्न कार्ड हैं। 

    (iii) अभिलेख पुस्तिका (Record Book) इसमें प्रयोज्य द्वारा दी गई अनुक्रियाओं को अंकित किया जाता है।

    (iv) मानक (Standard/Norm) -  इस परीक्षण के मानक 2 वर्ष से 18 वर्ष तक के लिए दिए गए हैं।

    5.  प्रश्नों (पदों, Items) की संख्या-  इस परीक्षण में कुछ 124 पद (Items) हैं जो 6 भागों में विभाजित हैं— 

    (i) प्रथम समूह  (First Group)-  इस समूह में 2 वर्ष से लेकर 4 वर्ष, छः माह तक के बच्चों के लिए प्रत्येक छः माह के लिए 6-6 पद (Items) हैं और कुल 36 पद हैं। प्रत्येक पद का सही उत्तर देने पर बच्चे की मानसिक आयु (M.A.) में 1 माह का लाभ (Credit) प्रदान किया जाता है। इस श्रेणी अथवा समूह के सभी पदों का सही उत्तर देने से बच्चे की मानसिक आयु में 36 माह जुड़ते हैं।

    (ii) द्वितीय समूह (Second Group)–  इस समूह में 5 वर्ष से लेकर 14 वर्ष तक के बालकों के लिए प्रत्येक वर्ष के लिए 6-6 पद (Items) हैं कुल 60 पद हैं। इसमें एक पद का सही उत्तर देने पर बालक की मानसिक आयु (M.A.) में 2 माह का लाभ (Credit) प्रदान किया जाता है।
    (Credit) प्रदान किया जाता है।

    (iii) तृतीय समूह (Third Group)–  इस समूह में 15 वर्ष (Average Adult) के किशोरों के लिए कुल 8 पद हैं। इसमें एक पद का सही उत्तर देने पर किशोर की मानसिक आयु में 2 माह का लाभ दिया जाता है।

    (iv) चतुर्थ  समूह (Fourth Group)–  इस समूह में 16 वर्ष (Superior Adult-I) के किशोरों के लिए कुल 6 पद हैं। इसमें एक पद का सही उत्तर देने पर किशोर की मानसिक आयु में 4 माह का लाभ दिया जाता है।

    (v) पंचम समूह (Fifth Group)— इस समूह में 17 वर्ष (Superior Adult-II) के किशोरों के लिए कुल 6 पद हैं। इसमें प्रत्येक पद का सही उत्तर देने पर किशोर की मानसिक आयु में 5 माह का लाभ दिया जाता है ।

    (vi) पष्टम समूह (Sixth Group)– इस समूह में 18 वर्ष (Superior Adult-III) के किशोरों के लिए कुल 6 पद है। इसमें प्रत्येक पद का सही उत्तर देने का किशोर की मानसिक आयु में 6 माह का लाभ दिया जाता है। 

    6. परीक्षण का प्रशासन (Administration of the Test) -    इसका प्रशासन निम्नलिखित रूप में किया जाता है

    (i)  सर्वप्रथम परीक्षणकर्ता प्रयोज्य (व्यक्ति, परीक्षार्थी) के साथ सम्बन्ध  स्थापित करता है, उसके साथ सामान्य बातचीत कर अपनापन जाहिर करता है। उसे सामान्य स्थिति में लाता है। यह सम्बन्ध परीक्षण के प्रारम्भ से अन्त तक बनाए रखना आवश्यक होता है।

    (ii) जब प्रयोज्य सामान्य मानसिक स्थिति में आ जाता है तो मैनुअल (Manual) में दिए गए निर्देशों के अनुसार परीक्षण को प्रशासित किया जाता है। इसमें दो बातों का विशेष ध्यान रखा जाता है एक यह कि सामान्य बौद्धिक स्तर (Normal Intellectual Level) के बालक का बुद्धि परीक्षण उसकी वास्तविक आयु के एक वर्ष नीचे वाले आयुस्तर के लिए प्रयुक्त होने वाले प्रश्नों (पदों, Items) से शुरू के किया जाता है जिससे वे हतोत्साहित न हों। और दूसरी यह कि यदि कोई बालक किसी प्रश्न का गलत उत्तर दे तो यथा प्रश्न को दोहराया नहीं जाता।

