बुद्धि के सिद्धान्त (Theories of Intelligence)
1. एक कारक या एक सत्तात्मक सिद्धान्त (Unitary or Monarchic Theory)
2. द्विकारक सिद्धान्त (Two factor or Bi-factor Theory)
3. त्रिकारक सिद्धान्त (Three Factor Theory)
4. बहुकारक सिद्धान्त (Multi-factor Theory)
5. समुह कारक सिद्धान्त (Group factor Theory)
6. त्रि-आयाम सिद्धान्त या बुद्धि सरंचना प्रतिमान (Three Dimensional Theory or S.I. Model)
7. बहु बुद्धि सिद्धान्त (Multiple Intelligence Theory)
8. प्रतिदर्श सिद्धान्त (Sampling or Oligarchic Theory)
एक कारक या एक सत्तात्मक सिद्धान्त (Unitary or Monarchic Theory)
बुद्धि एक इकाई कारक (Unit Factor), शक्ति या ऊर्जा (Energy) है, जो सम्पूर्ण मानसिक कार्यों (Mental Works) को प्रभावित करती है। ऐसे विचार फ्रान्स के निवासी अल्फ्रेड बिने ने सर्वप्रथम 1905 में दिए । बिने के इन विचारों का अमेरिका निवासी टरमैन (Terman), स्टर्न (Stern) तथा जर्मन के एबिंघास (Ebbinghaus) ने समर्थन किया। इन विद्वानों के अनुसार बुद्धि एक ऐसी शक्ति (Power) है, जो सभी मानसिक कार्यों को संचालित, संगठित तथा प्रभावित (Managed, Organized and Influenced) करती है। इस सिद्धान्त के अनुसार यदि किसी व्यक्ति में उच्च स्तरीय बौद्धिक योग्यताएँ (higher Intellectual Abilities) होती हैं तो वह सभी क्षेत्रों में कुशलता (Efficiency) तथा निपुणता (Proficiency) प्राप्त कर सकता है। बुद्धि रूपी इस सर्वशक्तिशाली मानसिक प्रक्रिया (Mental Process) को इन विद्वानों ने अलग-अलग नामों से पुकारा है। बिने ने बुद्धि के लिए ‘निर्णय लेने की योग्यता (Decision making ability)', स्टर्न ने 'नवीन स्थितियों के साथ समायोजन स्थापित करने की योग्यता’ (Ability to make adjustments to new situations) तथा टरमैन ने 'विचारने की योग्यता (Ability to think)' शब्दों का प्रयोग किया है।
द्विकारक सिद्धान्त( Two Factor or Bi-Factor Theory)
ब्रिटिश मनोवैज्ञानिक स्पीयरमैन (Spearman) ने 1904 में अपने प्रयोगों से यह निष्कर्ष निकाला कि बुद्धि दो कारकों (शक्तियों अथवा योग्यताओं) का से मिलकर हुई है। प्रथम कारक को उन्होंने सामान्य मानसिक योग्यता (General Mental Ability, G) तथा दूसरे कारक को विशिष्ट मानसिक योग्यता (Specific Mental Ability, S) कहा।
स्पीयरमैन के अनुसार- बुद्धि एक सर्वशक्तिमान सामान्य मानसिक शक्ति है, जो समस्या-समाधान में हमारी सहायता करती है एवं परिस्थितियों से समायोजन करने में सहायक होती है। (Intelligence is an all-powerful general mental power that helps us solve problems and adapt to situations.)
स्पीयरमैन ने स्पष्ट किया कि सामान्य योग्यता (G) व्यक्ति को सभी प्रकार के कार्यों में सहायता करती है और विशिष्ट योग्यता (S) उसे उसी कार्य में सहायता करती है जिसके लिए वह होती है। उन्होंने आगे स्पष्ट किया कि सामान्य योग्यता (G) एक ही होती है परन्तु विशिष्ट योग्यता (S) अनेक होती हैं। उन्होंने इन्हें क्रमशः सामान्य बुद्धि (General Intelligence) और विशिष्ट बुद्धि (Specific Intelligence) की संज्ञा दी और विभिन्न प्रकार की विशिष्ट योग्यताओं को S1, S2, S3, S4 आदि से व्यक्त किया है।
'G' कारक की विशेषताएँ (Characteristics of ‘G’ Factor)
- यह एक सामान्य मानसिक योग्यता (General Mental Ability) है जो सभी प्रकार के कार्यों के सम्पादन में सहायक होती है।
- सामान्य बुद्धि सभी व्यक्तियों में कम और अधिक मात्रा में पाई जाती है। अतः यह एक सर्वव्यापी योग्यता (Universal ability) है।
- 'G' कारक (Factor) पर प्रशिक्षण (Training) अथवा अनुभव (Experience) का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है अतः यह अपरिवर्तनीय (Irreversible) है तथा जन्मजात (In born) है।
- ‘G’ कारक मनुष्य की सफलताओं को निर्धारित करता है अर्थात् जिसमें 'G' की मात्रा जितनी अधिक होगी, वह जीवन में उतना ही अधिक सफल रहेगा।
