Tuesday, May 18, 2021

सृजनात्मकता के तत्व एवं प्रकार (Elements & Types of Creativity)

 

सृजनात्मकता के तत्व (Elements of Creativity)

गिलफोर्ड, टोरेंस तथा लेविन आदि मनोवैज्ञानिकों ने सृजनात्मकता के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन किया जिनके अनुसार सृजनात्मकता (Creativity) के निम्न तत्व होते हैं- 


1. धाराप्रवाहिता (Fluency)
2. लचीलापन (Flexibility)
3. मौलिकता (Originality)
4. विस्तारण (Elaboration)

1. धाराप्रवाहिता (Fluency)-

धाराप्रवाहिता से तात्पर्य  किसी दिये गये विषय पर अनेक प्रकार से विचारों को प्रस्तुत करना है  अथवा  अनेक तरह के विचारो की खुली अभिव्यक्ति (Expression) से है। जो  व्यक्ति किसी भी विषय पर अपने विचारो की खुली अभिव्यक्ति को पूर्ण रूप से प्रकट करता है वह उतना ही सृजनात्मक कहलाता है। धारा प्रवाहिता को भी चार भागों में विभक्त किया जा सकता है- 


(i) वैचारिक धाराप्रवाहिता (Ideological Fluency) : इसमें किसी वस्तु के बारे में विचारों को स्वतन्त्र रूप से प्रकट करने को प्रोत्साहित किया जाता है। 
जैसे-  किसी वस्तु के विभिन्न उपयोग बताना, किसी कहानी के संभावित शीर्षक (Title) बताना, किसी समस्या के समाधान करने के लिए विभिन्न तरीके बताना  आदि। 

(ii) अभिव्यक्ति धाराप्रवाहिता (Expression Fluency) : इसमें व्यक्ति की शाब्दिक अभिव्यक्ति को प्रोत्साहित किया जाता है
जैसे- व्यक्ति के सम्मुख कुछ शब्द लिखकर उसे शब्दों से वाक्य बनाने को कहा जाये अथवा वाक्यों के रिक्त स्थानों की पूर्ति अनेक प्रकार से करने को कहा जाये ।


(iii) साहचर्य धाराप्रवाहिता (Associative Fluency) :- साहचर्य प्रवाहिता से तात्पर्य शब्दों या वस्तुओं आदि में साहचर्य स्थापित करने से है। 
जैसे- दिये गये शब्दों के अधिक-से-अधिक विलोम (Antonyms) तथा पर्यायवाची (Synonyms) शब्द लिखना, किसी भी शब्द के अन्तर्गत आने वाली अधिक-से-अधिक वस्तुओं के नाम गिनाना। 

(iv) शब्द धाराप्रवाहिता (Word Fluency) : शब्द प्रवाहिता से तात्पर्य शब्दों की विभिन्न प्रकार से रचना करने से है। 
जैसे- दिये गये प्रत्ययों (suffix) तथा उपसर्गों (infix) के बनाने में अधिक -से-अधिक शब्दों की रचना करना , प्रति से प्रतिदिन, प्रतिव्यक्ति, प्रतिवर्ष आदि ।

2. लचीलापन/विविधता (Flexibility)-

लचीलापन (Flexibility) से तात्पर्य समस्या के समाधान के लिए विभिन्न प्रकार के तरीकों को अपनाये जाने से है। किसी समस्या के समाधान के लिए मात्र एक विधि न अपनाकर अनेक विधियों से समस्या समाधान करना। जो व्यक्ति किसी भी समस्या के समाधान हेतु अनेक नये-नये रास्ते अपनाता है वह उतना ही सृजनात्मक कहलाता है। लचीलेपन से यह ज्ञात होता है कि व्यक्ति समस्या को कितने तरीकों से समाधान कर सकता है। विविधता  के भी तीन तत्व  हैं- 

(i) आकृति विविधता (Figural Flexibility) : किसी आकृति में सुधार करने के उपायों की विविधता को आकृति विविधता के नाम से जाना जाता है।