    (iii) सीमा आयु (जिसमें प्रयोज्य एक भी प्रश्न का उत्तर नहीं दे पाता है ) से आगे के वर्षों के प्रश्न प्रयोज्य से पूछे नहीं जाते हैं अर्थात सीमा आयु आने पर प्रश्न पूछना बंद कर देते हैं ।

    7. परीक्षण का फलांकन (Test Score)-  सभी उत्तरों के लिए निश्चित लाभ (Credit) देकर प्रयोज्य की मानसिक आयु ज्ञात की जाती है ।

    (i) आधार आयु (Basal Age)-  प्रयोज्य (परीक्षार्थी) जिस आयु के सभी प्रश्नों का तथा उससे नीचे की प्रश्नों का सही उत्तर दे देता है, वह उसकी आधार आयु मानी जाती है। 

    (ii) सीमा आयु (Ceiling Age) - प्रयोज्य जिस आयु के एक भी प्रश्न का उत्तर नहीं दे पाता वह उसकी सीमा  आयु मानी  जाती है।

    (iii) मानसिक आयु (Mental Age) -    आधार आयु + अर्जित आयु = मानसिक आयु । 

    (iv) बुद्धि-लब्धि (I.Q.)–      निर्देश पुस्तिका (Manual) में दिए गए निर्देशों के अनुसार ज्ञात की जाती है।


    Sunday, July 11, 2021

    व्यक्तिगत एवं सामूहिक बुद्धि परीक्षणों में अन्तर (Difference between Individual and Group Intelligence Tests)

     व्यक्तिगत एवं सामूहिक बुद्धि परीक्षणों में अन्तर (Difference between Individual and Group Intelligence Tests) 




    व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण 

    (Individual Intelligence Tests)

    सामूहिक  बुद्धि परीक्षण  

    (Group Intelligence Tests)

    1. इन परीक्षणों का निर्माण एवं मानकीकरण (Standardization) कठिन होता है।


    1. ये परीक्षण प्रायः मौखिक (Oral) होते हैं।

    2. इनकी समय सीमा प्रायः निश्चित नहीं होती।

    3. इन परीक्षणों में आयु वर्ग व्यापक होता है।

    4. ये कम आयु के बच्चों के लिए अधिक उपयोगी होते हैं।

    5. इनका प्रयोग अशिक्षित एवं विकलांग बच्चों पर भी किया जा सकता है।

    6. इन परीक्षणों का प्रशासन करना कठिन होता है, इनके प्रशासन के लिए प्रशिक्षित व्यक्ति चाहिए।

    7. इनके प्रशासन में परीक्षणकर्ता और प्रयोज्य के बीच सीधा सम्बन्ध होता है।

    8. इन परीक्षणों में संकोची व्यक्तियों को परेशानी होती है।

    9. इनका प्रशासन एक समय में एक ही व्यक्ति पर किया जा सकता है इसलिए किसी समूह के व्यक्तियों की बुद्धि का मापन करने में समय, शक्ति और धन अधिक लगते हैं। ये अधिक खर्चीले होते हैं।

    10. इनके प्रशासन के दौरान प्रश्न व समस्याओं के क्रम व स्वरूप में आवश्यकतानुसार कुछ परिवर्तन किया जा सकता है।

    11. इनका उत्तर देते समय नकल के कोई अवसर नहीं होते।

    12. इनमें प्राप्तांकों की गुणात्मक व्याख्या की जा सकती है।

    13. इन परीक्षणों की वैधता एवं विश्वसनीयता अपेक्षाकृत अधिक होती है।

    14. इन परीक्षणों की वस्तुनिष्ठता अपेक्षाकृत कम होती है।

    1. इन परीक्षणों का निर्माण एवं मानकीकरण (Standardization) करना व्यक्तिगत परीक्षणों की अपेक्षा सरल होता है।

