Thursday, April 29, 2021

सीखने का स्थानान्तरण (Transfer of Learning)

 

सीखने का स्थानान्तरण (Transfer of Learning)

अर्थ (Meaning)

स्थानांतरण (Transfer) का सामान्य अर्थ है - किसी वस्तु (Content)  अथवा व्यक्ति को एक स्थान से हटाकर दूसरे स्थान पर रखना ।
सीखने का स्थानांतरण का अर्थ है -  किसी एक क्षेत्र में सीखे हुए ज्ञान (Knowledge) एवं कौशल (Skill) का किसी दूसरे क्षेत्र के ज्ञान (Knowledge)अथवा कौशल(Skill)  के सीखने में प्रयोग होना। 
उदहारण - 1.यदि किसी व्यक्ति ने साइकिल  चलानी  सीख रखी  है तो इस ज्ञान से वह मोटर साइकिल चलाना  भी आसानी से सीख जायेगा, 
2. गणित का ज्ञान दैनिक जीवन से सम्बंधित समस्याओं को हल करने में सहायक होता है ।
इसमें किसी कौशल (Skill) के प्रशिक्षण (Training) का, किसी अन्य कौशल विशेष के प्रशिक्षण में पड़ने वाला प्रभाव भी सम्मिलित होता है क्योंकि ज्ञानार्जन और कौशल प्रशिक्षण, दोनों सीखने की प्रक्रिया के अन्तर्गत ही आते हैं। 

परिभाषायें (Definitions) 

1. क्रो एवं क्रो (Crow & Crow)  के अनुसार -    सामान्यतः सीखने के एक क्षेत्र में विकसित होने वाले ज्ञान एवं कौशलों का और सोचने, अनुभव करने या कार्य करने की आदतों का सीखने के किसी दूसरे क्षेत्र में प्रयोग करना प्रशिक्षण का स्थानान्तरण कहा जाता है। ("The carry over of habits of thinking, feeling or working of knowledge, or skill from one learning area to another, is usually referred to as the transfer of training.")

2. अन्डरवुड (B. J. Underwood) के अनुसार -   "अधिगम स्थानान्तरण का अर्थ वर्तमान क्रिया पर पूर्व अनुभवों का प्रभाव होता है।" ("The influence of previous experience on current performance defines transfer of Learning.')
3. कोलसनिक (Kolesnik) के अनुसार -"अधिगम स्थानान्तरण पहली परिस्थिति से प्राप्त ज्ञान, कौशल, आदत, अभियोग्यता का दूसरी परिस्थिति में प्रयोग करना है।" ("Transfer is the application of carryover of knowledge, skills, habits, attitudes or other responses from one situation in which they are initially acquired to some other situation.")

4. सोरेन्सन (Sorenson) के अनुसार - “स्थानान्तरण एक परिस्थिति में अर्जित ज्ञान, प्रशिक्षण एवं आदतों का दूसरी परिस्थिति में  स्थानान्तरण होना है। " ("Transfer refers to the transfer of knowledge, training and habits acquired in one situation to another.")

5. ई0आर0 हिलगार्ड के अनुसार -  अधिगम स्थानान्तरण में एक क्रिया का प्रभाव दूसरी क्रिया पर पड़ता है।


सीखने के स्थानान्तरण प्रकार (Types of Transfer of Learning)


 1. धनात्मक स्थानान्तरण (Positive Transfer)   जब किसी एक क्षेत्र में सीखा हुआ ज्ञान (Knowledge) अथवा कौशल (Skill) किसी दूसरे क्षेत्र में सीखे जाने वाले ज्ञान (Knowledge) अथवा कौशल (Skill) के सीखने में सहायक होता है तो इसे धनात्मक स्थानान्तरण कहते हैं; 
जैसे—गणित के ज्ञान का भौतिक विज्ञान  की संख्यात्मक समस्याओं के हल करने में सहायक होना और कार चलाने के कौशल का जीप अथवा ट्रक चलाने के कौशल को सीखने में सहायक होना। 
शिक्षा के क्षेत्र में इस धनात्मक स्थानान्तरण का ही महत्त्व होता है। शिक्षा के क्षेत्र में जब हम सीखने के स्थानान्तरण की बात करते हैं तो हमारा तात्पर्य इसी धनात्मक स्थानान्तरण से होता है।