(ii) आकृति अनुकूलनात्मक विविधता (Figural Adaptive Flexibility): किसी आकृति के दिये गये रूप में परिवर्तन (Modification) करने की विधियों की विविधता को आकृति अनुकूलनात्मक विविधता कहा जाता है।


(iii) शाब्दिक विविधता (Semantic Flexibility) : - शब्दों अथवा वस्तुओं को विविध प्रकार से प्रयोग में लाने की विधियों को शाब्दिक विविधता कहते हैं।



3. मौलिकता (Originality) : 


मौलिकता मुख्य रूप से नवीनता (Novelty) से सम्बन्धित है । मौलिकता से  अभिप्राय व्यक्ति द्वारा समस्याओं को हल करने में सामान्य (General) विधियों से हटकर किसी अनोखी विधि (Unique method) का प्रयोग करने से है। जो व्यक्ति दूसरे लोगों की अपेक्षा जितने अधिक भिन्न विकल्प प्रस्तुत करता है वह उतना ही अधिक मौलिकता से सम्पन्न माना जाता है।  जब व्यक्ति समस्या के समाधान के रूप में एक बिल्कुल ही नई अनुक्रिया करता है तो ऐसा माना जाता है कि उसमें मौलिकता का गुण विद्यमान है। 
जैसे- परमाणु ऊर्जा को समाजोपयोगी किसी नवीन कार्य में प्रयोग करना। 

4. विस्तारण (Elaboration) :


विस्तारण से तात्पर्य व्यक्ति की उस क्षमता से है जिसके द्वारा वह किसी वस्तु, घटना आदि को बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत करता है। जो व्यक्ति किसी भी विशय पर अपने विचारो की खुली अभिव्यक्ति को पूर्ण रूप से बढ़ा-चढ़ाकर एवं विस्तार के साथ प्रकट करता है उसमें विस्तारण का गुण अधिक होता है। वह उतना ही सृजनात्मक कहलाता है। विस्तारण को दो भागों में विभक्त किया जा सकता है—


(i) शाब्दिक विस्तारण (Semantic Elaboration) : शाब्दिक विस्तारण में व्यक्ति, किसी दी गयी संक्षिप्त घटना, कहानी, परिस्थिति, या समस्या को विस्तृत करके अपने शब्दों में प्रस्तुत करता है।

(ii) आकृति विस्तारण (Figural Elaboration) : आकृति विस्तारण में व्यक्ति दी गयी अपूर्ण अथवा छोटी आकृतियों को पूर्ण अथवा बड़े आकार में प्रस्तुत करता है 
जैसे -किसी अपूर्ण दृश्य (Scenery) के चित्र अथवा रेखा आकृति को अपने अनुसार पूरा करना।


सृजनात्मकता के प्रकार(Types of Creativity)


सृजनात्मकता को मुख्य रूप से तीन प्रकार में वर्गीकृत किया जा सकता है।






1. आकस्मिक सृजनात्मकता (Chance Creativity) : इस प्रकार के सृजनात्मक कार्य अचानक ही भाग्यवश या दैवीय संयोग से होते हैं। 

2. सहज सृजनात्मकता (Spontaneous Creativity) : सहज सृजनात्मकता से तात्पर्य सहज भावना से ऐसे नवीन कार्य करने अथवा किसी नवीन वस्तु का निर्माण करने से है जो किसी तत्कालिक उद्देश्य की पूर्ति करे। 
जैसे - किसी नाले को पार करने के लिए सैनिक अस्थाई पुल का निर्माण कर लेते हैं।

3. संरक्षणात्मक सृजनात्मकता (Conservable Creativity)
: - संरक्षणात्मक सृजनात्मकता वह प्रक्रिया है जिसमें सृजित वस्तु का कोई तत्कालिक उपयोग करने का उद्देश्य नहीं होता है। लेकिन भविष्य के उपयोग हेतु इस प्रकार से सृजित वस्तु का संरक्षण किया जाता है। कभी-कभी -  कभी यह सृजित वस्तु आने वाली कई पीढ़ियों के काम आती है ।






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