- 'G' को व्यक्ति की सामान्य मानसिक ऊर्जा (General Mental Energy) के रूप में माना जा सकता है।
- 'S' कारक अर्थात् विशिष्ट योग्यता (Specific Ability) अनेक होती हैं।
- एक व्यक्ति में कई विशिष्ट योग्यताएँ (Specific Abilities) हो सकती हैं।
- अलग-अलग व्यक्तियों में अलग-अलग प्रकार की विशिष्ट मानसिक योग्यताएँ (Specific Mental Abilities) पाई जाती हैं।
- अलग-अलग तरह की विशिष्ट मानसिक क्रियाओं (Specific Mental Activities) के सम्पादन में अलग-अलग तरह की विशिष्ट बुद्धि की आवश्यकता होती है।
- यह बुद्धि न स्थिर (Stable) होती है और न ही जन्मजात (In born) होती है।
- 'S' कारक पर प्रशिक्षण (Training) तथा अनुभव (Experience) का किसी विशेष सीमा तक प्रभाव पड़ता है अर्थात् यह परिवर्तनीय (Convertible) है।
- किसी क्षेत्र विशेष के लिए व्यक्ति में उससे सम्बन्धित जितनी अधिक विशिष्ट बुद्धि (S) होगी वह उस क्षेत्र में उतना हीअधिक सफल होगा।
सम्बन्ध शिक्षण (Education of Relation) का अर्थ है - दो वस्तुओं (Objects) या वस्तु के भागों में सम्बन्ध का बोध (Sense) । (Understanding the relationship between two objects or parts of an object.)
विद्वानों ने स्पीयरमैन की यह बात तो स्वीकार की कि मनुष्य के कार्यों में उसकी सामान्य बुद्धि (G) और विशिष्ट बुद्धि (S) कार्य करती हैं परन्तु इस सिद्धान्त से यह स्पष्ट नहीं होता कि किसी कार्य के सम्पादन में उसकी किस बुद्धि अथवा कारक का कितना योगदान होता है? इसलिए उन्होंने इस सिद्धान्त को भी स्वीकार नहीं किया।
त्रिकारक सिद्धान्त (Three Factor Theory)
द्विकारक सिद्धांत (Two Factor Theory) की कमी को स्वयं स्पीयरमैन ने समझ लिया था और उस कमी को पूरा करने के लिए उन्होंने त्रिकारक सिद्धान्त (Three Factor Theory) का प्रतिपादन दिया। उन्होनें बुद्धि के G और S कारकों (Factors) के साथ एक तीसरा कारक-समूह कारक (Group Factor) और जोड़ दिया। समूह कारक से उनका तात्पर्य उस कारक से था जो G तथा S कारकों में समान रूप से विद्यमान रहता है।
समूह कारक, ‘G’ कारक की अपेक्षा कम सामान्य अर्थात् कुछ विशिष्टता ((Specialty) लिए होता है तथा, ‘S' कारक की अपेक्षा कम विशिष्ट अर्थात् 'S' कारक से अधिक सामान्य होता है ।
अमेरिकी मनोवैज्ञानिक थॉर्नडाइक (Thorndike) ने इस सिद्धान्त की आलोचना की और कहा बुद्धि को G , S और सामूहिक कारकों (Group Factors) के द्वारा स्पष्ट नहीं किया जा सकता ।
बुद्धि का बहुकारक सिद्धान्त (Multi-factor Theory of Intelligence)
- प्रतिपादक - एडवर्ड थॉर्नडाइक (अमेरिकी मनोवैज्ञानिक)
- इस सिद्धान्त के अन्य नाम- असत्तात्मक सिद्धान्त (Anarchic Theory), बालू के टीले का सिद्धांत (Sand Dune Theory), परमाणुवादी सिद्धान्त (Atomistics Theory), विशेष तत्वों का सिद्धान्त (Special Elements Theory) ।
- थॉर्नडाइक के अनुसार बुद्धि विशिष्टीकृत और स्वतन्त्र मानसिक शक्तियों के मिश्रण से बनी है—(Intelligence is comprised of highly particularized and independent faculties)।
- थॉर्नडाइक के मत से बुद्धि में प्रमुख योग्यताओं का होना आवश्यक है-
- P1 = शाब्दिक योग्यता (Verbal Ability)
- P2 = आंकिक योग्यता (Number Ability)
- P3 = तार्किक योग्यता ( Logical Ability)
- P4 = स्मृति योग्यता (Memory Ability)
- P5 = स्थानिक योग्यता (Spatial Ability)
- P6 = भाषा योग्यता (Language Ability)
- यह सिद्धान्त सामान्य बुद्धि (G) जैसे किसी कारक को नहीं मानता है।
- यह सिद्धान्त विशिष्ट बुद्धि (S Factor) का समर्थन करता है।
- बुद्धि अलग-अलग कारकों या तत्वों से मिलकर बनी हुई है, इसलिये इसे बहुकारक या बहुतत्व सिद्धान्त कहा जाता है। (Intelligence is made up of different factors or elements, hence it is called multifactor or multi-element theory.)
