Sunday, September 19, 2021

केन्द्रीय विद्यालय संगठन (Kendriya Vidyalaya Sangthan, KVS)

 केन्द्रीय विद्यालय संगठन (Kendriya Vidyalaya Sangthan, KVS)

परिचय (Introduction)-

स्थापना -  15 दिसंबर, 1963 

अधिकार-  शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार

स्कूल बोर्ड - केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE)

मुख्यालय - नई दिल्ली

कुल स्कूल - 1248 (2021 तक) (1245 स्कूल भारत में एवं 3 स्कूल मास्को, तेहरान एवं काठमांडू में)।


केन्द्रीय विद्यालय संगठन भारत सरकार के शिक्षा मन्त्रालय के अन्तर्गत एक स्वायत्तशासी संगठन है।  हमारे देश में स्थानान्तरणीय पदों पर कार्यरत कर्मचारियों के बच्चों को समान स्तर, समान पाठ्यक्रम एवं समान माध्यम की शिक्षा उपलब्ध कराने का कार्य सर्वप्रथम केन्द्र सरकार के रक्षा विभाग ने किया। उसने रक्षा विभाग में कार्यरत कर्मचारियों के बच्चों के लिए मिलिट्री मुख्यालयों पर रेजीमेन्ट स्कूलों की स्थापना की। 1963-64 में इन स्कूलों की संख्या 20 थी। 1965 में केन्द्रीय सरकार ने स्थानान्तरणीय पदों पर कार्यरत समस्त केन्द्रीय कर्मचारियों के बच्चों के लिए इस प्रकार के विद्यालय स्थापित करने का निर्णय लिया। उसने सर्वप्रथम तत्कालीन 20 रेजीमेन्ट स्कूलों' को शिक्षा विभाग के अन्तर्गत लिया, उन्हें सेन्ट्रल स्कूल (Central School) का नाम दिया और उन्हें केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) से सम्बद्ध किया और उनमे स्थानान्तरणीय पदों पर कार्यरत समस्त केन्द्रीय कर्मचारियों के बच्चों को प्रवेश की अनुमति प्रदान की। कुछ समय बाद सेना मुख्यालयों के साथ-साथ जिला मुख्यालयों पर भी सेन्ट्रल स्कूल स्थापित करने शुरू किए आगे चलकर इन्हें केन्द्रीय विद्यालयों का नाम दिया गया और इनकी सम्पूर्ण व्यवस्था के लिए सरकार ने 'केन्द्रीय विद्यालय संगठन' (Kendriya Vidyalaya Sangthan) का गठन किया। 


संगठनात्मक संरचना (Organizational Structure) -

केन्द्रीय विद्यालय संगठन का प्रशासनतन्त्र तीन स्तरों में विभाजित है- केन्द्रीय स्तर,  क्षेत्रीय स्तर और स्थानीय स्तर। 

केन्द्रीय स्तर पर मुख्य  दो निकाय हैं- 

1. सामान्य निकाय (General Body) 

2. प्रशासनिक निकाय (Executive Body)


1. सामान्य निकाय (General Body) - 

चेयरमेन (Chairman)-   केंद्रीय शिक्षा मन्त्री   

डिप्टी चेयरमेन (Dupty Chairman)-  राज्यमन्त्री   

वाइस चेयरमेन (Vice Chairman)- मंत्रालय का वरिष्ठ अधिकारी (भारत सरकार  द्वारा नामित)

सदस्य -  केन्द्र के रक्षा, वित्त, निर्माण एवं स्वास्थ्य विभाग के प्रतिनिधि, लोकसभा के प्रतिनिधि एवं केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (NCERT) व राज्य सरकारों के प्रतिनिधि और जाने-माने शिक्षाविद होते हैं। इन सदस्यों में महिला सदस्य एवं अनुसूचित जाति एवं जनजाति सदस्य होने आवश्यक होते हैं।

2. प्रशासनिक निकाय (Executive Body)

इसमे 1 कमिश्नर, 2 जॉइन्ट कमिश्नर, 5 डिप्टी  और 3 एसिसटेन्ट कमिश्नर होते हैं। इसके प्रशासनिक कार्यों के सम्पादन के लिए  तीन समितियाँ  होती हैं-

(i) वित्त समिति (Finance Committee)-   वार्षिक बजट, वित्त लेखा और वित्त लेखा निरीक्षण   

(ii) निर्माण समिति (Work Committee) –  केन्द्रीय विद्यालयों के भवन निर्माण कार्य ।

(iii) अकादमिक सलाहकार समिति (Acadamic Advisory Committee) - विद्यालयों की शैक्षिक एवं सहशैक्षिक क्रियाओं के लिए उत्तरदायी।


