सेवा-पूर्वकालीन अध्यापक शिक्षा
(Pre-Service Teacher Education)
पूर्व सेवा शिक्षक शिक्षा वह प्रशिक्षण है जो किसी व्यक्ति को शिक्षक बनने से पहले प्रदान किया जाता है। इसका उद्देश्य भावी शिक्षकों को शिक्षण के लिए आवश्यक ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण से सुसज्जित करना है। इस शिक्षा के माध्यम से छात्र-शिक्षक शिक्षण पद्धतियों, शैक्षिक मनोविज्ञान, कक्षा प्रबंधन, मूल्यांकन तकनीकों तथा नैतिक मूल्यों को समझते और अपनाते हैं। पूर्व सेवा शिक्षक शिक्षा में सैद्धांतिक और व्यावहारिक दोनों तरह के प्रशिक्षण शामिल होते हैं, जिनमें छात्रों को प्रशिक्षण अवधि के दौरान स्कूलों में इंटर्नशिप भी कराई जाती है।
इसका महत्व इसलिए भी है क्योंकि शिक्षक शिक्षा की गुणवत्ता सीधे तौर पर शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित करती है। एक प्रशिक्षित शिक्षक ही छात्रों को बेहतर शिक्षा प्रदान कर सकता है और उनकी विविध आवश्यकताओं को समझकर उन्हें मार्गदर्शन कर सकता है। पूर्व सेवा शिक्षक शिक्षा से शिक्षक पेशे के प्रति प्रतिबद्ध और सजग बनते हैं, जिससे शिक्षा जगत में सकारात्मक बदलाव आते हैं।
इसके अतिरिक्त, शिक्षकों को नयी-नयी शिक्षा तकनीकों, पाठ्यक्रम परिवर्तनों और बच्चों की मनोवैज्ञानिक तथा सामाजिक जरूरतों के बारे में सिखाया जाता है, ताकि वे आधुनिक शिक्षा प्रणाली के अनुरूप काम कर सकें। इस प्रक्रिया से वे खुद को एक प्रभावी शिक्षक के रूप में स्थापित कर पाते हैं जो समाज और विद्यार्थियों के विकास में सहायक होता है।
इसलिए, पूर्व सेवा शिक्षक शिक्षा शिक्षा प्रणाली का एक अनिवार्य हिस्सा है जो शिक्षकों को शिक्षण कार्य में दक्ष और सफल बनाती है। यह शिक्षकों को अपने करियर की शुरुआत में ही आवश्यक प्रशिक्षण देकर उन्हें भविष्य के लिए तैयार करती है। इसका उद्देश्य शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता सुधारना और बच्चों को बेहतर शिक्षण प्रदान करना है।
सेवा-पूर्वकालीन अध्यापक शिक्षा के उद्देश्य
(Objectives of Pre-Service Teacher Education)
पूर्व सेवा शिक्षक शिक्षा के उद्देश्य प्रमुख रूप से भावी शिक्षकों को शिक्षण पेशे के लिए तैयार करना और उन्हें आवश्यक ज्ञान, कौशल एवं दृष्टिकोण से सुसज्जित करना हैं। इसके मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं&
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शिक्षण के उद्देश्य और शिक्षा के महत्व की समझ देना ताकि शिक्षक शिक्षा के सामाजिक और व्यक्तिगत आयामों को समझ सके।
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बाल विकास, मनोविज्ञान और सीखने की प्रक्रिया की गहरी जानकारी प्रदान करना, जिससे वे बच्चों की आवश्यकताओं और विकासात्मक चरणों को समझकर शिक्षा दे सकें।
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शिक्षण विधियों का परिचय देना और उन्हें इस प्रकार तैयार करना कि वे प्रभावी ढंग से विषय वस्तु को विद्यार्थियों तक पहुँचा सकें तथा रुचि उत्पन्न कर सकें।
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शिक्षक बनने के लिए आवश्यक संवाद कौशल, कक्षा प्रबंधन और व्यावहारिक अधिगम तकनीकों का विकास करना।