    2. ये परीक्षण प्रायः लिखित होते हैं।

    3. इनकी समय सीमा प्रायः निश्चित होती है।

    4. ये परीक्षण विशेष आयु वर्ग के लिए होते हैं।

    5.  ये परिपक्व आयु के बच्चों के लिए अधिक उपयोगी होते हैं ।

    6. इनका प्रयोग इन श्रेणियों के बच्चों पर नहीं किया जा सकता।

    7.  इनका प्रशासन सरल होता है सामान्य शिक्षक भी इनका प्रशासन कर सकते हैं।

    8. इनके प्रशासन के समय ऐसा कुछ नहीं किया जा सकता।

    9. इन परीक्षणों में किसी व्यक्ति को कोई परेशानी नहीं होती।

    10. इनका प्रशासन एक समय में अनेक व्यक्तियों पर किया जा सकता है इसलिए इनके द्वारा किसी समूह के व्यक्तियों की बुद्धि मापने में अपेक्षाकृत बहुत कम समय, शक्ति और धन लगता है। ये कम खर्चीले होते है। 

    11. इनके प्रशासन के दौरान ऐसा कुछ नहीं किया जा सकता।                 

                                                                                                  

    1. इनका उत्तर देने में नकल की जा सकती है।

     

    1.  इनमें प्राप्तांकों की व्याख्या मानकों के आधार पर ही की जा सकती है।

    2. इन परीक्षणों की वैधता एवं विश्वसनीयता अपेक्षाकृत कम होती है।

    3. इन परीक्षणों की वस्तुनिष्ठता अपेक्षाकृत अधिक होती है।



    Tuesday, July 6, 2021

    बुद्धि परीक्षणों के प्रकार (Types of Intelligence Tests)

     बुद्धि परीक्षणों के प्रकार (Types of Intelligence Tests)

    बुद्धि परीक्षणों को दो आधारों पर वर्गीकृत किया जाता है-

    1. प्रयोज्यों  या परीक्षार्थियों की संख्या (Number of Subjects or Examinees) के आधार पर। 

    2. परीक्षणों के प्रस्तुतीकरण के स्वरूप (Forms of Presentation) के आधार पर। 

    1. परीक्षार्थियों की संख्या के आधार पर बुद्धि परीक्षणों को दो वर्गों में विभाजित किया जाता है - 

    (i) व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण (Individual Intelligence Test)।

    (ii) सामूहिक बुद्धि परीक्षण (Group Intelligence Tests) ।

    2. परीक्षणों के प्रस्तुतीकरण के स्वरूप के आधार पर भी उन्हें दो वर्गों में विभाजित किया जाता है - 

    (i) शाब्दिक बुद्धि परीक्षण (Verbal Intelligence Tests) ।

    (ii) अशाब्दिक बुद्धि परीक्षण (Non-Verbal Intelligence Tests)। 













    व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण (Individual Intelligence Test)-

    ये वे  बुद्धि परीक्षण हैं जो एक समय मे केवल एक ही  प्रयोज्य या परीक्षार्थी पर प्रशासित किये जाते हैं। इन परीक्षणों के प्रशासन में सर्वप्रथम परीक्षणकर्ता परीक्षार्थी के साथ संबंध स्थापित करता है और इस संबंधित व्यवहार से उसे सामान्य मानसिक स्थिति में लाता है , उसे किसी भी प्रकार के भय व चिंता से मुक्त करता है। इसके बाद उसे परीक्षण संबंधित निर्देश देता है  और अंत मे उसे परीक्षण में निहित प्रश्नों के उत्तर देने के लिए कहता है।