क्षेत्रीय स्तर पर प्रशासन- 

  •  क्षेत्रीय कार्यालय (Regional Offices)- 25
  •  क्षेत्रीय शिक्षा और प्रशिक्षण संस्थान (Zonal Institute of Education and Training) - 5  (ग्वालियर, मुंबई , चंडीगढ़ , मैसूर एवं भुवनेश्वर )
  • प्रत्येक क्षेत्रीय कार्यालय में 1 एसीसटेन्ट कमिश्नर  (क्षेत्रीय कार्यालय के मुख्य अधिकारी)   
  • सहायता के लिए 3 शिक्षा अधिकारी और सपोर्टिंग स्टाफ। 
  • क्षेत्रीय कार्यालयों पर अपने-अपने कार्यक्षेत्र (Jurisdiction) के केन्द्रीय विद्यालयों के नियन्त्रण का उत्तरदायित्व होता है। इनके सहयोग से केन्द्रीय कार्यालय अपने उत्तरदायित्वों को पूरा करता है और इन्हीं के सहयोग से केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) केन्द्रीय विद्यालयों की कक्षा 10 व कक्षा 12 के बच्चों की परीक्षा का सम्पादन करता है।


स्थानीय स्तर पर  प्रशासन-

  • प्रत्येक केन्द्रीय विद्यालय की एक विद्यालय प्रबन्ध समिति (School Management Committee) है। 
  • स्थानीय जिलाधिकारी (DM) इस समिति का पदेन अध्यक्ष होता है। सदस्यों में विद्यालय का प्रधानाचार्य, शिक्षक प्रतिनिधि और स्थानीय शिक्षाविद होते हैं। यह समिति विद्यालय के आन्तरिक मामलों के लिए उत्तरदायी होती है।


उद्देश्य (Objectives)-

1. केन्द्र सरकार में स्थानान्तरणीय पदों पर कार्यरत समस्त कर्मचारियों के बच्चों को देश के किसी भी भाग में समान पाठ्यक्रम एवं समान माध्यम की माध्यमिक शिक्षा सुलभ कराना है जिससे उनकी शिक्षा में कोई बाधा न आए।

2. केन्द्रीय विद्यालयों में नवाचारों (Innovations) को प्रोत्साहित करना।

3. केन्द्रीय विद्यालयों को उत्कृष्ट विद्यालयों (Schools of Excellence) के रूप में विकसित करना ।

4. उत्तम प्रकार की शिक्षा की व्यवस्था कर बच्चों का सर्वांगीण विकास करना ।

5. राष्ट्रीय एकता का विकास करना।


कार्य (Functions)-

1. समय-समय पर आवश्यकतानुसार नीति निर्धारित करना । 

2. वार्षिक बजट बनाना और भिन्न-भिन्न मदों के लिए धन राशि निश्चित करना ।

3. मौजूदा केन्द्रीय विद्यालयों की आवश्यकताओं की पूर्ति करना । 

4. आवश्यकतानुसार सेना मुख्यालयों एवं जनपद मुख्यालयों पर नए केन्द्रीय विद्यालयों की स्थापना करना। 

5. केन्द्रीय विद्यालयों के लिए प्रधानाचार्यों एवं शिक्षकों का चयन करना। 

6. केन्द्रीय विद्यालयों के उपप्रधानाचार्यो एवं शिक्षकों की पदोन्नति करना। नए पद सृजन होने पर 25% पदों पर पदोन्नति की जाती है और 75% पदों पर नई नियुक्तियाँ की जाती हैं। पदोन्नति एवं नियुक्तियाँ क्षेत्रीय स्तर पर की जाती हैं।

7. केंद्रीय विद्यालयों के प्रधानाचार्य एवं शिक्षकों का स्थानांतरण करना।

8. केंद्रीय विद्यालयों के प्रशासनिक, शैक्षिक एवं सहशैक्षिक क्रियाकलापों पर नियंत्रण रखना।

9. छात्र- छात्राओं की वार्षिक परीक्षा CBSE द्वारा सम्पन्न करना और प्रमाण पत्र देना।


माध्यमिक शिक्षा के क्षेत्र में योगदान (Contribution  in the field of Secondary Education)


1. यह संगठन पूरे देश में केन्द्रीय विद्यालयों की स्थापना कर स्थानान्तरणीय पदों पर कार्यरत केन्द्रीय कर्मचारियों के बच्चों के लिए समान पाठ्यक्रम एवं समान माध्यम की माध्यमिक शिक्षा उपलब्ध करा रहा है।

2. यह  केन्द्रीय विद्यालयों में कक्षा 6 से 9 तक संस्कृत का अध्ययन अनिवार्य कर राष्ट्रीय स्मिता की रक्षा कर रहा है।

3. यह  केन्द्रीय विद्यालयों में सहशिक्षा की व्यवस्था कर अन्य माध्यमिक विद्यालयों को मार्गदर्शन प्रदान कर रहा है।

4. केन्द्रीय विद्यालयों में शिक्षा का माध्यम एक साथ क्षेत्रीय भाषाओं और अंग्रेजी को बनाकर इसकी सम्भावनाओं को स्पष्ट कर रहा है।  

5. केन्द्रीय विद्यालयों में नवाचारों को प्रोत्साहित कर देश के अन्य माध्यमिक विद्यालयों का मार्गदर्शन कर रहा है।

6. केंद्रीय विद्यालयों में सतत एवं व्यापक मूल्यांकन (Continuous and Comprehensive Evaluation) प्रणाली लागू कर परीक्षाफल घोषित करके देश के अन्य माध्यमिक विद्यालयों एवं माध्यमिक शिक्षा बोर्डों का मार्गदर्शन कर रहा है।


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