2. ऋणात्मक स्थानान्तरण (Negative Transfer)– जब किसी एक क्षेत्र में सीखा हुआ ज्ञान (Knowledge) अथवा कौशल (Skill) किसी दूसरे क्षेत्र में सीखे जाने वाले ज्ञान अथवा कौशल  सीखने में बाधा  उत्पन्न करता   है तो इसे ऋणात्मक स्थानान्तरण (Negative Transfer) कहते हैं 
जैसे- विज्ञान के ज्ञान और उसमें निहित कारण कार्य सम्बन्ध का धर्म एवं दर्शन के अध्ययन में बाधक होना। शिक्षा के क्षेत्र में इस प्रकार के स्थानान्तरण का कोई महत्त्व नहीं होता इसलिए इस पर कोई विचार नहीं किया जाता। 
3. क्षैतिज स्थानान्तरण (Horizontal Transfer)-  जब किसी एक ही स्तर की कक्षा में किसी एक क्षेत्र में सीखा हुआ ज्ञान अथवा कौशल उसी कक्षा के किसी दूसरे क्षेत्र में सीखे जाने वाले ज्ञान अथवा कौशल के सीखने में सहायक होता है तो इसे क्षैतिज स्थानान्तरण कहते हैं; 
जैसे - कक्षा 10 के सीखे हुए गणित के ज्ञान एवं कौशल का उसी कक्षा के विज्ञान की संख्यात्मक समस्याओं के हल करने में सहायक होना।

4. ऊर्ध्व स्थानान्तरण (Vertical Transfer)-  जब किसी पूर्व कक्षा में किसी एक क्षेत्र में सीखा हुआ ज्ञान अथवा कौशल उससे आगे की कक्षा में किसी क्षेत्र में सीखे जाने वाले ज्ञान अथवा कौशल के सीखने में सहायक होता है तो इसे ऊर्ध्व स्थानान्तरण कहते हैं; 
जैसे—कक्षा 10 में सीखे जाने वाले गणित के ज्ञान एवं कौशल का कक्षा 11 में सीखे जाने वाले गणित के ज्ञान एवं कौशल के सीखने में सहायक होना। 

5. शून्य स्थानान्तरण (Zero Transfer) – जब एक कार्य का प्रशिक्षण दूसरे कार्य को सीखने न तो सहायता ही करता है और न ही बाधा उत्पन्न करता है तो इस प्रकार के प्रशिक्षण को शून्य स्थानान्तरण  कहते हैं। इस शून्य अतंरण का एक कारण यह हो सकता है कि पहले कार्य की प्रकृति का दूसरे कार्य की प्रकृति से कोई सम्बन्ध ही न हो। 
जैसे- भूगोल (Geography)  का ज्ञान भौतिक शास्त्र (Physics) की समस्या को नहीं सुलझा सकता।


6. एक पक्षीय स्थानान्तरण (Uni-Lateral Transfer)-  जब शरीर के किसी एक अंग द्वारा सीखा हुआ कोई कौशल उसी अंग द्वारा किसी दूसरे कौशल को सीखने में सहायक होता है तो इसे एक पक्षीय स्थानान्तरण कहते हैं।
जैसे—बाएँ हाथ  (Left Hand) से कपड़ा सीने के कौशल का बाएँ हाथ (Left Hand) से लिखना सीखने में सहायक होना अथवा क्रिकेट में बायें हाथ से गेंदबाजी तथा बेटिंग करना।