    मुख्य परीक्षण-  स्टेनफोर्ड बिने बुद्धि परीक्षण (Stanford Binet Test of Intelligence), वैशलर बुद्धि परीक्षण (Wechsler Intelligence Scale), मैरिल एवं पामर बुद्धि परीक्षण (Merril and Palmer Intelligence Scale), पिन्टर-पैटरसन परफोरमेन्स स्केल (Pinter- Paterson Performance Scale), मैरिल-पामर ब्लाक बिल्डिंग परीक्षण (Merril Palmer Block Building Test) और पोर्टियस भूल भुलैया परीक्षण (Porteus Maze Test) ।


    सामूहिक बुद्धि परीक्षण (Group Intelligence Tests)—

    ये वे बुद्धि परीक्षण हैं जो एक समय में अनेक (सैंकड़ों-हजारों) प्रयोज्यों (व्यक्तियों) पर एक साथ प्रशासित किए जा सकते हैं। इन परीक्षणों के प्रशासन में परीक्षणकर्ता को प्रयोज्य से किसी प्रकार के सम्बन्ध स्थापित करने की आवश्यकता नहीं होती। वह स्वयं या अन्य साथियों के माध्यम से बुद्धि परीक्षण को वितरित करा देता है। परीक्षण सम्बनधी निर्देश परीक्षण पर ही मुद्रित होते हैं या उन्हें अलग से मुद्रित कराकर परीक्षण के साथ वितरित करा दिया जाता है ।  

    मुख्य परीक्षण - आर्मी एल्फा परीक्षण (Army Alpha Test), बर्ट सामूहिक बुद्धि परीक्षण (Burt's Group Intelligence Test), जलोटा बुद्धि परीक्षण (Jalota's Intelligence Test), रेविन्स प्रोग्रेसिव मैट्रिक्स (Raven's Progressive Matrix), कैटिल कल्चर फ्री परीक्षण (Cattell's Culture Free Test) और आर्मी बीटा परीक्षण (Army Beta Test)।

    शाब्दिक बुद्धि परीक्षण (Verbal Intelligence Tests)-

    •  ये वे बुद्धि परीक्षण होते हैं जिनमें प्रश्नों एवं समस्याओं को शब्दों अर्थात् भाषा  के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है ।
    •  प्रयोज्यों (व्यक्तियों) को इनका उत्तर भाषा के माध्यम से ही देना होता है। 
    • इनका निर्माण एवं मानकीकरण करना सरल होता है ।

    • इनके निर्माण में खर्च कम  होता है ।
    • ये छोटे बच्चों की बुद्धि का मापन करने के लिए उपयुक्त नहीं होते। 

      • इनकी वैधता एवं विश्वसनीयता अधिक होती है। 
      • इसके  द्वारा मन्द बुद्धि बच्चों की बुद्धि का मापन सही ढंग से नही किया जा सकता।

      •  इन्हें व्यक्तिगत एवं सामूहिक दोनों रूपों में प्रयोग किया जा सकता है। 
      •  इनका प्रशासन सरलता से किया जा सकता है। 

      •  इनका अंकन वस्तुनिष्ठ होता है।

      • केवल शिक्षित व्यक्तियों पर ही प्रशासित किए जा सकते हैं। 


      अशाब्दिक बुद्धि परीक्षण (Non-Verbal Intelligence Tests)-  

      • ये वे बुद्धि परीक्षण हैं जिनमें प्रश्नों एवं समस्याओं को भाषा में प्रस्तुत न करके बड़े आकार  की वस्तुओं और चित्रों आदि के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है 
      • प्रयोज्यों (व्यक्तियों) को इनका उत्तर यथा क्रियाओं द्वारा देना होता है। ये परीक्षण केवल पेपर-पेन्सिल परीक्षण (Paper - Pencil Tests) के रूप में भी हो सकते हैं, केवल निष्पादन परीक्षण (Performance Tests) के रूप में भी हो सकते हैं और इन दोनों के संयुक्त रूप में भी हो सकते हैं। 
      • कागज-पेन्सिल परीक्षणों में वस्तुगत या चित्रात्मक समस्याएँ मुद्रित रूप में प्रस्तुत की जाती हैं और प्रयोज्य उनका हल पेन्सिल द्वारा करते हैं और निष्पादन परीक्षणों में विभिन्न प्रकार की वस्तुओं को प्रस्तुत कर उन्हें व्यवस्थित कराया जाता है और प्रयोज्य उन्हें यथा क्रम अथवा स्वरूप में व्यवस्थित करते हैं।

