Saturday, November 22, 2025

सामाजिक अधिगम सिद्धांत (Social Learning Theory)

 सामाजिक अधिगम सिद्धांत (Social Learning Theory)


प्रतिपादक - अल्बर्ट बंडूरा  (Albert Bandura), सहयोगी - वाल्टर (Walters)

सिद्धांत के अन्य नाम - प्रत्यक्ष अधिगम सिद्धांत (Direct Learning Theory), प्रतिरूप अधिगम सिद्धांत (Vicarious Learning Theory), अवलोकन अधिगम सिद्धांत (Observational Learning Theory), अनुकरण सिद्धांत (Imitation Theory), सामाजिक संज्ञानात्मक सिद्धांत (Social Cognitive Theory), निर्देशन का सिद्धांत (Theory of Guidance)। 

पुस्तक - Principles of Behaviour Modification (1969)

आधार वाक्य - व्यक्ति दूसरे के व्यवहार को देखकर सीखते हैं। 

प्रयोग - अल्बर्ट नाम का बालक, बोबो  डॉल एवं जोकर। 

  • यह सिद्धांत इस बात पर विचार करता है कि कैसे पर्यावरण और संज्ञानात्मक कारक मानव अधिगम व व्यवहार को प्रभावित करने के लिए परस्पर क्रिया करते हैं। 
  • व्यक्ति का व्यवहार संज्ञान व प्रत्याशा (Expectation) द्वारा प्रमाणित होते हैं प्रत्याशा दो प्रकार की होती है परिणाम प्रत्याशा (Outcome Expectation)  और प्रभावोत्पादकता प्रत्याशा (Efficacy Expectation) । 
  • इस सिद्धांत के अनुसार प्रत्यक्ष अनुभवों पर आधारित अधिगम के स्थान पर अप्रत्यक्ष अनुभव पर आधारित अधिगम /अवलोकनात्मक अधिगम का सीखने की प्रक्रिया में अधिक सार्थक स्थान है । 
  • जन्म से बालक अपने वातावरण में उपस्थित व्यक्तियों, परिवार के सदस्यों के व्यवहार का अवलोकन करता है एवं कुछ की व्यवहारों का अनुकरण कर अपनी व्यवहार में लाता है ।  जिन व्यक्तियों के व्यवहारों का वह अनुकरण करते हैं उन्हें निदर्श (Model) कहा जाता है किसी निदर्श (Model) के  व्यवहार का अनुकरण करके किया गया अवलोकनात्मक अधिगम को निदर्शन (Modeling)  कहा जाता है

सामाजिक अधिगम के सोपान (Steps of Social Learning Theory)




  • अवधान (Attention):-  देखना ध्यान देने योग्य प्रक्रिया महत्वपूर्ण है क्योंकि किसी मॉडल के संपर्क में आने से यह सुनिश्चित नहीं होता है कि पर्यवेक्षक (Observer) ध्यान देंगे।  मॉडल को पर्यवेक्षक की रुचि जाना चाहिए और पर्यवेक्षक को मॉडल के व्यवहार को अनुकरण के लायक समझना चाहिए। यह तय करता है कि व्यवहार को मॉडल किया जाएगा या नहीं । व्यक्ति को व्यवहार और परिणामो पर ध्यान देने और व्यवहार का मानसिक प्रतिनिधित्व बनाने की आवश्यकता है । किसी व्यवहार का अनुकरण करने के लिए उसे हमारा ध्यान खींचना होगा । हम दैनिक आधार पर कई व्यवहार देखते हैं और उनमें से कई उल्लेखनीय नहीं है, इसलिए इस बात पर ध्यान देना आवश्यक है कि क्या कोई व्यवहार दूसरों को उसका अनुकरण करने के लिए प्रभावित करता है
  • धारण करना (Retention):-  व्यवहार को धारण करना सफल अनुकरण के लिए पर्यवेक्षकों (Observer) को इन व्यवहारों को प्रतीकात्मक रूप से सहेजना होगा सक्रिय रूप से उन्हें आसानी से याद किये जाने वाले पैटर्न की व्यवस्थित करना होगा। आचरण कितना याद रहते हैं व्यवहार पर  ध्यान दिया जा सकता है लेकिन इसे हमेशा याद नहीं रखा जा सकता । जो स्पष्ट रूप से नक़ल रोकता है,  इसलिए महत्वपूर्ण है कि व्यवहार की एक स्मृति पर्यवेक्षक द्वारा बाद में निष्पादित किया जाए अधिकांश सामाजिक अधिगम तुरंत नहीं होता इसलिए यह प्रक्रिया उन मामलों में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।  इसको संदर्भित करने के लिए एक स्मृति की आवश्यकता होती है
  • पुनः प्रस्तुतीकरण (Re-production) :-  उत्पादन दूसरों के सामने प्रस्तुत करना। यह उस व्यवहार को निष्पादित करने की क्षमता है जिसे मॉडल द्वारा अभी प्रदर्शित किया गया है। हम प्रतिदिन बहुत सारे व्यवहार देखते हैं जिनका हम अनुकरण करने में सक्षम होना चाहते हैं लेकिन हमेशा यह संभव नहीं हो पता क्योंकि हमारी शारीरिक क्षमता हमें सीमित करती है। यह हमारे निर्णय को प्रभावित करता है कि हमें इसका अनुकरण करने का प्रयास करना चाहिए या नहीं।
  • पुनर्बलन/ अभिप्रेरणा (Reinforcement/Motivation):  प्रेरणा और पुनर्बलन की प्रक्रिया मॉडल के कार्यों की नकल करने के अनुकूल या प्रतिकूल परिणाम को संदर्भित करती हैं जो नकल की संभावना को बढ़ाने या घटाने की रखते हैं । यदि अनुमानित पुरस्कार अनुमानित लागत से अधिक है तो पर्यवेक्षक की नकल करने की संभावना अधिक रहेगी परंतु यदि पुनर्बलन पर्यवेक्षक के लिए महत्वहीन है तो वह व्यवहार की नकल नहीं करेंगे।