7. द्विपक्षीय स्थानान्तरण (Bi-Lateral Transfer) -   जब शरीर के किसी एक अंग द्वारा सीखा हुआ कोई कौशल शरीर के दूसरे अंग द्वारा उसी कौशल को या अन्य किसी कौशल को सीखने में सहायक होता है तो इसे द्विपक्षीय स्थानान्तरण कहते हैं।
जैसे— दाएँ हाथ (Right Hand) से लिखने के कौशल का बाएँ हाथ (Left Hand) से लिखना अथवा तलवार चलाना सीखने में सहायक होना ।




सीखने में स्थानान्तरण की दशाएँ 

(Conditions of Transfer of Learning)


एक क्षेत्र में सीखा हुआ ज्ञान (Knowledge) एवं कौशल (Skill) दूसरे क्षेत्र में सीखे जाने वाले ज्ञान एवं कौशल के सीखने में तभी सहायक होता है. जब उसके लिए अनुकूल परिस्थितियाँ हों। उसके लिए जितनी अधिक अनुकूल परिस्थितियाँ होती हैं, सीखने का स्थानान्तरण उतना ही अधिक होता है। अधिगम को स्थानान्तरित करने की कुछ मुख्य दशाओं का विवरण  निम्नलिखित  है-

1. सीखने वाले की सामान्य बुद्धि (Learner's General Intelligence)- सीखने वालों की सामान्य बुद्धि (General Intelligence) अधिक होनी चाहिये। सीखने वालों में यह सामान्य बुद्धि जितनी अधिक होती है उनमें उतनी ही अधिक सामान्य योग्यता (General Ability) का विकास होता है और इस प्रकार उतना ही अधिक सीखने का स्थानान्तरण होता है। गैरट (Garrett) ने एक अध्ययन में पाया कि उच्च सामान्य बुद्धि वाले छात्रों में निम्न सामान्य बुद्धि वाले छात्रों की अपेक्षा स्थानान्तरण करने की योग्यता 20 गुना होती है।

2. सीखने वाले की इच्छा (Learner's will) – स्थानान्तरण सीखने वाले  की इच्छा पर निर्भर करता है सीखने वाला सीखने के स्थानान्तरण के लिए अभिप्रेरित (Motivated) हों, उनमें ज्ञान को स्थानान्तरित करने प्रति इच्छा (Will) हो। जब तक सीखने वाले अपने पूर्व ज्ञान का प्रयोग करने के लिए तैयार नहीं होते, उन्हें इसके लिए विवश नहीं किया जा सकता। 

3. सीखने वाले की अभिवृत्ति (Attitude of the Learner) — सीखने वालों में सीखे हुए ज्ञान एवं कौशल के प्रयोग करने की अभिवृत्ति (Attitude) हो। यह देखा गया है कि सीखने वालों में सीखे हुए ज्ञान एवं कौशल के प्रयोग की जितनी तीव्र अभिवृति होती है वे सीखे हुए ज्ञान एवं कौशल का उतना ही अधिक प्रयोग नए ज्ञान एवं कौशल के सीखने में करते हैं।

4. सीखने वाले की सामान्यीकरण की योग्यता (Learner's Ability to Generalization) - सीखने वालों में सामान्यीकरण (Generalization) करने की योग्यता होनी चाहिये। सीखने वाले में अपने कार्यों एवं अनुभवों के जितने अधिक सामान्य सिद्धांत निकालने की योग्यता होती है   वे सीखे हुए ज्ञान एवं कौशल का उतना ही अधिक सामान्यीकरण करने में सफल होते हैं, सीखने में इसी सामान्यीकृत ज्ञान एवं कौशल का स्थानान्तरण होता है।