      • इनका निर्माण एवं मानकीकरण करना कठिन  होता है ।
      • इनका प्रयोग किसी पर भी किया जा सकता है ।

      • ये छोटे बच्चों एवं  मन्द बुद्धि बच्चों की बुद्धि के  मापन में विशेष उपयोगी होते हैं  ।
      • ये  अधिक वैध एवं विश्वसनीय होते  हैं । 

      • इनका प्रशासन  शिक्षित  एवं अशिक्षित व्यक्तियों  दोनों पर किया जाता है ।
      • इन्हें व्यक्तिगत एवं सामूहिक दोनों रूपों में प्रयोग किया जा सकता है। 

      Monday, July 5, 2021

      विचलन बुद्धि-लब्धि (Deviation Intelligence Quotient)

       विचलन बुद्धि-लब्धि (Deviation Intelligence Quotient)

      बुद्धि - लब्धि बच्चों की बुद्धि को अभिव्यक्त करने का एक बहुत महत्वपूर्ण माध्यम है। मानसिक आयु 16 - 17 वर्ष की अवस्था में पूर्ण  हो जाती है क्योंकि मनोवैज्ञानिकों का मत है कि 16 - 17 की उम्र में व्यक्ति की बुद्धि का विकास पूर्ण हो जाता है लेकिन शरीरिक आयु लगातार बढ़ती रहती है। अतः बुद्धि-लब्धि के सूत्र से 16 - 17 वर्ष की आयु के बाद बुद्धि- लब्धि निरंतर घटती जाती है जो वास्तिवकता से परे है।

      उदा०- यदि किसी व्यक्ति की वास्तविक आयु 34 वर्ष तथा मानसिक आयु 17 वर्ष है तो उसकी  बुद्धि लब्धि होगी-

      I.Q.   =   (MA/CA) ×100 = (17/34)× 100 =  50

      अतः वयस्क  व्यक्ति की I.Q. इस सूत्र की गणना करने से परिणाम में त्रुटि आती है। 

      • सर्वप्रथम वैशलर (Weschler) ने प्रौढ़ व्यक्तियों की I.Q.  मापने की समस्या के निवारण करने के लिए विचलन I.Q.  का प्रत्यय प्रस्तुत किया।
      • किसी व्यक्ति की बुद्धि लब्धि परीक्षण पर निष्पादन (Performance) की उसकी समान उम्र के अन्य व्यक्तियों की उसी परीक्षण पर औसत निष्पादन से तुलना करके विचलन I.Q.  की गणना की जाती है।
      • विचलन IQ (DIQ) द्वारा किसी व्यक्ति के प्राप्तांकों की व्याख्या उसके समान उम्र के लोगों पर तैयार किये गये मानकों के आधार पर की जाती है।
      DI.Q. =  x̄ ± σ

      x̄ = Mean or Average

      σ = Standard Deviation

      किसी  व्यक्ति की DIQ यह दर्शाती है कि 100 की औसत IQ से उसके विचलन का माप क्या है। (Deviation IQ is a measure of how far some one deviate from the average 1.Q. of hundred) विचलन बुद्धि-लब्धि एक मानक प्राप्तांक है । अतः विचलन बुद्धि-लब्धि ज्ञात करने के लिए पहले मानक प्राप्तांक ज्ञात करते हैं फिर उसे एक मापनी जिसका मध्यमान 100 तथा मानक विचलन 15 होता है में बदला (convert) जाता है और उसके अनुरूप उसकी व्याख्या की जाती है। 