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सीखने वाले छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए सकारात्मक मनोवृत्तियाँ, नैतिकता और संवेदनशीलता विकसित करना।
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शिक्षण में नवीनतम तकनीकों और संसाधनों के उपयोग को प्रोत्साहित करना ताकि वे आधुनिक शैक्षिक परिवेश के अनुकूल बने रहे।
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सामाजिक और सांस्कृतिक संदर्भों को समझते हुए बच्चों के व्यक्तित्व विकास और सामाजिक उत्तरदायित्वों के लिए जागरूक करना।
प्रारंभिक अध्यापक शिक्षा स्तर (Primary level Teacher Education)
इस स्तर को परिषद् के द्वारा प्राथमिक और उच्च प्राथमिक (कक्षा 1 से 5 तथा 6 से 8) सम्मिलित करते हुए संरचित किया गया है और इन दोनों ही स्तरों के लिए प्रस्तावित विशिष्ट उद्देश्य एवं पाठ्यक्रम को प्रारम्भिक स्तर के लिए उपयोगी माना गया। 14-15 वर्ष तक के वर्ग के बच्चों को इस स्तर में रखा गया।
पूर्व सेवा शिक्षक शिक्षा कार्यक्रम बच्चों की सीखने की प्रक्रियाओं, व्यक्तिगत तथा सामाजिक विकास के सिद्धांतों को समझाने के साथ ही शिक्षण कौशल, कक्षा प्रबंधन और सामाजिक-सांस्कृतिक संदर्भों को भी सिखाता है। यह कार्यक्रम शिक्षकों को व्यावहारिक प्रशिक्षण देता है । उदाहरण के लिए स्कूल में व्यावसायिक अनुभव (प्रैक्टिकम) और इंटर्नशिप, जिससे वे वास्तविक कक्षा अनुभव प्राप्त कर सकें।
इस शिक्षा का एक प्रमुख उद्देश्य यह भी होता है कि शिक्षक बहुभाषिक और बहुसांस्कृतिक कक्षाओं में पढ़ाने के लिए तैयार हों, क्योंकि प्राथमिक स्तर की कक्षाओं में विभिन्न पृष्ठभूमि के बच्चे होते हैं। इसके अतिरिक्त, शिक्षक को तकनीकी उपकरणों का भी सही उपयोग करना सिखाया जाता है ताकि सीखने की प्रक्रिया अधिक प्रभावी और आकर्षक हो सके।
उद्देश्य (Objectives):-
कक्षा एक से पाँच तक के प्राथमिक स्तर के लिए अध्यापक शिक्षा के विशिष्ट उद्देश्य निम्न हैं -
- प्राथमिक स्तर उपयोगी मनोवैज्ञानिक तथा समाजशास्त्रीय शैक्षिक पृष्ठभूमि के बारे में भावी अध्यापक/अध्यापिकाओं के मध्य अवबोध का विकास करना।
- अध्यापकों को बच्चों के लिए अधिगम अनुभव को संगठित करने हेतु उपयुक्त संसाधनों से उन्हें परिचित कराना।
- शिक्षार्थियों को शिक्षा के लक्ष्यों और उद्देश्यों की गहरी समझ देना।
बाल विकास, बच्चों के सीखने की प्रक्रियाओं और मनोविज्ञान के बारे में ज्ञान प्रदान करना ताकि शिक्षक बच्चों की आवश्यकताओं को समझ सकें।
- सभी प्रकार के बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए शिक्षक में सही दृष्टिकोण, रुचि और नैतिक मूल्य विकसित करना।
- नवीनतम शैक्षिक तकनीकों और उपकरणों का उपयोग करने के लिए शिक्षकों को सक्षम बनाना।
- बहुभाषी और बहुसांस्कृतिक कक्षा में पढ़ाने के लिए शिक्षकों को तैयार करना।
- विद्यालय के बाहर और विद्यालय के अंदर बच्चों के विकास के लिए उचित पर्यावरण सुनिश्चित करना।
- संचार कौशल, कक्षा प्रबंधन और व्यवहारिक शिक्षण क्षमताएं विकसित करना ताकि शिक्षक बच्चों के साथ प्रभावी संबंध बना सकें।