- अनेक छोटे -छोटे तत्व मिलकर बुद्धि का निर्माण करते हैं इसलिए इस सिद्धान्त को परमाणुवादी सिद्धान्त के नाम से जाना जाता है। (Many small elements together form intelligence, hence this theory is known as atomistic theory.)
- इस सिद्धान्त के अनुसार यदि कोई व्यक्ति किसी एक प्रकार के कार्य को आसानी से कर लेता है तो इससे हम यह अनुमान नहीं लगा सकते हैं कि वह दूसरे क्षेत्र से सम्बन्धित कार्यों को भी उतनी ही अधिक कुशलता के साथ सम्पन्न कर सकेगा।
- थॉर्नडाइक शुरू में यह मानते थे कि प्रत्येक मानसिक कार्य को करने के लिए अलग से एक स्वतन्त्र कारक (Independent factor) की आवश्यकता होती है, लेकिन बाद में वे इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि किसी भी मानसिक क्रिया को करने में कई तत्व एक साथ मिलकर कार्य करते हैं। जब कई योग्यताएँ मिलकर किसी कार्य को करती हैं तो उनमें आपस में सह-सम्बन्ध पाया जाता है।
- थॉर्नडाइक ने बुद्धि की चार विशेषताएँ बताई-
(1) स्तर (Level)- स्तर का शाब्दिक अर्थ होता है कि किसी विशेष कठिनाई स्तर का कितना कार्य किसी व्यक्ति द्वारा किया जा सकता है। (How much work of a particular difficulty level can be done by a person.)
(2) विस्तार (Range)- इसका अर्थ कार्य की उस विविधता (Diversity) से है जो किसी स्तर पर कोई व्यक्ति समस्या का समाधान कर सकते हैं। (Someone at some level can solve the problem.)
(3) क्षेत्र (Area)- क्षेत्र का अभिप्राय क्रियाओं की उन कुल संख्याओं से है जिनका हम समाधान कर सकते हैं।
(4) गति (Speed)- इसका अर्थ कार्य करने की गति से है। (It is the speed of work.)
इन चारों विशेषताओं के आधार पर ही बुद्धि परीक्षणों का निर्माण तथा क्रियान्वयन किया जाता है।
केली ने बुद्धि के 9 कारक (Factor) बताये, गिलफोर्ड ने 120 तथा अन्य ने अलग संख्या बताई। अतः अभी तक न तो पूरे कारकों की संख्या निश्चित हो पाई है और न ही न सभी कारकों को खोजा जा सकता है। अतः यह सिद्धान्त अभी अपूर्णता (imperfection) की स्थिति में प्रतीत होता है।
समूह कारक सिद्धान्त (Group Factor of Theory)
- प्रतिपादक- Louis Leon Thurstone (1937 or 1938)
- शिकागो विश्वविद्यालय में कारक विश्लेषण (Factor analysis) विधि का प्रयोग करके इस सिद्धान्त का प्रतिपादन किया।
- इस सिद्धांत के अनुसार समूह कारक सिद्धान्त (Multi-factor Theory) न तो इस तथ्य को स्वीकार करता है कि बुद्धि में अनेक योग्यताएँ (Multiple abilities) निहित हैं और न ही बुद्धि को सामान्य योग्यता तथा विशिष्ट योग्यता (General Ability and Specific Ability) जैसे तत्वों में बाँटने को स्वीकार करता है।
- थर्सटन ने बुद्धि से सम्बन्धित हजारों शब्दों को एकत्र किया तथा कारक विश्लेषण विधि (Factor Analysis Method) द्वारा मुख्य कारकों (main Factors) के समूह बनाये। उसके अनुसार मानसिक योग्यताओं के अनेक समूह हैं (There are several groups of mental abilities) तथा प्रत्येक समूह का अपना एक प्राथमिक कारक (Primary factor) होता है जो उस समूह का प्रतिनिधित्व (Representation) करता है। मुख्य कारक अपने समूह की योग्यताओं को मनोवैज्ञानिक तथा क्रियात्मक (Functional) एकता प्रदान करता है। थर्सटन का मत है कि ये प्राथमिक कारक एक-दूसरे से अपेक्षाकृत (Relatively) स्वतन्त्र होते हैं ।
- बुद्धि (I) = N + V + S + W + R + M + P
- थर्सटन ने अनेक प्रयोग (Experiments) किये और कारक विश्लेषण के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला कि बुद्धि के सात प्राथमिक कारक (Primary Factor) हैं।
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- मौखिक अथवा शाब्दिक योग्यता (Verbal compression or Ability -V) – यह योग्यता शब्दों का उचित प्रयोग करने, शब्दकोष बढ़ाने, तर्क तथा वार्तालाप करने में सहायक है।
- आंकिक योग्यता (Numerical Ability-N) - यह योग्यता आंकिक गणनाओं को शीघ्रता तथा शुद्धता से करने में सहायक है।
- शब्द-प्रवाह (Word Fluency-W) –
यह अपने विचारों को प्रवाहपूर्ण भाषा में अभिव्यक्त करने की योग्यता (Ability to express one's thoughts fluently) है। - स्थान से सम्बन्धित योग्यता (Visual or Spatial Ability S ) – यह व्यक्ति की वह योग्यता है जो उसे स्थान तथा दूरी से सम्बन्धित संरचनाओं का ज्ञान कराने में सहायक है। (It helps in providing knowledge about structures related to place and distance.)
