Tuesday, October 5, 2021

राज्य संसाधन केन्द्र (State Resource Centre (SRC))

 राज्य संसाधन केन्द्र  (State Resource Center (SRC))


परिचय (Introduction)- 

जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में विकास कार्यक्रम सरकार की एकमात्र जिम्मेदारी नहीं हो सकती है। यह वास्तविकता सामाजिक विकास परियोजनाओं में गैर-सरकारी संगठनों (NGO) की सक्रिय भागीदारी की आवश्यकता है। प्रौढ़ शिक्षा एक ऐसा क्षेत्र है जहां गैर सरकारी संगठनों का कुछ बहुत ही सकारात्मक और महत्वपूर्ण योगदान है। प्रथम पंचवर्षीय योजना में प्रौढ़ शिक्षा के क्षेत्र में स्वैच्छिक संस्थाओं को सहायता की योजना तैयार कर प्रारम्भ की गई। यह खुशी की बात है कि बाद की योजनाओं में भी काफी जोर दिया गया। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NPE), 1986 ने निर्धारित किया है कि सामाजिक कार्यकर्ता समूहों सहित गैर सरकारी संगठनों को प्रोत्साहित किया जाएगा और उचित प्रबंधन के अधीन उन्हें वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। NPE, 1986 को लागू करने के लिए संशोधित नीति (Program Of Action) ने सरकार और गैर सरकारी संगठनों के बीच वास्तविक साझेदारी के संबंध की परिकल्पना की। यह भी निर्णय लिया गया कि सरकार विभिन्न विकास कार्यक्रमों में गैर सरकारी संगठनों की व्यापक भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए सभी प्रकार की सुविधाएं प्रदान करे। साथ ही, यह महसूस किया गया कि गैर सरकारी संगठनों का उचित चयन भी उतना ही महत्वपूर्ण है।

इस संदर्भ में, राष्ट्रीय साक्षरता मिशन (NLM) ने बताया कि सबसे सक्रिय गैर सरकारी संगठनों की पहचान और चयन के लिए विविध तरीके अपनाए जाएंगे। निरक्षर वयस्कों और बच्चों के बीच शिक्षा कार्यक्रम के प्रसार के लिए इन गैर सरकारी संगठनों को बड़े पैमाने पर शामिल किया जा सकता है, क्योंकि निरक्षरता का उन्मूलन हमारे देश के लिए दिन की बुनियादी जरूरत है। इन परियोजनाओं की सफलता के लिए, 1978 और 1982 में तैयार की गई सहायता अनुदान योजना को NLM के उद्देश्यों और रणनीतियों के करीब लाने की दृष्टि से संशोधित किया गया था। इस संशोधित योजना को साक्षरता कार्रवाई में गैर-सरकारी संगठनों के भागीदारों के लिए केंद्रीय सहायता योजना का नाम दिया गया था। इस योजना को NLM के तहत 1988 में लागू किया गया था। साथ ही योजना को परिणामोन्मुखी, समयबद्ध एवं लागत प्रभावी बनाने के लिए शिक्षा विभाग द्वारा उपाय किए गए। अब गैर सरकारी संगठनों को बुनियादी साक्षरता, साक्षरता के बाद और वयस्क शिक्षा कार्यक्रम की निगरानी और मूल्यांकन सहित विभिन्न अन्य वयस्क शिक्षा कार्यक्रमों की परियोजनाओं को शुरू करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। योजना का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय साक्षरता मिशन में गैर सरकारी संगठनों की गहन भागीदारी को सुरक्षित करना है। राज्य संसाधन केंद्रों (SRC) ने भारत में वयस्क शिक्षा के पेशेवर संगठनों के बीच अपने लिए एक अलग जगह बनाई है। 1980 में 14 एसआरसी से शुरू होकर, 1997 तक उनकी संख्या बढ़कर 24 हो गई। राज्य में कार्यक्रमों के कार्यभार और आकार के आधार पर, SRC को A और B में वर्गीकृत किया गया है। जबकि कुछ SRC सीधे राज्य सरकारों के अधीन कार्य करते हैं, अन्य गैर सरकारी संगठनों या विश्वविद्यालयों द्वारा प्रबंधित हैं, सभी SRC से अपेक्षा की जाती है कि वे अपने-अपने राज्यों में मुख्य रूप से प्रशिक्षण कार्यक्रमों, सामग्री विकास और उत्पादन, प्रकाशन, विस्तार गतिविधियों, नवीन परियोजनाओं, शोध अध्ययन और मूल्यांकन के माध्यम से वयस्क शिक्षा कार्यक्रमों को शैक्षणिक और तकनीकी संसाधन सहायता प्रदान करें।