शिक्षण सामग्री को इस प्रकार प्रस्तुत करने के लिए प्रशिक्षित करना जिससे बच्चों में रुचि उत्पन्न हो और उनका समग्र विकास हो।
- बच्चों में जिज्ञासा, कल्पना तथा सृजनात्मकता को विकसित करने के लिए उन्हें उपयुक्त एवं आवश्यक कौशलों में सक्षम बनाना।
- सामाजिक और संवेगात्मक समस्याओं के विश्लेषण तथा अवबोध हेतु उनमें क्षमता को विकसित करना।
बाल विकास और बाल मनोविज्ञान: इस विषय में बच्चों के शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक विकास को समझना सिखाया जाता है ताकि शिक्षक बच्चों की आवश्यकताओं और विकासात्मक चरणों को ध्यान में रख कर शिक्षण कर सकें।
शिक्षा का दार्शनिक और सामाजिक आधार: शिक्षा के उद्देश्यों, शिक्षकों की भूमिका और सामाजिक संदर्भों की समझ विकसित करना पाठ्यक्रम का एक हिस्सा है।
शैक्षिक मनोविज्ञान और शिक्षण विधियाँ: बच्चों के सीखने के सिद्धांतों, समूह प्रबंध, कक्षा में व्यवहार नियंत्रण और प्रभावी शिक्षण तकनीकों की जानकारी दी जाती है।
विषयविशेष पाठ्य सामग्री: जैसे मातृभाषा, गणित, विज्ञान, सामाजिक अध्ययन आदि विषयों को प्राथमिक कक्षा के लिए पढ़ाने की पद्धति पर जोर दिया जाता है।
आंकलन, मूल्याङ्कन एवं सुधारात्मक शिक्षण।
विद्यालय प्रबंधन एवं प्रशासन।
मार्गदर्शन एवं परामर्श।
स्वास्थ्य एवं शारीरिक शिक्षा
समावेशी शिक्षण।
प्राथमिक विद्यालयों के लिए विषयगत क्षेत्र।
क्रियात्मक अनुसन्धान।
प्रैक्टिकल या अभ्यास: छात्रों को स्कूल में इंटर्नशिप के माध्यम से वास्तविक कक्षा का अनुभव दिया जाता है, जिससे वे व्यवहारिक शिक्षण कौशल विकसित कर सकें।
कार्य शिक्षा
विद्यालय समुदाय अंतक्रिया
सम्बंधित शैक्षिक क्रियाओं का संगठन।
मूल्यांकन के तरीके
- प्रश्नावली और टेस्ट
- साक्षात्कार और फोकस समूह चर्चाएँ
- शिक्षण अभ्यास के दौरान कक्षा अवलोकन
- प्रोजेक्ट एवं असाइनमेंट का मूल्यांकन
- आत्म-मूल्यांकन और सहकर्मी मूल्यांकन
इस प्रकार, प्राथमिक स्तर की पूर्व सेवा शिक्षक शिक्षा में मूल्यांकन प्रशिक्षण की गुणवत्ता सुनिश्चित करने और प्रशिक्षणार्थियों के समुचित विकास के लिए एक आवश्यक प्रक्रिया है। यह प्रशिक्षण कार्यक्रमों को बेहतर बनाने तथा शिक्षकों को उनके पेशे में दक्ष और प्रभावी बनाने में सहायक होता है.प्राथमिक स्तर की पूर्व सेवा शिक्षक शिक्षा में मूल्यांकन का उद्देश्य शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम की प्रभावशीलता और गुणवत्ता को जांचना होता है। यह प्रशिक्षण के दौरान और अंत में शिक्षार्थियों के ज्ञान, कौशल, व्यवहार और प्रशिक्षण के परिणामों का आकलन करता है। मूल्यांकन से यह पता चलता है कि प्रशिक्षण के लक्ष्यों की प्राप्ति हुई है या नहीं, और किस प्रकार सुधार की आवश्यकता है।
माध्यमिक अध्यापक शिक्षा स्तर (Secondary level Teacher Education)
उद्देश्य (Objectives):-
माध्यमिक स्तर की पूर्व सेवा शिक्षक शिक्षा के उद्देश्य इस प्रकार हैं:
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शिक्षार्थियों को शिक्षा के मूल लक्ष्यों, सिद्धांतों और शिक्षक के कर्तव्यों की समझ प्रदान करना।
