Wednesday, February 15, 2023

VERBAL INTELLIGENCE TEST (VIT)

VERBAL INTELLIGENCE TEST (VIT)

(1) उद्देश्य (Objective):-  शाब्दिक बुद्धि परीक्षण के माध्यम से प्रयोज्य के बुद्धि के स्तर का मापन करना। 

(2) परीक्षण परिचय (Introduction):- यह प्रश्नावली Dr. R.K. Ojha एवं Dr. K. Ray Chaudhary द्वारा निर्मित की गई है। इस प्रश्नावली में 112 प्रश्न हैं। यह  प्रश्नावली 13 से 20 वर्ष के छात्रों   पर प्रशासित की जाती है। इस प्रश्नावली में 8 भाग हैं। प्रत्येक भाग में प्रश्नों की संख्या अलग -अलग है। 

बुद्धि का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Intelligence)

बुद्धि शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग फ्रांसिस गाल्टन  ने 1885 में किया था।

बुद्धि को सामान्यतः सोचने-समझने और सीखने एवं निर्णय करने की शक्ति के रूप में देखा-समझा जाता है, परन्तु वास्तव में बुद्धि इससे कुछ अधिक होती है। बुद्धि के विषय में सर्वप्रथम भारतीय दार्शनिकों ने चिन्तन किया था। प्राचीन भारतीय दार्शनिकों के अनुसार मनुष्य के अन्तःकरण (Conscience) के तीन अंग हैं- मन, बुद्धि और अहंकार। 

इनमें मन बाह्य इन्द्रियों (External Senses)  और बुद्धि के बीच संयोजक (Coordinator) का कार्य करता है। मन के संयोग से ही बाह्य इन्द्रियाँ क्रियाशील होती हैं और मन के संयोग (Combination) से ही बुद्धि क्रियाशील होती है। इनके अनुसार इन्द्रियों से प्राप्त ज्ञान मन के द्वारा बुद्धि पर पहुँचता है। बुद्धि इनमें काट-छाँट करती है और उसे अहम् से जोड़ती है और अन्त में उसे सूक्ष्म शरीर पर पहुँचा देती है जहाँ वह संचित हो जाता है। और जब कभी प्राणी विशेष को इस ज्ञान की आवश्यकता होती है तो उसकी बुद्धि उसे सूक्ष्म शरीर से मन तक पहुँचा देती है और मन प्राणी को तदनुकूल क्रियाशील कर देता है। 

आधुनिक युग में बुद्धि के स्वरूप एवं कार्यों को समझने का प्रयास पाश्चात्य मनोवैज्ञानिकों ने शुरू किया। परन्तु  मनोविज्ञान की उत्पत्ति से लेकर आज तक बुद्धि का स्वरूप निश्चित नहीं हो पाया है। समय-समय पर जो परिभाषाएँ विद्वानों द्वारा प्रस्तुत की जाती रहीं, वह इसके एक पक्ष या विशेषता या क्षमता से सम्बन्धित थीं। अत: आज तक उपलब्ध सामग्री के आधार पर बुद्धि का स्वरूप तथा इसकी प्रकृति क्या है?  इस पर अलग -अलग विद्वानों के अलग - अलग मत है।

परिभाषायें (Definitions)

पाश्चात्य मनोवैज्ञानिक फ्रीमैन (Freeman) ने बुद्धि सम्बन्धी इन विभिन्न मतों को  चार वर्गों में विभाजित किया है-

1. सीखने की योग्यता (Ability of learning)-

भारतीय मनीषियों एवं ऋषियों ने 'ज्ञान' को जीवन का प्रमुख साधन एवं साध्य माना है। अतः जो व्यक्ति अधिक से अधिक ज्ञान ग्रहण कर लेता है; उसे समाज उच्च स्थान देता है। मनोवैज्ञानिकों ने अधिक से अधिक ज्ञान को ग्रहण करने वाली योग्यता को ही बुद्धि' माना है।

मनोवैज्ञानिक- डियरबोर्न (Dearborn), फ्रांसिस गाल्टन (Fransisi Galton)किंघम (Bukingham), बुडवर्थ (Woodworth) आदि। 

2. समस्या समाधान की योग्यता (Ability to solve the problem)-

प्रत्येक व्यक्ति को विकास के साथ-साथ विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना होता है। जो व्यक्ति इन समस्याओं पर जितनी शीघ्र विजय प्राप्त कर लेता है या उनसे छुटकारा प्राप्त कर लेता है, वही सबसे अधिक बुद्धिमान माना जाता है। अतः समस्या समाधान में प्रयोग की गयी योग्यता ही 'बुद्धि' है ।