- तार्किक योग्यता (Reasoning Ability-R) - यह किसी व्यक्ति की तार्किक आधारों पर किसी समस्या को हल करने की क्षमता है। (It is the ability of a person to solve a problem on logical grounds.) इसमें आगमन (Inductive) तथा निगमन (Deductive) दो प्रकार की योग्यता निहित है।
- स्मृति (Memory - M) - यह किसी विषय सामग्री को याद करने, उसे धारण करने तथा समय पर उसका प्रत्यास्मरण (Recall) करने की योग्यता है। (It is the ability to memorize, retain, and recall subject matter in a timely manner.)
- प्रत्यक्षीकरण की योग्यता (Perceptual Ability P) - यह किसी घटना अथवा वस्तु को शीघ्रता तथा बारीकी से देखने व पहचानने, उसके बारे में प्रत्यय (Concept) बनाने तथा समानता एवं असमानता का अभिज्ञान कराने की योग्यता है।
- थर्सटन ने प्रारम्भ में यह बताया था कि प्राथमिक कारक एक दूसरे से स्वतन्त्र हैं लेकिन परिणामों का विश्लेषण करने पर पता चला कि ये एक-दूसरे से सार्थक सह-सम्बन्ध रखते हैं, जिस कारण थर्सटन ने यह निष्कर्ष निकाला कि बुद्धि में प्राथमिक कारकों के अतिरिक्त द्वितीय स्तर के कारक (Second order factors) भी हैं। (The primary factors are independent of each other, but after analyzing the results it was found that they have significant correlation with each other, due to which Thurstone concluded that apart from the primary factors, there are also second order factors in intelligence.)
- इस क्षेत्र में केली (Kelly) ने भी महत्वपूर्ण कार्य किया है तथा उसने बुद्धि का निर्धारण करने वाली 9 योग्यताएँ बताई हैं।
- थर्सटन ने 7 मानसिक योग्यताओं के आधार पर बुद्धि मापन के लिए एक बुद्धि परीक्षण भी तैयार किया था जिसे प्राथमिक मानसिक योग्यता परीक्षण (Primary Mental Ability Test) कहा जाता है।
- थर्सटन का मानसिक योग्यताओं का परीक्षण निदानात्मक कार्यों एवं शैक्षिक तथा व्यवसायिक निर्देशन के क्षेत्र में बहुत महत्वपूर्ण सिद्ध हुआ है। (Testing of mental abilities has proved to be very important in diagnostic work and in the field of educational and vocational guidance.)
- प्राथमिक मानसिक योग्यता परीक्षण व्यक्तियों की अलग-अलग बुद्धियों के शतांक (Percentile Rank) की प्रोफाइल तैयार करने में बहुत उपयोगी पाया गया। यह प्रोफाइल निर्देशन प्रक्रिया के लिए बहुत ही उपयोगी हैं
त्रि-आयाम सिद्धान्त (Three Dimensional Theory or S. I. Model)
- प्रतिपादक - जे0पी0 गिलफोर्ड (J.P. Guilford)
- गिलफोर्ड ने बुद्धि की संरचना (Structure of Intelligence) को एक व्यवस्थित तीन आयाम प्रतिमान (Three Dimensional Model) के रूप में प्रस्तुत किया हैं। इसे बुद्धि का संरचना प्रतिमान (Structure of Intelligence Model, S.I. Model) कहते हैं।
- इस प्रतिमान के तीन आयाम हैं-
2. संक्रियाएँ (Operations) - 5
3. उत्पाद (Product) - 6
- बुद्धि इन 4 × 5 × 6 = 120 मानसिक योग्यताओं का योग हो सकती है।
- गिलफोर्ड के अनुसार कोई भी बौद्धिक घटनाएं इन तीन आयामों के आधार पर घटती हैं , इस प्रतिमान की प्रत्येक वर्ग में कम से कम एक कारक योग्यता अवश्य होती है कुछ में एक से अधिक भी हो सकती है। उनके अनुसार प्रत्येक कारक की व्याख्या इन तीन आयामों के संदर्भ में ही की जा सकती है।
1. संक्रिया/प्रक्रियाएं (Operations)— संक्रिया से तात्पर्य व्यक्ति द्वारा किये जाने वाले कार्य में की गयी मानसिक प्रक्रिया की प्रकृति से है। (Operation refers to the nature of the mental process involved in the work performed by a person.) गिलफोर्ड ने मानसिक क्रियाओं की प्रकृति के आधार पर संक्रिया को पाँच भागों में विभक्त किया है।
(i) संज्ञान (Cognition-C)- संज्ञान के अन्तर्गत सूचनाओं की खोज करना, उनका पुनःअन्वेषण (rediscovery) करना तथा प्रत्यभिज्ञान (identification) करना आता है। यह सीखने की सबसे महत्वपूर्ण संक्रिया है।
(ii) स्मृति (Memory-M)- इस प्रक्रिया में सूचनाओं को धारण करना (retain information) तथा आवश्यकता पड़ने पर उनका प्रत्यास्मरण (Recall) करना होता है।
(iii) परम्परागत चिन्तन (Convergent thinking-N) - इस प्रकार के चिन्तन को अभिसारी चिन्तन भी कहते हैं। इसमें समस्या अथवा प्रश्न का हल एक पूर्व सुपरिचित उचित उत्तर देकर किया जाता है। अर्थात् दी गयी जानकारी के आधार पर अनुक्रिया की जाती है। (Response is made based on the information provided.)
