Tuesday, May 4, 2021

अभिप्रेरणा के स्रोत/तत्व (Source/Elements of Motivation)

 अभिप्रेरणा के स्रोत/तत्व (Source/Elements of Motivation)

अभिप्रेरणा के चार स्रोत या तत्व होते हैं-

1. आवश्यकता (Need)- प्रत्येक प्राणी के जीवन को बनाये रखने के लिए  कुछ मौलिक आवश्यकताएं (Basic Needs) होती हैं जिनकी पूर्ति होना आवश्यक है । मनुष्य की आवश्यकताओं को दो भागों में विभाजित किया जाता है -
  • शारीरिक/ जैविक/प्राथमिक आवश्यकतायें (Physical/ Biological /Primary Needs)- वे आवश्यकतायें जिनके अभाव में किसी भी प्राणी का  अस्तित्व असंभव है । जैसे- भोजन, पानी, हवा, मल -मूत्र  त्याग करना,  नींद ।
  • मनो-सामाजिक/द्वितीयक आवश्यकतायें (Psycho-social/Secondary Needs)-.  वे आवश्यकतायें जिनके अभाव में प्राणी जीवित रह सकता है परन्तु जीवन जीने के लिए इनकी आवश्यकता भी महत्वपूर्ण है। जैसे- प्रेम, संबंध (Relation), उपलब्धि (Achievement) , आत्मसम्मान (Self respect), सामाजिक स्तर (Social Level) आदि।

2. चालक/प्रणोद/ अन्तर्नोद (Drive)- वह कारक जो आंतरिक रुप से व्यक्ति को कार्य/ व्यवहार करने के लिए प्रेरित करता है, चालक  (Drive) कहलाता है। 

दूसरे शब्दों में - प्राणी के शरीर में जब किसी मौलिक आवश्यकता की पूर्ति में कमी आ जाती है तो उसके अंदर तनाव की स्थिति उत्पन्न हो जाती  है।  यह तनाव की स्थिति जिस रूप में अनुभव की जाती है, उसे चालक  (Drive) कहते हैं ।
जैसे - भूख , प्यास , निंद्रा  आदि ।
डैशिल के अनुसार - चालक शक्ति का वह मौलिक स्रोत है जो व्यक्ति को क्रियाशील कर देता है । (Drive is an original source of energy that activates the human organism.)
माथुर के अनुसार - चालक आवश्यकता से उत्पन्न होती है और प्राणी को कार्य करने के लिए अग्रसर करती है। 

3. उद्दीपन /प्रोत्साहन (Incentive) - प्रोत्साहन बाह्य वातावरण  से प्राप्त होने वाली वह वास्तु है जो प्राणी की आवश्यकता की पूर्ति करके चालक को शांत करती है ।
जैसे - शरीर में पानी की कमी होने से प्यास (चालक) प्राणी को क्रियाशील कर देती है तथा पानी मिलने पर प्यास शांत हो जाती है । इस प्रक्रिया में पानी प्रोत्साहन का कार्य करता है । इसी तरह भूख के लिए भोजन , साँस लेने के ऑक्सीजन प्रोत्साहन है ।
हिलगार्ड के अनुसार - उचित प्रोत्साहन वह है जिसके प्राप्त होने से चालक (Drive) की तीव्रता घटती है और व्यक्ति का मानसिक तनाव दूर होता है । ( An appropriate incentive is one that can reduce the intensity of a drive.)

प्रोत्साहन दो तरह के होते हैं - 
1. धनात्मक प्रोत्साहन (Positive Incentive)-  प्रशंसा, पुरस्कार, धन , स्वीकृति आदि ।
2.  नकारात्मक प्रोत्साहन (Negative  Incentive)-  पीड़ा , दंड , निंदा आदि। 

4. अभिप्रेरक/प्रेरक  (Motive)-  अभिप्रेरक अति व्यापक (Comprehensive) शब्द है इसके अंतर्गत प्रोत्साहन के अतिरिक्त चालक , तनाव , आवश्यकता सभी आ जाते हैं। 

गेट्स एवं अन्य के अनुसार - अभिप्रेरकों के विभिन्न स्वरुप हैं और इनको विभिन्न नामों से जाना जाता है जैसे - आवश्यकताएं (Needs),  इच्छाएं (Desires), तनाव (Tension), अभिवृत्तियाँ  (Attitudes), रूचि (Interest) , स्थायी प्रोत्साहन (Persisting Incentive) आदि ।
कुछ लोग अभिप्रेरणा (Motivation) तथा अभिप्रेरक (Motive) दोनों का  एक ही अर्थ मानते हैं परन्तु इसमें कुछ अंतर है । अभिप्रेरणा व्यक्ति को किसी व्यवहार करने की मानसिक स्थिति (Mental Set) है जबकि अभिप्रेरक (Motive) इस मानसिक स्थिति के कारक (Factor)  हैं ।  
ब्लेयर, जोन्स व सिम्पसन के अनुसार (According to Blair, Jones & Simpson) - अभिप्रेरक हमारी आधारभूत आवश्यकताओं से उत्पन्न होने वाली वे शक्तियां हैं जो व्यवहार  को दिशा और उद्देश्य प्रदान करती है ।
(Arising form our needs, motives are the energies which give direction and purpose to behaviour.)


