Sunday, May 30, 2021

स्मृति का अर्थ, परिभाषा एवं अवस्थाएँ (Meaning, Definition & Stages of Memory)

 

स्मृति (Memory)

अर्थ (Meaning) -


हमारे कार्य, अनुभव या विषय वस्तु (Subject-matter) कुछ समय तक चेतन मन में रहते हैं किंतु बाद में वह अचेतन मन (Unconscious Mind) में चले जाते है और हम उसे भूल जाते हैं। इन अनुभव (Experience) विषय वस्तु (Subject-Matter), कार्य को अचेतन मन (Unconscious Mind) में संचित रखने और आवश्यकता पड़ने पर चेतन मन (Conscious Mind) में लाने की प्रक्रिया को स्मृति  (Memory)कहते हैं।
सामान्यतः व्यक्ति द्वारा अर्जित सूचनाएं मस्तिष्क में संचित करने की क्षमता स्मृति कहलाती है।
अतः स्मृति वह मानसिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा मनुष्य अपने पूर्व अनुभवों को मानसिक संस्कार के रूप में अपने अचेतन मन में संचित रखता है और आवश्कयता पड़ने पर अपनी वर्तमान चेतना में ले आता है।
स्मृति पर सबसे पहले क्रमबद्ध अध्ययन - Hermann Ebbinghaus (1885)

परिभाषाएँ (Definitions)

हिलगार्ड (Hilgard) के अनुसार –  स्मृति वह मानसिक प्रक्रिया है जिसमें अतीत में सीखे गये ज्ञान, अनुभव या कौशल का पुनःस्मरण किया जाता है । (Memory is that mental process which involves recalling the previously learned knowledge, experience or skill.)

वुडवर्थ (Woodworth) के अनुसार —  स्मृति सीखे गये ज्ञान का सीधा उपयोग है। ('Memory is the direct use of what is learned.)-

रायबर्न (Ryburn) के अनुसार —  हमारे अनुभवों को संचित करने तथा कुछ देर बाद उन्हें चेतना के क्षेत्र में लाने वाली शक्ति को स्मृति कहा जाता है  (The power that we have to store our experiences and to bring them in the field of consciousness some time after the experiences have occurred, is termed memory.) 

मैक्डूगल (Mc Dougall)के अनुसार — स्मृति से तात्पर्य है भूतकालीन घटनाओं के अनुभव की कल्पना करना एवं यह पहचान लेना कि वे अपने ही भूतकालीन अनुभव हैं। (Memory implies imaging of events as experienced in the past and recognizing them as belonging to one's own past experiences.)

स्टाउट (Stout)  के अनुसार— “स्मृति एक आदर्श पुनरावृत्ति है। जिसमे अतीत काल के अनुभव उसी क्रम व ढंग से जागृत होते हैं, जैसे वे पहले हुए थे । (Memory is the merely reproduction in which the objects of past experiences are reinstated as far as possible in the order and manner of their original occurrence.)

स्मृति की अवस्थाएँ (Stages of Memory)


मनोवैज्ञानिकों ने स्मृति की तीन अवस्थाएँ (Stages) अथवा तत्त्व (Components) बताए हैं-


1. संकेतन (Encoding) — संकेतन में व्यक्ति किसी सूचना या अनुभव को एक निश्चित संकेत (Code) के रूप में तंत्रिका तंत्र (Nervous System) में ग्रहण करता है। 
दूसरे शब्दों में स्मृति चिन्हों (Memory Traces) का बनना ही संकेतन है। इसे पंजीकरण  (Registration) भी कहा जाता है। संकेतन में ध्यान (Attention) , पूर्वाभ्यास (rehearsal) तथा सूचनाओं के संगठन करने की विशेष  भूमिका रहती है।

2. संचयन (Storage) -  स्मृति की दूसरी अवस्था है संचयन (Storage)। इस अवस्था में संकेतन द्वारा प्राप्त अनुभवों को कुछ समय के लिए संचित करना होता है। इसे धारण (Retention) भी कहा जाता है।

3. पुनःप्राप्ति (Retrieval)-  इस अवस्था में संचित सूचनाओं या अनुभवों (Experiences) में से आवश्यक सूचनाओं या अनुभवों को पुनः प्राप्त किया जाता है। इस अवस्था को स्मरण (Remembering) भी कहा जाता है।   
हिलगार्ड ने स्मरण (Remembering) के विभिन्न पहलुओं के लिए दो शब्दों का प्रयोग किया है पुनः जोड़ना (Reintegration) और पुनः सीखना (Relearning)। 
जब व्यक्ति किसी सूचना या अनुभव का किसी संकेत (Signal)) के माध्यम से पुनः स्मरण (Remembrance Again) करता है;  जैसे—व्यक्ति अपने पूूर्व में लिए  फोटोग्राफ देखकर उस समय की घटनाओं को याद करता है तो इसे पुनः जोड़ना (Reintegration) कहते हैं और जब व्यक्ति किसी याद की गई सामग्री को पुनः याद करता है तो उसे पुनः सीखना (Relearning) कहते हैं। जब किसी सामग्री को दुबारा याद किया जाता है तो वह पहले प्रयास की अपेक्षा जल्दी याद हो जाती है क्योंकि प्रथम प्रयास में सामग्री का कुछ अंश ही संचित होता है। 

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