(iv) गैर-परम्परागत चिन्तन (Divergent thinking)-D) - इस प्रकार के चिन्तन को अपसारी चिन्तन भी कहते हैं। इसमें लीक से हटकर किसी समस्या का समाधान अनेक नवीन (Novel) विधियों के द्वारा किया जाता है। गैर-परम्परागत चिन्तन का क्रियात्मकता (Functionality) से घनिष्ठ सम्बन्ध है।
(v) मूल्यांकन (Evaluation-E)- मूल्यांकन की प्रक्रिया में प्राप्त सूचनाओं की पर्याप्तता का आकलन करके निर्णय लेना होता है। इसमें इस बात का पता लगता है कि हमने क्या सीखा, क्या याद है, और कितना उत्पादन कर सके? इसके साथ-साथ यह भी निर्णय लेना होता है कि प्राप्त सूचना पूर्ण है अथवा अधूरी, उपयुक्त है अथवा अनुपयुक्त और कितनी उपयोगी है। है
2. विषय-वस्तु (Content)- विषय-वस्तु से तात्पर्य उस सामग्री (Material) से है जिसके आधार पर मानसिक प्रक्रियाएँ (mental processes) की जाती हैं। गिलफोर्ड ने विषय-वस्तु से सम्बन्धित सूचनाओं को चार भागों में विभक्त किया है -
(i) चित्रात्मक (Figural-F)- इसमें वह मूर्त सामग्री आती है जिसका अनुभव इन्द्रियों (Senses) द्वारा किया जा सकता है। दृश्य सामग्री में रूप, आकार (Size) तथा रंग जैसे गुण विद्यमान रहते हैं।
(ii) सांकेतिक (Symbolic-S) - इस सामग्री में वर्ण, अक्षर, अंक तथा अन्य परम्परागत चिह्न (Characters, letters, numbers and other conventional symbols) आते हैं।
(iii) शाब्दिक/भाषीय योग्यता (Semantic-M) - इसमें मौखिक, लिखित शब्दों, वाक्यों अथवा विचारों (spoken or written words, sentences, or ideas) आदि का अर्थ करना होता है।
(iv) व्यवहारात्मक (Behavioural - B) - इसके अन्तर्गत मानवीय व्यवहारों तथा अन्तःक्रियाओं (human behavior and interactions) की अशाब्दिक (Non-Verbal) जानकारी आती है। यह एक प्रकार से सामाजिक बुद्धि (Social intelligence) से सम्बन्धित है जो हमें स्वयं को तथा दूसरों को समझने का कार्य करती है।
3. उत्पाद (Product)- उत्पाद से तात्पर्य निष्पादन (performance) से है जो व्यक्ति द्वारा विषय-सामग्री (Content) पर मानसिक प्रक्रियाओं (operation) के परिणामस्वरूप सम्पादित होता है। गिलफोर्ड ने इसे 6 भागों में विभक्त किया है।
(i) इकाइयाँ (Units-U)- यह उत्पाद का सबसे सरल रूप है। इसमें सूचनाओं का समावेश दृश्य (Visual), श्रव्य (auditory) तथा सांकेतिक इकाइयों (symbolic units) के रूप में होता है। इस श्रेणी में अधिकांश सार्थक तथा छोटी- छोटी सूचनाएँ आती हैं। जैसे- शब्दों के अर्थ, शब्दों की सूचियाँ आदि ।(Meanings of words, lists of words etc.)