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बच्चों के विकास और मनोविज्ञान के बारे में गहन ज्ञान देना ताकि वे विद्यार्थियों की आवश्यकताओं को समझ सकें।
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माध्यमिक स्तर के विषयों के लिए गहन सामग्री विशेषज्ञता विकसित करना और उसे प्रभावी ढंग से पढ़ाने के कौशल प्रदान करना।
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प्रभावी शिक्षण विधियों, कक्षा प्रबंधन, मूल्यांकन तकनीकों और पाठ्यक्रम नियोजन की प्रशिक्षण देना।
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शिक्षकों को नवाचार, तकनीकी कौशल और विभिन्न शिक्षण संसाधनों के प्रयोग के लिए सक्षम बनाना।
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शिक्षक में नैतिकता, सामाजिक जिम्मेदारी, समावेशी शिक्षा और सतत् सीखने की प्रवृत्ति विकसित करना।
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प्रशिक्षुओं को स्व-विश्लेषण एवं चिंतन से प्रेरित करना ताकि वे लगातार अपने शिक्षण कौशल में सुधार कर सकें।
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समग्र और समावेशी शिक्षा को बढ़ावा देना तथा विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास में योगदान देना।
यह पाठ्यक्रम शिक्षा के व्यापक सिद्धांतों के साथ-साथ विशेष विषयों का गहन अध्ययन कराता है। इसमें निम्नलिखित प्रमुख विषय शामिल होते हैं:
शिक्षा, स्कूल और समाज का अध्ययन
बाल्यावस्था और विकास
शिक्षण विधियाँ और पाठ्यक्रम अध्ययन
विशेष विषय जैसे हिंदी, अंग्रेजी, विज्ञान, गणित, सामाजिक विज्ञान आदि के शिक्षण पद्धतियाँ
सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT) का उपयोग शिक्षण में
विद्यालय अनुभव और शिक्षण अभ्यास (प्रैक्टिकम)
विद्यालय प्रबंधन
पाठ्यक्रम योजना एवं विकास
मार्गदर्शन एवं परामर्शन
भारत में माध्यमिक शिक्षा
अध्ययन -अध्यापन का मनोविज्ञान
चयनात्मक पाठ्यक्रम (Optional curriculum ):-
- पूर्व-विद्यालयीय शिक्षा (Pre-school education)
- प्रारम्भिक शिक्षा (Primary education)
- शैक्षिक तकनीकी (Educational technology)
- व्यावसायिक शिक्षा (Vocational education)
- प्रौढ़ शिक्षा (Adult education)
- अनौपचारिक शिक्षा (Non-formal education)
- दूरस्थ शिक्षा (Distance education)
- पर्यावरण शिक्षा (Environmental education)
- संगणकीय शिक्षा (Computer education)
- विशिष्ट आवश्यकता वाले बच्चों की शिक्षा (Education for children with special needs)
- स्वास्थ्य तथा शारीरिक शिक्षा (Health and physical education)
- शिक्षा-इतिहास और समस्याएँ (History and issues in education)
- जनसंख्या शिक्षा (Population education)
शिक्षण अभ्यास (Practice Teaching):
- दो विद्यालयीय विषयों का शिक्षणशास्त्रीय विश्लेषण (Pedagogical analysis of two school subjects)
- विद्यालयीय शिक्षण अभ्यास (School teaching practices)
- प्रतिमान पाठों का निरीक्षण (Observation of model lessons)
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