सामाजिक अधिगम को प्रभावित करने वाले कारक 

(Factors Affecting Social Learning)


  • सामाजिक कारक (Social Factors):  अवलोकन (Observation), पहचान (Identification),  प्रतिस्पर्धा (Competition),  सहयोग (Co-operatin),  अनुकरण (Imitation) आदि। 
  • मनोवैज्ञानिक कारक (Psychological Factors):  रुचि (Interest), इच्छा (Will),  अभिप्रेरणा (motivation), ध्यान (Attention), चालक (Drive),  अभ्यास (Practice), सामान्यीकरण एवं विभेदीकरण (Generalization & Discrimination), संकेत (Signal) आदि। 
  • शारीरिक कारक (Physical Factor):  शारीरिक रोग या दोष (Physical diseases or defects),   अंतस्रावी ग्रंथियां (Endocrine glands),  आयु (age), परिपक्वता (maturity), थकान (fatigue) आदि। 


 

शिक्षा में उपयोगिता (Utility in Education) 



  • यह सिद्धांत व्यक्तित्व निर्माण में उपयोगी है। 
  • यह सिद्धांत कक्षा में सकारात्मक व्यवहार को बढ़ावा देने  और आक्रामक व्यवहार को कम करने का प्रयास करने में शिक्षकों के लिए मूल्यवान रूपरेखा तैयार करता है ।
  • यह सिद्धांत बाल व्यवहार एवं विकास में अवलोकन व अनुकरण की भूमिका पर जोर देकर छात्रों के व्यवहार के प्रबंधन के लिए नए रास्ते खोलता  है ।
  • इस सिद्धांत के द्वारा शिक्षक छात्रों के लिए सीखने का उचित माहौल/वातावरण प्रदान करके उनमें सकारात्मक दृष्टिकोण एवं व्यवहार विकसित कर सकते हैं। 
  • इस सिद्धांत की सहायता से मानव व्यवहार में अंतर्निहित संज्ञानात्मक प्रक्रियाओं को समझने से शिक्षकों को अधिक प्रभावी रणनीतियां तैयार करने में मदद मिल सकती है। 
  • यह सिद्धांत भाषा निर्माण में सहायक होता है। 
  • शिक्षक छात्रों के व्यवहार को आकार देने के लिए साथियों की प्रभाव की शक्ति का लाभ उठा सकते हैं।सहयोगात्मक शिक्षक वातावरण को बढ़ावा देकर और सकारात्मक सामाजिक अन्तर्क्रियाओं को प्रोत्साहित करके शिक्षक एक सहज  क्रियात्मक प्रभाव पैदा कर सकते हैं जो वांछनीय व्यवहारों को अपने को बढ़ावा देता है।


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