Saturday, August 1, 2020

राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (RMSA)

राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (RMSA)


राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान माध्यमिक शिक्षा के लिये सार्वभौमिक पहुंच तथा सुधार हेतु  मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD) भारत सरकार की एक केंद्र प्रायोजित योजना है। देश मे शिक्षा की उच्चतम नीति निर्मात्री तथा परामर्शदात्री संस्था "केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (CABE)  के साथ सभी राज्य के शिक्षा मंत्रियों तथा प्रसिद्ध शिक्षाविद इसके सदस्य के रूप में 2004 तथा 2005 में माध्यमिक शिक्षा को सार्वभौमिक बनाने का निर्णय किया। इसके पश्चात राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (RMSA) अस्तित्व में आया।यह योजना मार्च, 2009 माध्यमिक शिक्षा तक पहुंच बढ़ाने और उसकी गुणवत्ता में सुधार करने के लिए की गई थी। योजना का कार्यान्वयन 2009-10 से सभी को प्रभावी वृद्धि विकास तथा समता की परिस्थिति प्रदान करने हेतु प्रारंभ किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य किसी भी निवास स्थान से उचित दूरी के भीतर एक माध्यमिक विद्यालय प्रदान करके योजना के कार्यान्वयन के माध्यमिक चरण में 2005-06 में 52.26% से 75% की नामांकन दर प्राप्त करने की परिकल्पना की गई है। इसका लक्ष्य 15-16 वर्ष के आयु समूह के सभी बच्चों को सार्वभौमिक शिक्षा प्रदान करना है।
राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (RMSA)  के क्रियान्वयन की रूपरेखा में उल्लेखित माध्यमिक शिक्षा के दृष्टिकोण के अनुसार 14-18 वर्ष के आयु समूहों के सभी युवाओं को उत्तम गुणवत्ता की सुलभ तथा सुगम शिक्षा उपलब्ध कराना है। राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (RMSA) अतिरिक्त शिक्षकों की नियुक्ति, शिक्षकों को सेवाकालीन प्रशिक्षण, ICT आधारित शिक्षा, पाठ्यचर्या तथा शिक्षण अधिगम सुधार आदि के माध्यम से माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार का भी लक्ष्य रखता है।

राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (RMSA) के उद्देश्य


1. किसी भी निवास स्थान से उचित दूरी के भीतर एक माध्यमिक विद्यालय प्रदान करना। यह माध्यमिक विद्यालयों के लिए 5 KM तक , उच्च माध्यमिक विद्यालयों के लिये 7-10 KM होना चाहिए।

2. 2017 तक माध्यमिक स्तर की शिक्षा के लिए सार्वभौमिक पहुंच सुनिश्चित करना। (बारहवीं पंचवर्षीय योजना के अंत तक।)

3. सभी माध्यमिक विद्यालयों को निर्धारित मानदंडों के अनुरूप बनाने के माध्यम से माध्यमिक स्तर पर प्रदान की जाने वाली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना।

4. लिंग, सामाजिक-आर्थिक और विकलांगता बाधाओं को दूर करना।

5. 2020 तक विद्यालयों में सार्वभौमिक ठाहराव।

6. समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों, शैक्षिक रूप से पिछड़े, ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली लड़कियों एवं निर्योग्य बच्चों तथा अन्य सीमांतक वर्गों जैसे-अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़े वर्ग तथा शैक्षिक रूप से पिछड़े अल्पसंख्यक के विशेष सन्दर्भ में माध्यमिक शिक्षा के लिए पहुंच प्रदान करना।

7. सभी विद्यार्थियों को मानकों के अनुसार निकटतम स्थिति के माध्यम से (5 KM के अंदर माध्यमिक विद्यालय, 7-10 KM  के अंदर उच्च माध्यमिक विद्यालय)/  प्रभावी एवं सुरक्षित परिवहन व्यवस्था/ आवसीय सुविधा तथा मुक्त विद्यालय सहित स्थानीय परिस्थितियों पर निर्भर माध्यमिक शिक्षा की पहुंच प्रदान करना।

8. बौद्धिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक अधिगम की वृद्धि के परिणाम के रूप में माध्यमिक शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना।







सन्दर्भ ग्रन्थ सूची 


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