Thursday, September 30, 2021

यूक्लिड का गणित में योगदान (Contribution of Euclid in Mathematics)

यूक्लिड का गणित में योगदान (Contribution of Euclid in Mathematics

  • जन्म - लगभग 300/325 ई0 पूर्व 
  • स्थान - सिकन्दरिया (अलेक्जेंड्रिया)
  • प्रमुख पुस्तक - एलिमेंट्स (Elements) (13 अध्याय)
  • अन्य पुस्तक - डेटा, स्युडेरिया, शांकब, पोरिस्मस, तल बिंदुपथ।
  • शिक्षा - प्लेटो अकादमी से
  • इन्हें ज्यामिति का जनक भी माना जाता है।
  • उसकी एलिमेंट्स (Elements) नामक पुस्तक गणित के इतिहास में सफलतम् पुस्तक है।

एलिमेंट्स नामक इस ग्रन्थ के पहले खण्ड में वृत, त्रिभुज, रेखा, बिंदु के बारे में समझाया गया है। दूसरे खण्ड में बीजगणित के द्वारा रेखागणित की आकृतियां बनाना बताया गया है। तीसरे और चौथे खण्ड में वृत की जानकारी है। पांचवे और छठे खण्ड में अनुपात के सिद्धान्त है। सातवे, आठवें और नवे खण्ड में अंकगणित को समझाया है। बाकी के खण्ड ठोस ज्यामिति से सम्बंधित है जिसमे घन, पिरामिड की ज्यामिति समझाई गई है।
एलिमेंट्स के 13 अध्यायों की सूची- 
  •  सर्वांगसमता (Congruency ) और समांतर (Parallelism)
  • बीजगणितीय सर्वसमिकायें और क्षेत्रफल (Algebraic Identity and Area)
  • वृत्त (Circle) 
  • अन्तर्गत और परिगत बहुभुज (Inscribed and Circumscribed Polygons)
  •  समानुपात (Proportion) 
  •  बहुभुजों की समरूपता (Similarity of Polygons)
  • (7-9) अंकगणित (Arithmetic)
  • असुमेय राशियाँ (Irrational Numbers)
  • (11-13) ठोस ज्यामिति (Solid Geometry )

‘एलीमेन्ट्स’ में यूक्लिड ने ज्यामिति के आधारभूत सिद्धान्तों तथा साध्यों की बहुत-ही व्यवस्थित और वैज्ञानिक ढंग से पूर्व जानकारी देने की चेष्टा की है। साथ ही, स्वयं-सिद्ध तथ्यों एवं अभिगृहीतों (Axioms and Postulates) पर उन्होंने बहुत ही  गहनता से मनन किया तथा अपने मौलिक विचार प्रस्तुत किये।  बाइबिल के बाद दुनिया की यह दूसरी पुस्तक थी जिसकी इतनी अधिक प्रतियाँ बिकीं और दुनिया की लगभग सभी भाषाओं में इसके अनुवाद छापे गए।  अधिकांश विशेषज्ञों का ऐसा विचार है कि यूक्लिड को इस विशाल ग्रंथ की प्रेरणा महान्  दार्शनिक अरस्तू से मिली थी किन्तु उनके इस विशाल ग्रंथ का अध्ययन करने से प्रतीत  होता है कि यह सब कुछ उनकी अपनी सूझबूझ तथा खोजों द्वारा ही संभव हो पाया। यही कारण है कि आज का संसार इन्हें ज्यामिति के जनक (Originator of Geometry)के रूप में जानता है और यही सही भी है। इन्होंने रेखागणित के क्षेत्र में ‘यूक्लीडियन गणित शिक्षण ज्योमेट्री' के नाम से एक दिव्य ज्योति को प्रज्ज्वलित किया। आइन्सटीन  महान् वैज्ञानिक ने ‘सापेक्षिकता के सिद्धान्त' के प्रतिपादन हेतु इसी ग्रंथ का सहारा लिया। उनकी नाम दृष्टि में यूक्लिड ऐसा अन्वेषी था जिसने तार्किक योजना को जन्म दिया। इस महान् गणितज्ञ का योगदान सिर्फ ज्यामिति में ही नहीं अपितु प्रकाशिकी, विभाजन सिद्धान्त आदि में भी था।


योगदान (Contribution)-

1. अपने पूर्वज ग्रीक रेखागणितज्ञों की तरह उसने उस युग की तीन चुनौतीपूर्ण समस्याओं पर विचार किया- 

(a) किसी कोण को तीन बराबर भागों में बाँटना

(b) किसी घन (Cube) को दुगुना करके 

(c) किसी वृत्त का वर्गीय (Square) रूप प्राप्त करना ।

2. यूक्लिड ने पाइथागोरस द्वारा हल होने वाली अपरिमेय संख्याओं (Irrational Numbers) से सम्बन्धित एक पुरानी समस्या को भी हल करने में सफलता प्राप्त की। इस समस्या में एक ऐसे समकोण त्रिभुज के कर्ण की लम्बाई ज्ञात करनी जिसका आधा और लम्ब दोनों की इकाई एक हो। पाइथागोरस का यही अनुमान था कि इसका को उचित हल नहीं निकल सकता। परन्तु यूक्लिड ने इसे हल करके दिखाया।

3. संख्या सिद्धान्त (Number Theory) के क्षेत्र में अपने समय के और गणितज्ञ की तरह यूक्लिड ने भी कोई संख्या अभाज्य संख्या (Prime Number) है या नहीं, इसक पता लगाने के लिये एक टैस्ट तैयार करने का प्रयास किया। यद्यपि इस दिशा में उसे कोई विशेष सफलता नहीं मिल सकी परन्तु फिर भी उसने अभाज्य संख्याओं के बारे मे कम से कम यह पता तो लगाया कि उनकी संख्या अनगिनत (Infinite) है।

4. यूक्लिडियन ज्यामिति एक गणितीय प्रणाली है जिसका श्रेय अलेक्जेंड्रिया के यूनानी गणितज्ञ यूक्लिड को दिया जाता है, जिसका वर्णन उन्होंने ज्यामिति पर अपनी पाठ्यपुस्तक The Elements में किया है। यूक्लिड की विधि में सहज रूप से आकर्षक स्वयंसिद्धों (Axioms) के एक छोटे से सेट को ग्रहण करना और इनमें से कई अन्य प्रमेय  को निकालना शामिल है। हालांकि यूक्लिड के कई परिणाम पहले के गणितज्ञों द्वारा बताए गए थे, यूक्लिड ने सबसे पहले यह दिखाया कि कैसे ये प्रमेय एक व्यापक निगमनात्मक और तार्किक प्रणाली में फिट हो सकते हैं। Elements की शुरुआत समतल ज्यामिति से होती है, जो अभी भी माध्यमिक विद्यालय (हाई स्कूल) में पहली स्वयंसिद्ध प्रणाली (Axiomatic system) और गणितीय प्रमाणों  (Mathematical proofs) के पहले उदाहरणों के रूप में पढ़ाया जाता है। यह तीन आयामों की ठोस ज्यामिति पर जाता है। अधिकांश तत्व उस परिणाम को बताते हैं जिसे अब बीजगणित और संख्या सिद्धांत कहा जाता है, जिसे ज्यामितीय भाषा में समझाया गया है।

5. Euclid's Division Algorithm - HCF

If a and b are two positive integers then the must satisfy the condition - a = bq + r . Where 0  r< b.

Ex-   45 = 6*7+3


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