       किसी छात्र ने एक बुद्धि परीक्षण पर 45 अंक प्राप्त किये तथा उसी परीक्षण पर उसकी आयु के 100 छात्रों के प्राप्तांकों का मध्यमान (Mean) 30 तथा मानक विचलन ( Standard Deviation) 10 है तो उस छात्र का

       मानक प्राप्तांक (Standard Score)=  (X-M)/S.D. = (45-30)/10 = 1.5 

      इस छात्र का विचलन बुद्धि की मापनी (Scale) जिसका मध्यमान 100 है तथा मानक विचलन 10 है, पर प्राप्तांक 100 से  σ =  1.5×10 =15 ऊपर अर्थात् DI.Q. =100+15 = 115 होगा।

      निष्कर्ष के तौर पर कहा जा सकता है। प्रौढ़ व्यक्तियों की बुद्धि-लब्धि के मापन में होने वाले दोषों को विचलन बुद्धि-लब्धि के द्वारा दूर किया जा सकता है।























      Sunday, July 4, 2021

      बुद्धि-लब्धि (Intelligence Quotient)

       बुद्धि-लब्धि (Intelligence Quotient) 


      बुद्धि- लब्धि से तात्पर्य बालक अथवा व्यक्ति की मानसिक आयु एवं वास्तविक आयु के अनुपात से होता है । इस अनुपात में से दशमलव बिंदु हटाने के लिए इस अनुपात को 100 से गुणा कर दिया जाता है।


       बुद्धि -लब्धि = (मानसिक आयु / वास्तविक आयु) × 100


      I.Q. =  (MA/CA) × 100

      Ex.- किसी बालक की मानसिक आयु 15 वर्ष है और उसकी वास्तविक आयु 12 वर्ष है तो उसकी बुद्धि- लब्धि  होगी-

      बुद्धि -लब्धि = ( 15 / 12) × 100  = 125

      वास्तविक आयु (Chronological Age)-

      बुद्धि परीक्षण के सन्दर्भ में किसी बालक अथवा व्यक्ति की वास्तविक आयु से तात्पर्य उस आयु से होता है जो उसकी बुद्धि परीक्षण देते समय होती है और चूँकि किसी व्यक्ति की बुद्धि का विकास सामान्यतः 16 वर्ष की आयु तक पूर्ण हो चुका होता है। इसलिए बुद्धि परीक्षण के सन्दर्भ में 16 वर्ष से अधिक आयु वाले व्यक्तियों की भी वास्तविक आयु 16 वर्ष मानी जाती है ।

      मानसिक आयु (Mental Age)-

      बुद्धि परीक्षण के सन्दर्भ में किसी बालक अथवा व्यक्ति की मानसिक आयु से तात्पर्य उनके बौद्धिक विकास (Intellectual Development) की सीमा (limit) से होता है। 

      बेसल वर्ष- जिस अधिकतम आयु स्तर के प्रश्नों को हल कर लेता है, वह उसका बेसल वर्ष माना जायेगा।

      टर्मिनल वर्ष - जिस आयु स्तर के प्रश्नों को हल नहीं कर पाता है, वह उसका टर्मिनल वर्ष होगा।

      • सर्वप्रथम ने I.Q. शब्द का प्रयोग किया -  विलियम स्टर्न (1912)
      • मानसिक परीक्षण शब्द का प्रयोग करने वाला पहला व्यक्ति-   कैटेल (1890)
      • बुद्धि मापन या परीक्षण का जन्मदाता - अल्फ्रेड बिने (1905)
      • मानसिक आयु (Mental Age) का विचार - अल्फ्रेड बिने, 1908
      • बुद्धि लब्धि के प्रथम प्रतिपादक -.  विलियम स्टर्न (1912)
      • बुद्धि- लब्धि  का सूत्र दिया गया -  लेविस एम० टरमन (1916)












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