मनोवैज्ञानिक- रायबर्न (Rayburn), गैरेट (Garret) आदि। 

3. अमूर्त चिन्तन की योग्यता (Ability of think abstractly)-

प्रत्येक व्यक्ति दो प्रकार से चिन्तन प्रक्रिया को अपनाता है। प्रथम मूर्त रूप से चिन्तन करके ज्ञान प्राप्त करना और द्वितीय-अमूर्त रूप से चिन्तन करके। अमूर्त रूप से तात्पर्य, जो चीजें हमारे समक्ष नहीं हैं उनका कल्पना तथा स्मृति के आधार पर ज्ञान प्राप्त करना। अत: अमूर्त चिन्तन में जो व्यक्ति अधिक सफल होता है, उसे बुद्धिमान कहा जाता है।

मनोवैज्ञानिक- टरमन (Terman), अल्फ्रेड बिने (Alfred Binet) आदि। 

4. पर्यावरण से सामंजस्य की योग्यता (Ability of adjustment with Environment)-

प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में विकास करता है। विकास के समय सफलताएँ और असफलताएँ दोनों ही आती हैं। जो व्यक्ति दोनों में समाजीकरण एवं सामंजस्य करते हुए विकास करता है, या जो जितनी शीघ्र  पर्यावरण के साथ समायोजन कर लेता है। उसे बुद्धिमान व्यक्ति माना जाता है ।

मनोवैज्ञानिक- क्रूज (Cruz), स्टर्न (Stern), पिन्टनर (Pintner) , थॉर्नडाइक (Thorndike) आदि। 

कुछ मनोवैज्ञानिकों ने बुद्धि को अनेक योग्यताओं का समुच्चय माना है-

वैशलर (Wechsler) के अनुसार– “बुद्धि व्यक्ति की उद्देश्यपूर्ण ढंग से कार्य करने, विवेकपूर्ण ढंग से चिन्तन करने और अपने पर्यावरण के साथ प्रभावशाली ढंग से सामंजस्य करने की सम्पूर्ण अथवा व्यापक योग्यता है” (Intelligence is the aggregate or global capacity of the individual to act purposefully, to think rationally and to deal effectively with his environment.)

स्टोडार्ड (Stoddard)  के अनुसार-  बुद्धि उन कार्यों को करने की योग्यता है जिनमें कठिनाई, जटिलता, सूक्ष्मता, मितव्यता, उद्देश्य प्राप्ति की क्षमता, सामाजिक मूल्य एवं मौलिकता की अपेक्षा है तथा विशिष्ट परिस्थितियों में ऐसे कार्य करने की क्षमता जिनमें ऊर्जा के केन्द्रीकरण एवं संवेगात्मक शक्तियों पर नियन्त्रण रखने की आवश्यकता होती है । (Intelligence is the ability to undertake activities that are characterized by difficulty, complexity, abstractness, economy, adaptiveness to a goal, social value and the emergence of originals, and to maintain such activities under conditions that demand a concentration of energy and resistance to emotional forces.)

कोलस्निक (Kolesnik) के अनुसार-  बुद्धि कोई एक प्रकार की शक्ति, क्षमता  एवं योग्यता नहीं है जो सब परिस्थितियों में समान रूप से कार्य करती है अपितु यह विभिन्न योग्यताओं का योग है। (Intelligence is not a single power or capacity or ability which operates equally well in all situations. It is rather a composite of several different abilities.)

बुद्धि की प्रकृति एवं विशेषतायें (Nature and Characteristics of  Intelligence)

  1. बुद्धि जन्मजात शक्ति है।
  2. बुद्धि के उचित विकास के लिए पर्यावरण का महत्व है।
  3. योग की क्रियाओं द्वारा जन्मजात बुद्धि में वृद्धि सम्भव है।
  4. बुद्धि सीखने की योग्यता है।
  5. बुद्धि पर्यावरण के साथ समायोजन करने की योग्यता है।
  6. बुद्धि अमूर्त्त चिंतन की योग्यता है।
  7. बुद्धि पूर्व अनुभवों एवं अर्जित ज्ञान से लाभ उठाने की योग्यता है।
  8. बुद्धि समस्या समाधान की योग्यता है।
  9. बुद्धि अनेक योग्यताओं का समुच्चय है।
  10. बुद्धि संबंधों को समझने की शक्ति है।
  11. बुद्धि चिंतन करने, तर्क करने और निर्णय करने की शक्ति है।
  12. बुद्धि का विकास जन्म से लेकर किशोरावस्था तक होता है।
  13. बुद्धि में आत्म निरीक्षण की शक्ति होती है । व्यक्ति द्वारा किये गए कर्मों और विचारों की आलोचना बुद्धि स्वयं करती है।