राज्य संसाधन केन्द्र एक स्वतन्त्र और ऑटोनॉमस (Autonomous)  रूप में कार्य करने वाला केन्द्र है।  यह अकादमिक  के साथ-साथ तकनीकी संसाधन भी है। क्योंकि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन सामग्री तैयार करना, सामग्री का प्रकाशन करना, विस्तार क्रियाएँ, नवाचार प्रोजेक्टस, शोध अध्ययन और मूल्यांकन आदि कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। योजनाओं का निर्माण करके  SRC की भूमिका को शक्तिशाली बनाया जाता है और उसका विस्तार किया जाता है। योजनाओं के निर्माण द्वारा केवल संख्या वृद्धि ही नहीं की जाती है बल्कि ढांचागत और संसाधन सुविधाओं से भी सजाने का प्रयास किया जाता है। इस प्रकार सुविधाओं से युक्त करके इन केन्द्रों को इस योग्य बनाया जाता है कि ये विशेष एजेन्ट की भूमिका का निर्वाह कर सकें। सरकार  का प्रयास यह है कि एस० आर० सी० (SRC) एक स्वतन्त्र एजेन्सी या संस्था के रूप में उच्च अधिगम (Higher Learning) का कार्य करे।

SRC को पूर्ण रूप से केंद्र सरकार  द्वारा फण्ड प्रदान किया जाता है और ये वित्त सम्बन्धी निश्चित  मानकों का पालन करते हैं तथा वित्तीय अनुशासन को बनाए रखते हैं। प्रक्रिया को सरल बनाने, अधिकांश जनता को लाभ मिलने की दृष्टि से वित्तीय और प्रशासनिक शक्तियों का विकेन्द्रीकरण किया गया है। यह विकेन्द्रीकरण राज्य साक्षरता मिशन ऑथोरिटी के अन्तर्गत किया गया है ताकि प्रत्येक राज्य में साक्षरता मिशन को स्थापना हो सके और सतत शिक्षा अभियान चलाया जा सके।

लक्ष्य समूह (Target Group)-

संसाधन केंद्रों के अधिकार क्षेत्र के  दिए गए क्षेत्र में सभी गैर-साक्षर (आयु वर्ग 15-35 वर्ष), नव-साक्षर, स्कूल छोड़ने वाले छात्र।


संसाधन केन्द्र का संगठनात्मक स्तर (Organisational Status of Resource Centre)

संसाधन केन्द्र दो प्रकार से कार्य करेगा-  

1.  गैर सरकारी संगठन के अन्तर्गत 

2.  विश्वविद्यालय के अन्तर्गत।

विश्वविद्यालय को तभी संसाधन केन्द्र दिया जाएगा जबकि वहाँ कोई उपयुक्त स्वैच्छिक एजेन्सी नहीं  होगी। प्रत्येक संसाधन केन्द्र के कार्यों का प्रबन्धन बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट द्वारा किया जाएगा, जिसे गवर्निंग बॉडी (Governing Body) के नाम से जाना जाएगा। गवर्निंग बॉडी की सहायता के लिए एक्जीक्युटिव कमेटी (Executive Committee, EC), स्टाफ सलेक्शन कमेटी (Staff Selection Committee, SSC) अन्य उप समितियाँ (Sub Committees) होंगी।

प्रत्येक संसाधन केन्द्र पर योजना निर्माण के लिए प्रोग्राम समन्वय एवं संचालन के लिए व्यावसायिक स्टाफ होगा और स्थानीय अनुभवी और योग्य व्यक्तियों की सेवाएँ ली जाएँगी। ये सेवाएँ अंशकालीन होंगी। इन केन्द्रों पर साक्षरता सामग्री तैयार करना, प्रशिक्षण प्रोग्राम कराना, सेमिनार, वर्कशॉप, कान्फ्रेंस का आयोजन कराना, रिसर्च, प्रकाशन, राज्य सरकार के साथ समन्वय, नवाचार और अन्य प्रोजेक्ट सम्बन्धी क्रियाएँ सम्पन्न की जाएँगी।

कार्य (Functions)-

  • साक्षरता कार्यक्रमों के लिए शिक्षण-अधिगम और प्रशिक्षण सामग्री का विकास करना ।
  • प्रौढ़ शिक्षा के लिए साहित्य का उत्पादन और प्रसार करना ।
  • साक्षरता कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण देना।
  • प्रौढ़ शिक्षा के लिए प्रेरक और पर्यावरण निर्माण गतिविधियाँ करना।
  • क्षेत्रीय कार्यक्रमों का संचालन करना ।
  • साक्षरता परियोजनाओं का कार्य अनुसंधान, मूल्यांकन और निगरानी करना ।
  • साक्षरता कार्यक्रमों की भावी आवश्यकता की पहचान करने के लिए नवीन परियोजनाओं को शुरू करना।

एस. आर. सी. के उद्देश्य (Aims of SRC)

  • एकेडेमिक और तकनीकी संसाधन सहायता प्रदान करना। 
  •  साक्षरता कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने में सहायता करना।
  • प्रशिक्षण कार्यक्रम, सामग्री विकास एवं उत्पादन, प्रकाशन और सैद्धान्तिक संगठन को सफल बनाना। 
  • विस्तार क्रियाएँ, नवाचार प्रोजेक्टस, शोध अध्ययन और मूल्यांकन को बढ़ावा देना।



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