(ii) वर्ग (Classes-C)—विचारों तथा शब्दों आदि को उनके गुणों के आधार पर वर्गीकृत किया जाता हैं (Ideas and words are classified according to their properties.) अर्थात् समान विशेषताओं के आधार पर इकाइयों को समूहबद्ध करते हैं। जैसे- मेज + कुर्सी + बेंच + स्टूल = फर्नीचर | (For example- table + chair + bench + stool = furniture.)
(iii) सम्बन्ध (Relations-R)- प्रत्यक्षीकरण (perception) द्वारा वस्तुओं के बीच उनके आकार अथवा सांकेतिक गुणों (shape or symbolic properties) के आधार पर सम्बन्धों (Relations) को समझते हैं तथा प्रत्ययात्मक (Conceptual) सामग्री में सम्बन्ध स्थापित करते हैं।
(iv) प्रणालियाँ (System-S) - सम्बन्धों के संश्लेषण (Synthesis), संगठन (Organisation) तथा वर्गीकरण (Classification) द्वारा वस्तुओं तथा सांकेतिक तत्वों की सरंचना (Structure of objects and symbolic elements) करते हैं। जैसे गणित की विभिन्न समस्याओं (Problem) को हल करने के लिए विभिन्न सूत्रों का प्रतिपादन करना।
(v) रूपान्तरण (Transformation-T) - विषय वस्तु पर मानसिक क्रियाएं करते समय प्राप्त अनुभवों के आधार पर विषय सामग्री के स्वरूप में कुछ परिवर्तन करना अथवा उसे पूरी तरह से पुनः संगठित करना अथवा पुनः संरचित (Restructurised) करना एवं पुनःसंरचना करने के फलस्वरूप परिणामों के आकलन करना।
(vi) निहितार्थ (Implications-I)- सूचना सामग्री तथा संक्रियाओं की अन्तःक्रिया (Interaction) के फलस्वरूप घटित परिणामों का निष्कर्ष निकालना तथा उनका दूसरी परिस्थितियों में उपयोग करना अर्थात् वर्तमान ज्ञान को भविष्योन्मुख बनाना है।
- गिलफोर्ड ने बाद में चित्रात्मक (figural) विषय-वस्तु को दो भागों विभक्त किया-
- संभावित योग्यताएं 5 × 6 × 5 = 150 का SI मॉडल दिया।
- इसके अतिरिक्त उन्होंने 1988 में स्मृति संक्रिया को भी अंकन स्मृति (Memory Recording) जो सूचनाओं को अंकित (coding) करती है तथा धारण स्मृति (Memory Retention) जो सूचनों को धारण करने की योग्यता का प्रतिनिधित्व करती है, में विभक्त करके 5 × 6 × 6 = 180 संभावित योग्यताओं का SI मॉडल प्रस्तुत किया।
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| SI Model with 180 Intellectual Ability |
त्रि-आयाम सिद्धान्त के अनुसार बुद्धि में 120 से भी अधिक योग्यताएँ हो सकती हैं। इस संदर्भ में प्रथम बात तो यही है कि इन 120 मानसिक योग्यता में अभी तक केवल 70 योग्यताओं का ही मापन हो पाया है। इतनी अधिक योग्यताओं के आधार पर बुद्धि के स्वरूप को समझना भी कठिन है। इस मॉडल के आधार पर व्यक्ति की बुद्धि से सम्बन्धित क्षमताओं के बारे में भविष्य कथन करना आसान कार्य नहीं है।
अतः इस दृष्टि से भी यह मॉडल अपूर्ण प्रतीत होता है। फैरस (Phares) के अनुसार गिलफोर्ड का यह सिद्धान्त एक सिद्धान्त के रूप में न लगकर बुद्धि के वर्गीकरण के रूप में अधिक लग रहा है।
त्रि-आयाम सिद्धान्त के शैक्षिक उपयोग (Educational Implications of Three-Dimensional Theory)
- इस सिद्धान्त के अनुसार - अधिगम-सूचनाओं की खोज करना है न कि S-R के बीच सम्बन्ध स्थापित करना। अतः यह मॉडल उच्च स्तर की मानसिक प्रक्रियाओं जैसे- समस्या समाधान तथा रचनात्मकता (creativity) को समझने के लिए एवं पाठ्यक्रम निर्धारण के सिद्धान्तों में परिवर्तन करने के लिए दिशा निर्देश प्रदान करता है।
- यह मॉडल शिक्षा में विशिष्ट आदतों तथा कौशल (skills) के सीखने पर बल देता है न कि परम्परागत मन (mind) के प्रशिक्षण पर।
- हमें पाठ्यक्रम बनाते समय यह ध्यान रखना चाहिये कि विषय-वस्तु, संक्रियाओं तथा उत्पाद में इस तरह का संगम विकसित किया जाये कि छात्रों की बौद्धिक क्षमताओं में सुधार हो सके।