आवश्यकता, अन्तर्नोद और प्रोत्साहन में सम्बन्ध (Relation in Need, Drive and Incentive)


हिलगार्ड के अनुसार  -  आवश्यकता (Need) चालक (Drive) को जन्म देती है। चालक  बढ़े हुए तनाव (Tension) की स्थिति है जो क्रिया और प्रारम्भिक व्यवहार की ओर ले जाती है। प्रोत्साहन (Incentive) वाह्य पर्यावरण (External Environment) की कोई वस्तु होती है जो आवश्यकता की सन्तुष्टि करती है और इस प्रकार सन्तुष्टि  क्रिया द्वारा चालक (Drive)  को कम करती है । 


अभिप्रेरणा चक्र (Motivation Cycle)


अभिप्रेरकों का वर्गीकरण (Classification of Motives)

 अभिप्रेरकों (Motives)  का वर्गीकरण अनेक विद्वानों द्वारा किया गया  है -.

गैरेट (Garrett) ने के अनुसार -  अभिप्रेरक  के  तीन प्रकार हैं 

  1.  जैविक अभिप्रेरक (Biological Motives) - भूख, प्यास, काम, काम, निंद्रा, विश्राम आदि।
  2.  मनोवैज्ञानिक अभिप्रेरक (Psychological Motives)- ये प्रबल मनोवैज्ञानिक दशाओं के कारण उत्पन्न होते हैं । गैरेट ने इनके अंतर्गत संवेगों (Emotions) को स्थान दिया है। जैसे - क्रोध, भय, प्रेम, दुःख, आनंद आदि।
  3. सामाजिक अभिप्रेरक (Social Motives)-  ये प्रेरक सामाजिक आदर्शों, स्थितियों, संबंधों आदि के कारण उत्पन्न होते हैं और व्यक्ति के व्यवहार पर बहुत प्रभाव डालते हैं । जैसे - आत्म-सम्मान, आत्म- सुरक्षा, आत्म-प्रदर्शन, जिज्ञासा, रचनात्मकता आदि

थॉमसन (Thomson) के अनुसार- 

थॉमसन  ने दो प्रकार के  अभिप्रेरक बताये हैं- 

1.  स्वाभाविक अभिप्रेरणा (Natural Motives) - ये प्रेरक व्यक्ति के स्वभाव से ही पाए जाते है । जैसे-   खेल, अनुकरण,  सुझाव, प्रतिष्ठा, सुख- प्राप्ति आदि।

2. कृत्रिम अभिप्रेरक (Artificial Motives) – इस प्रकार के अभिप्रेरक वातावरण जनित होते हैं और व्यक्ति केे कार्य या व्यवहार को नियंत्रित और प्रोत्साहित करते हैं । जैसे- दंड, प्रशंसा, पुरस्कार, सहयोग, व्यक्तिगत और सामुहिक कार्य की प्रेरणा  आदि।

3. मैसलो (Maslow) के अनुसार–  शिक्षा के क्षेत्र में मैसलो द्वारा किया गया वर्गीकरण अधिक महत्त्वपूर्ण माना जाता है। उसने अभिप्रेरकों का वर्गीकरण करते समय आवश्यकताओं की तीव्रता को आधार माना है। उसके अनुसार कुछ मूलभूत आवश्यकताएँ ऐसी हैं जिनकी पूर्ति के लिए व्यक्ति को शीघ्र प्रयास करना पड़ता है, जैसे भूख, प्यास आदि।

दूसरे स्तर की वे आवश्यकताएँ हैं जिनके लिए व्यक्ति तब प्रयास करता है जब मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति हो जाती है। सामाजिक तथा वातावरण जनित आवश्यकताएँ कम तीव्रता वाली आवश्यकताओं की श्रेणी में आती हैं। मैसलो ने दो प्रकार के अभिप्रेरक (Motive) बताये  हैं-

1जन्मजात अभिप्रेरक (Innate motives)- इन अभिप्रेरकों को शारीरिक (Physiological) या जैविक (Biological) अभिप्रेरक भी कहते हैं । जैसे -भूख, प्यास, काम, निंद्रा आदि।
2. अर्जित अभिप्रेरक (Acquired Motives)- 

(A) व्यक्ति अभिप्रेरक (Person Motives)-  आदत (Habit), रूचि (Interest), अभिवृत्ति (Attitude), जीवन मूल्य (Life Value), जीवन लक्ष्य (Life goal), अचेतन इच्छायें (Unconscious Desires) आदि।

(B) सामाजिक अभिप्रेरक (Social Motives)-  सामाजिकता (Sociality) , आत्म-स्थापना (Self-assertion), संग्रहता (Acquisition), सामाजिक मूल्य (Social Value) आदि।












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