बहु:अनुशासनात्मक दृष्टिकोण और समावेशी शिक्षा (Multi-disciplinary Approach and Inclusive Education)
बढ़ती जनसंख्या के साथ सार्वभौमिक दृष्टिकोण और समावेशिता चुनौतीपूर्ण एवं जटिल कार्य है, इसके लिए एक सुसंगत एवं बहु:अनुशासन वाली पहुँच की आवश्यकता होगी। समावेशी शिक्षा की गुणवत्ता केवल समावेशी नीतियों को लागू करने, वित्तपोषण और बुनियादी ढांचा पर ही निर्भर नहीं करती, अपितु इस बात पर भी निर्भर करती है की कक्षा कक्ष की व्यवस्था किस प्रकार की है। एक शिक्षक के लिए, अपनी क्षमता व रुचि अनुसार और इष्टतम प्राप्त करने के लिए, यह बहुत आवश्यक है कि शिक्षक पूर्ण तरह से यह समझने का प्रयास करे की समावेशी शिक्षा-प्रणाली में व्यावहारिक, सामाजिक, शैक्षिक एवं ढांचागत अवरोध क्या हैं|
समावेशी शिक्षा में कक्षा का वातावरण लगातार बदल रहा है। इसलिए शिक्षक को अच्छी तरह से प्रशिक्षित दिया जाना चाहिए। शिक्षक, शिक्षार्थियों की अधिगम में सहायता करने हेतु विविध प्रकार की कक्षा व्यवस्था में विभेदित-निर्देश द्वारा शिक्षा प्रदान कर सकता है | शिक्षकों से अपेक्षा है कि वह विशेष शैक्षिक आवश्यकताओं वाले बच्चों की विविध आवश्यकताओं के अनुसार बैठने की उचित व्यवस्था का प्रबंधन एवं उनके बेहतर अधिगम हेतु सबसे अच्छी कक्षा अभ्यास को प्रयोग में लाएं|
बहु-अनुशासनात्मक दृष्टिकोण के अंतर्गत विभिन्न विषयों से उचित प्रकार के दृष्टिकोण से सामान्य सीमाओं के बाहर की समस्याओं को परिभाषित किया जाता है और जटिल निष्कर्षो के नवीन ज्ञान के आधार पर समस्या का समाधान निकाला जाता है |
बहु-अनुशासनात्मक दृष्टिकोण में निम्न बिंदुओं पर विचार किया जाता है -
(i) कर्मचारियों को नए कौशल और नए दृष्टिकोण द्वारा सीखने हेतु ज्ञान और विशेषज्ञता साझा करनी होगी।
(ii) कभी-कभी कुछ पेशेवरों द्वारा प्रत्यक्ष सलाह एवं समर्थन प्रदान किया जाता है ।
(iii) समावेशी शिक्षा के लिये ऐसे प्रशिक्षण की आवश्यकता है जो कर्मचारियों को आत्मविश्वास और संतुष्टि प्रदान कर सकता है।
(iv) उनकी अपेक्षाओं और कार्य प्रणाली में संभावित परिवर्तन हों जो वयस्कों के लिए मूल्यवान और चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
बहु-अनुशासनात्मक दृष्टिकोण की आवश्यकता (Need of Multidisciplinary Approach)-
समावेशी शिक्षण व्यवस्था में प्रभावी शिक्षण के लिए कक्षा शिक्षण प्रथाओं और प्रबंधन में बहु-अनुशासनात्मक दृष्टिकोण की आवश्यकता है, उदाहरणतः विभिन्न शिक्षण पद्धति और रणनीति, जैसे- समावेशी कक्षा में बैठने की व्यवस्था, सहयोगात्मक शिक्षण, पूर्ण कक्ष शिक्षण, क्रिया-आधारित अधिगम, सहयोगात्मक अधिगम, बहुस्तरीय निर्देश, कला आधारित चिकित्सा आदि।
1. Sailor and Skrtic (1995) ने सिफारिश की कर्मचारियों के विकास के लिए एक बहु-अनुशासनात्मक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है जो सभी छात्रों के लिए सामान लक्ष्यों पर केंद्रित हो और यहसामान्य और विशिष्ट शिक्षकों के लिए अवसर प्रदान करता है।
2. संरचित कक्षा बनाने हेतु बहु-अनुशासनात्मक दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है, जिसमें निम्न बिंदु शामिल हो सकते हैं:
- समूह और व्यक्तिगत काम के लिए अलग-अलग क्षेत्रों को डिजाइन करना।
- कला पढ़ने के लिए केंद्र एवं दैनिक कक्षा अनुसूची बनाने हेतु केन्द्र बनाना ।
- कक्षा कक्ष के नियम एवं दैनिक कक्षा अनुसूची को किसी मुख्य स्थान पर प्रदर्शित करना।
- उद्देश्यपूर्ण आंदोलनों हेतु अवसर प्रदान करना।
3. परंपरागत रूप से प्राथमिक शिक्षण कक्षा की मुख्यधारा में एक शिक्षक, उप-सहायक शिक्षण (learning support assistant) स्टाफ अथवा सहायक शिक्षक तैनात किये गये हैं |
4. नियमित शिक्षक का सहयोग करने हेतु विशेष शिक्षा शिक्षक, संबंधित सेवा प्रदाता और संबंधित सह-व्यावसायिक व्यक्तियों द्वारा एक नियमित आधार पर सेवायें प्रदान करना|
5. उन सीखने संबंधी सभी बाधाओं को दूर करना जो या तो शिक्षा प्रणाली के भीतर या शिक्षार्थी के भीतर उत्पन्न होती हैं जो शिक्षार्थी को शिक्षा तक पहुँचने से एवं शिक्षार्थी को विकास करने से रोकती हैं|
6 . सीखने के लिए सार्वभौमिक डिजाइनिंग अर्थात ऐसा पाठ्यक्रम हो जिस में विभिन्न पृष्ठभूमि के व्यक्तियों के लिये, विभिन्न सीखने की शैलियों, क्षमताओं और विकलांगताओं के साथ अन्य व्यक्तियों के लिए सुलभ और उपयुक्त विकल्प शामिल होना चाहिए।
7. योजना का आंकलन करने और एक शिशु को प्रारंभिक शिक्षा सेवाएं प्रदान करने हेतु इसकी आवश्यकता है |
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