- यह मॉडल सृजनशील तथा प्रतिभावान छात्रों के लिए अनेक प्रकार के कार्यक्रमों की योजना बनाने के लिए मार्ग प्रशस्त करता है।
- यदि कोई छात्र अपने बौद्धिक स्तर के अनुकूल निष्पादन नहीं कर पा रहा है तो शिक्षकों को चाहिये कि उसकी विभिन्न योग्यताओं का ठीक से मापन करे तथा उसकी क्षमताओं के अनुरूप शिक्षण पद्धति का प्रयोग करके समस्या का निवारण करें।
गार्डनर का बहु बुद्धि सिद्धान्त (Gardner's Multiple Intelligence Theory)
बुद्धि के बहु पहलुओं का विस्तार से अध्ययन करने में हावर्ड गार्डनर ने सराहनीय कार्य किया तथा न्यूरो मनोविज्ञान के क्षेत्र में किये गये अनुसन्धानों के आधार पर 1983 में एक नये बहु बुद्धि सिद्धान्त का प्रतिपादन किया। उसने अपनी पुस्तक "Frames of Mind: The theory of Multiple Intelligence" में सात प्रकार की बुद्धि का वर्णन किया है। उसके अनुसार बुद्धि के सातों कारक पूर्णतः आनुवंशिक नहीं होते हैं बल्कि ये उचित सामाजिक तथा भौतिक वातावरण एवं किसी विशेष प्रकार के प्रशिक्षण (Training) द्वारा विकसित किये जा सकते हैं।
उनके अनुसार बुद्धि वास्तव में संदर्भित बुद्धि (Contextualized Intelligence) होती है। गार्डनर का मानना है कि व्यक्ति में विभिन्न बुद्धियों के प्रति कुछ प्रवृत्तियां होती हैं। “बुद्धि किसी विशिष्ट सांस्कृतिक सन्दर्भ में जैविक प्रवृत्तियों और सीखने के अवसरों के बीच होने वाली अन्तःक्रिया के रूप में होती है।" (Intelligence is always an interaction between biological pro-activities and opportunities for learning in a particular cultural context.)
गार्डनर द्वारा बुद्धि के 7 प्रकार दिए गए जो कि निम्न हैं-
1. भाषायी बुद्धि (Linguistic Intelligence) -
इस बुद्धि के द्वारा व्यक्ति अपने विचारों को भाषा के रूप में अभिव्यक्त करने की योग्यता प्राप्त करता है। जिस व्यक्ति में यह बुद्धि अधिक होती है उसकी बोधक्षमता (Comprehension ability) अर्थात् भाषा सीखने की योग्यता अन्य लोगों की अपेक्षा अधिक होती है। उसका शब्दावली (Vocabulary) पर अधिकार (Command) होता है एवं वह शब्दों में सम्बन्ध स्थापित करने में दक्ष होता है।
Ex.- अच्छे शिक्षक, कवि, पत्रकार, लेखक, वक्ता तथा नेताओं में भाषायी बुद्धि अधिक होती है ।
2. तार्किक -गणितीय बुद्धि (Logical-mathematical Intelligence) -
यह बुद्धि व्यक्ति की तर्क शक्ति, विश्लेषण क्षमता तथा गणित की समस्याओं के हल करने में परिलक्षित होती है। इस तरह ही बुद्धि वाले व्यक्ति आंकिक श्रेणियाँ (Numerical Series ) को शीघ्रता से हल कर लेते हैं। वे संख्याओं को जोड़ना, घटाना, गुणा करना, भाग देना आदि तीव्र गति से करते हैं।
Ex.- Mathematician, Accountant, Banker etc.
3. दृष्टिमूलक-स्थानिक बुद्धि (Visual-spatial Intelligence)-
यह बुद्धि व्यक्ति की स्थानिक कल्पना शक्ति (Spatial visualization), स्थानिक चित्रों (Spatial figures) में सम्बन्ध स्थापित करने तथा प्रत्ययों का निर्माण करने (Concept formation) की दक्षता के रूप में जानी जाती है। इस प्रकार के व्यक्ति स्थानों के रास्ते याद रखने, वस्तुओं तथा मशीनों की संरचनाएं समझने एवं यान्त्रिक कौशलों (Mechanical Skills) में बड़े निपुण होते हैं।
Ex. - मूर्तिकार, चित्रकार, नाविक, विमान चालाक आदि।
4. संगीतात्मक बुद्धि (Musical Intelligence ) –
यह बुद्धि संगीत से सम्बन्धित लय (rhythm) तथा आरोह-अवरोह (Pitch) की संवेदनशीलता की क्षमता के द्वारा जानी जाती है। इस प्रकार की बुद्धिवाला व्यक्ति संगीतात्मक सामर्थ्य (Musical Competence) का धनी होता है।
Ex.- Music Composer, Singer etc.