5. सीखने वाले का कौशल पर पूर्ण अधिकार (Learner's Mastery on the Skill)-  सीखने वालों को पूर्व में सीखे हुए ज्ञान एवं कौशल पर पूर्ण अधिकार (Mastery) होना चाहिये। सीखने वालों को अपने पूर्व में सीखे ज्ञान एवं कौशल पर जितना अधिक अधिकार होता है वे पूर्व में सीखे हुए ज्ञान एवं कौशल का नए ज्ञान एवं कौशल के सीखने में उतना ही अधिक प्रयोग करते हैं।

6. सीखने वालों के आदर्श तथा मूल्य (Learner's Ideals and Values)-  सीखने वालों में आदर्श (Ideals) एवं मूल्यों (Values) का समुचित विकास होना चाहिये। आदर्श और मूल्य ही व्यक्ति के व्यवहार को स्थायी रूप प्रदान करते हैं। यदि कोई व्यक्ति ईमानदारी के मूल्य को जीवन में स्थायी रूप से ग्रहण कर लेता है तो वह प्रत्येक क्षेत्र में ईमानदारी से कार्य करेगा।

7. शिक्षण-अधिगम की विधियों में समानता (Similarity in Teaching Learning Methods) - यदि दो विषयों के शिक्षण-अधिगम की विधियों में समानता होती है तो स्थानान्तरण की अधिक संभावना होती है। जैसे—नागरिकशास्त्र (Civics) तथा इतिहास (History) एक प्रकार से पढ़ाये जाते हैं अतः इनके ज्ञान का एक-दूसरे में स्थानान्तरण हो सकता है न कि भौतिक विज्ञान (Physics) की विषय सामग्री (Content) तथा तथ्यों का इतिहास में।

8. शिक्षक का सहयोग (Cooperation of Teacher)-  शिक्षक  शिक्षार्थियों को नए ज्ञान एवं कौशल के विकास में पहले से  सीखे हुए ज्ञान एवं कौशल के प्रयोग करने के  स्वतन्त्र अवसर दें। जितनी अधिक उन्हें स्वतन्त्रता होगी वे उतने ही  अधिक उत्साह से अपने सीखे हुए ज्ञान एवं कौशल का प्रयोग करेंगे। 

9. पाठ्यक्रम की प्रकृति (Nature of Curriculum)-  स्थानान्तरण के लिए शिक्षा के किसी भी स्तर की पाठ्यचर्या (Curriculum) सीखने वालों की आयु (Age) परिपक्वता (Maturity), अभिक्षमता (Aptitude) एवं योग्यता (Ability) के अनुकूल हो, उसका जीवन से सम्बन्ध हो, वह सीखने वालों के लिए सार्थक (Meaningful) हो और उपयोगी (Useful) हो, उसमें सीखने वालों की रुचि (Interest) हो और उसके सभी विषयों एवं क्रियाओं में आपस में सम्बन्ध हो और उनका अपने पूर्व स्तर की पाठ्यचर्या से भी सम्बन्ध हो। जिस पाठ्यचर्या में ये तत्व  जितने अधिक होते हैं उसे पूरा करने में सीखने का स्थानान्तरण उतना ही अधिक होता है।

10. स्थानान्तरण का प्रशिक्षण (Training for Transfer) - प्रशिक्षण के द्वारा छात्रों की सीखने के स्थानान्तरण की क्षमता में बढ़ोतरी की जा सकती है। जैसे-  विज्ञान के नियमों तथा सिद्धान्तों को पढ़ाते समय छात्रों को उनके दैनिक जीवन में होने वाले उपयोग की भी क्रियात्मक जानकारी प्रदान की जाये तो वे विज्ञान के ज्ञान का अनेक जगह उपयोग कर सकते हैं। ऐसी शिक्षण अधिगम की विधियों का प्रयोग किया जाए जिनमें पूर्व में सीखे हुए ज्ञान एवं कौशल के आधार पर नए ज्ञान एवं कौशल का विकास हो ताकि सीखने वाले अपनी समस्याओं का स्वयं समाधान करें।






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