Friday, May 28, 2021

सृजनात्मकता के विकास में शिक्षकों की भूमिका (Role of Teachers in the Development of Creativity)

 सृजनात्मकता के विकास में शिक्षकों की भूमिका   (Role of Teachers in the Development of Creativity)

 अध्यापक की भूमिका ऐसी होनी चाहिए कि वह विद्यार्थी को उसकी सृजनात्मकता की प्रवृत्ति की अभिव्यक्ति हेतु उपयुक्त माध्यम ढूंढने में समुचित दिशा निर्देशन करें। सर्जनशीलता को विकसित करने के लिए गिलफोर्ड Guilford), आसबर्न (Osborn) आदि मनोवैज्ञानिकों ने निम्नलिखित व्यवहारिक सुझाव दिये है -

1. बालकों में सृजनात्मकता का विकास करने के लिए शिक्षक को स्वयं भी सृजनात्मक प्रवृत्ति का होना चाहिए उसे चाहिए कि वह स्वयं भी साहित्य (Literature), विज्ञान, कला आदि के क्षेत्र में सृजन कार्य करे और छात्रों के समक्ष एक उदाहरण प्रस्तुत करे। इससे  बालकों को प्रेरणा एवं प्रोत्साहन प्राप्त होता है। 

2.  शिक्षक द्वारा  छात्रों में  विभिन्न सृजनात्मक कार्यों की  नवीनतम् सूचनाओं के  संग्रह करने का अवसर एवं सुविधा प्रदान की जानी  चाहिए । 

3.  शिक्षकों द्वारा  बालकों को ऐसा वातावरण प्रस्तुत किया जाये, जो प्रोत्साहित करने वाला और क्रियाशीलता एवं नम्यता (Flexibility) की शिक्षा देने वाला हो।

4. जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में जैसे सामाजिक (Social), आर्थिक (Economic), राजनैतिक (Political), वैज्ञानिक (Scientific), तकनीकी (technology) और शैक्षिक (Educational) आदि समस्याओं के समाधान की  योजना प्रस्तुत करके छात्रों से हल कराने का प्रयत्न किया जाय।

5 . सुधार, निर्माण खोज और आविष्कार की क्रियाओं में छात्रों को लगाया जाय। इससे उनमें सृजनात्मकता का विकास होगा।

6 . अध्यापक को चाहिए कि वह छात्रों को विभिन्न स्रोतों से ज्ञान (Knowledge), कौशल (Skill) एवं अन्य सूचनाएँ  (Other Information) ग्रहण करने और संग्रह करने को प्रेरित करे। 

7 . शिक्षकों द्वारा  बालकों को   उत्तर देने की पर्याप्त स्वतंत्रता प्रदान की जानी  चाहिए  । 

8.  शिक्षकों द्वारा  बालकों  को   उचित अवसर व वातावरण उपलब्ध कराना चाहिए  । 

9. बालकों में मौलिकता  एवं लचीलेपन के गुणों को विकसित करने का प्रयास किया जाना चाहिए ।

10.बालकों के डर (Fear) एवं झिझक (hesitation) को दूर करने का प्रयास किया जाये।

11. बालकों के लिए सृजनात्मकता को विकसित करने वाले उपकरणों (Tools) की व्यवस्था की जानी चाहिए।

12. बालकों  मे सृजनात्मकता को विकसित करने के लिए विशेष प्रकार की तकनीकी (Technology) का प्रयोग करना चाहिए। जैसे:- मस्तिश्क विप्लव (Brain Storming), किसी वस्तु के असाधारण प्रयोग, शिक्षण प्रतिमानों (Teaching models) का प्रयोग, खेल विधि (Play Method) आदि।

13. बालकों  के लिए सृजनात्मकता को विकसित करने के लिए पाठ्यक्रम में सृजनात्मक विषय- वस्तुओं का समावेश (Inclusion) किया जाना चाहिए।

14. बालकों  में सृजनात्मकता के प्रशिक्षण (training) एवं विकास (development) के लिए उन्हें अपने उत्तर  का स्वयं ही वास्तविक मूल्यांकन (Actual Evaluation) करने के लिए प्रेरित किया जाय। अर्थात् किसी समस्या के समाधान अथवा नवीन रचना के लिए बालक ने जिन तथ्यों को लागू करने का निश्चय किया है, उसका वह स्वयं ही मूल्यांकन करे कि क्या वे उस समस्या के समाधान अथवा रचना में सहायक होंगे।




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