5. शारीरिक गति बोधक बुद्धि (Kinesthetic Intelligence)-
यह बुद्धि व्यक्ति की शारीरिक क्रियाओं द्वारा अभिव्यक्त होती है, जैसे-खेलना, कूदना, यौगिक क्रियाएँ करना, नृत्य करना तथा अन्य प्रकार के शारीरिक करतब दिखाना जैसा कि सर्कस के कलाकार एवं नट लोग दिखाते हैं।
6. अन्तर्वैयक्तिक बुद्धि (Interpersonal Intelligence) -
यह बुद्धि व्यक्ति को अन्य लोगों के भावों, संवेगों, आवश्यकताओं तथा अभिप्रेरणाओं को समझने में समर्थ बनाती है। इस प्रकार की बुद्धि वाला व्यक्ति दूसरे लोगों से प्रभावशाली ढंग से अन्तः क्रिया करता है और उनके द्वारा किये जाने वाले व्यवहार का पूर्वानुमान कर लेता है।
Ex.- Psychologist, Social Workers etc.
7. अंतःवैयक्तिक बुद्धि (Intrapersonal Intelligence)-
यह बुद्धि व्यक्ति को अपने भावों तथा संवेगों को नियन्त्रित तथा निर्देशित करने की क्षमता के रूप में जानी जाती है। इस प्रकार की बुद्धि वाले व्यक्ति में अपने अनुसार कार्य करने, आत्म निर्भर रहने, स्वाध्याय करने तथा अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की प्रबल प्रकृति होती है।
Ex.- Philosopher, Psychiatrist, Design Planner etc.
इन सात प्रकार की बुद्धि के अतिरिक्त गार्डनर ने 1998 में प्रकृतिवादी बुद्धि तथा 2000 में अस्तित्ववादी बुद्धि नामक दो अन्य बुद्धि के प्रकार अपने सिद्धान्त में सम्मिलित किये। अतः उसने नौ प्रकार की बुद्धि का उल्लेख किया है
8. प्रकृतिवादी वुद्धि (Naturalistic Intelligence)–
प्रकृतिवादी बुद्धि से तात्पर्य व्यक्ति की उस क्षमता से है जो प्रकृति में पाये जाने वाले पैटर्न (Pattern) तथा समरूपक (Symmetry) का बारीकी से निरीक्षण करके उसकी ठीक-ठीक पहचान करने के कार्य में सहायता करती है। इस बुद्धि का उपयोग कृषि (Agriculture), जीव विज्ञान (Zoology) तथा वनस्पति विज्ञान (Botany) के क्षेत्र से सम्बन्धित रहस्यों को उजागर करने में अधिक होता है। जिन व्यक्तियों में इस प्रकार की बुद्धि अधिक होती है, वे सफल किसान, जैव वैज्ञानिक तथा वनस्पति विशेषज्ञ बनते हैं।
9. अस्तित्ववादी बुद्धि (Existentialistic Intelligence) -
यह व्यक्ति की वह बुद्धि है जो उसे मानव संसार के रहस्यमय विषयों, जैसे-आत्मा-परमात्मा, जीवन-मरण तथा मानवीय अनुभूतियों (सुख-दुख) आदि को जानने के प्रति जिज्ञासु बनाती हैं। इस तरह की बुद्धि दार्शनिक विचारकों (Philosophical Thinkers) में अधिक पाई जाती है।
गार्डनर ने बुद्धि की तीन विशेषताएँ-
1. बुद्धि को मापा जा सकता है।
2. बुद्धि का व्यक्ति की संस्कृति में महत्व होता है।
3. बुद्धि व्यक्ति के जीवन में आने वाली समस्याओं के समाधान में सहायक होती है।
गार्डनर के सिद्धान्त का शैक्षिक उपयोग(Educational Implication of Gardner Theory)
यह सिद्धान्त निम्न दो क्षेत्रों में काफी योगदान दे सकता है-
- यह सिद्धान्त पाठ्यक्रम में कुछ ऐसे विषयों को भी सम्मिलित करने के लिए अभिप्रेरित करता है जो छात्रों को कल्पनात्मक लेखन (Imaginative Writing), स्वरलिपि (Musical notion), नृत्य (Dancing) तथा दृष्टि कला (Visual arts) आदि क्षेत्रों में विशेष दक्षता प्राप्त करने में सहायक सिद्ध हों।
- शिक्षक को चाहिये कि वह छात्रों की बुद्धि का अध्ययन करके पता लगाये कि किस छात्र में कौन-सी बुद्धि असाधारण रूप से अधिक मात्रा में है तथा उसको उसी क्षेत्र में विशिष्टता प्राप्त करने के लिए प्रेरित करे । छात्रों की विभिन्न प्रकार की बुद्धि को विकसित करने के लिए उन्हें निर्देश दे । जैसे— उनकी तार्किक गणितीय बुद्धि विकसित करने के लिए उन्हें समस्याओं का विश्लेषण करने, संश्लेषण करने, आगमन-निगमन विधि के लिए प्रशिक्षित करने, ज्यामिति की प्रमेय सिद्ध करने, वाद-विवाद प्रतियोगिता आयोजित करने के लिए निर्देशित तथा अभिप्रेरित करें।






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