बुद्धि  के प्रकार (Types of Intelligence)

मनोवैज्ञानिक थॉर्नडाइक (Thorndike) ने बुद्धि के तीन प्रकार बताए थे- गामक या यान्त्रिक बुद्धि  (Motor or Mechanical Intelligence), अमूर्त बुद्धि (Abstract Intelligence) और सामाजिक बुद्धि (Social Intelligence)। गैरेट (Garette) ने थॉर्नडाइक की गामक अथवा यान्त्रिक बुद्धि को मूर्त बुद्धि (Concrete Intelligence) की संज्ञा दी। वर्तमान में बुद्धि के ये ही तीन प्रकार माने जाते हैं-


(1) गामक या यान्त्रिक बुद्धि  (Motor or Mechanical Intelligence)/ मूर्त बुद्धि (Concrete Intelligence)—

वह बुद्धि जो मनुष्यों को वस्तुओं के स्वरूप को समझने एवं तदनुकूल क्रिया करने में सहयोग करती है, उसे गैरेट ने मूर्त बुद्धि (Concrete Intelligence) की संज्ञा दी। मूर्त बुद्धि इसलिए कि वह मूर्त वस्तुओं को समझने एवं मूर्त क्रियाओं को करने में सहायता करती है। इस प्रकार की बुद्धि को थॉर्नडाइक ने गत्यात्मक बुद्धि (Motor Intelligence) या यान्त्रिक बुद्धि (Mechanical Intelligence) कहा था। जिन बच्चों में इस प्रकार की बुद्धि की अधिकता होती है, वे वस्तुओं को तोड़ने-जोड़ने में विशेष रुचि लेते हैं। अन्य शारीरिक कार्य; जैसे-खेल-कूद एवं नृत्य आदि में भी उनकी रुचि होती है। ऐसे बच्चे आगे चलकर कुशल कर्मकार और इंजीनियर बनते हैं।

(2) अमूर्त बुद्धि (Abstract Intelligence)- 

वह बुद्धि जो मनुष्यों को पुस्तकीय ज्ञान प्राप्त करने में, विभिन्न तथ्यों की जानकारी प्राप्त करने में, सोचने-समझने में और समस्याओं के समाधान खोजने में सहायता करती है, उसे थॉर्नडाइक ने अमूर्त बुद्धि (Abstract Intelligence) की संज्ञा दी। अमूर्त बुद्धि इसलिए क्योंकि वह अमूर्त चिन्तन-मनन और समस्या समाधान में सहायक होती है। जिन बच्चों में इस प्रकार की बुद्धि की अधिकता होती है, वे पुस्तक अध्ययन और चिन्तन-मनन में अधिक रुचि लेते हैं। ऐसे बच्चे आगे चलकर अच्छे वकील, डॉक्टर, अध्यापक, साहित्यकार (writer)  चित्रकार (painter) और दार्शनिक बनते हैं।

(3) सामाजिक बुद्धि (Social Intelligence)- 

वह बुद्धि जो मनुष्यों को अपने समाज में समायोजन करने एवं सामाजिक कार्यों में भाग लेने में सहायता करती है, उसे थॉर्नडाइक ने सामाजिक बुद्धि (Social Intelligence) की संज्ञा दी है। जिन बच्चों में इस प्रकार की बुद्धि की अधिकता होती है वे परिवार के सदस्यों, समाज के लोगों और विद्यालय के सहपाठियों के साथ समायोजन करते हैं और सामाजिक कार्यों में रुचि लेते हैं। ऐसे बच्चे आगे चलकर अच्छे व्यवसायी (Businessman), समाज सेवक  एवं राजनेता (Social worker and politician) बनते हैं।


बहुआयामी या बहुल बुद्धि (Multi-Dimensional or Multiple Intelligence)

बहुआयामी बुद्धि का शाब्दिक अर्थ होता है, एक ही व्यक्ति के अन्दर विभिन्न प्रकार के कौशलों (Skills) का विकास होना। अर्थात् उसमें सामाजिक समझ (Social Understanding), राजनैतिक समझ (Political Understanding), समस्या समाधान (Problem Solving) से सम्बन्धित समझ तथा नेतृत्व (Leadership) का गुण इत्यादि का होना। मनोवैज्ञानिकों ने बहुल बुद्धि के बारे में निम्न परिभाषाएँ दी हैं -
केली एवं थर्स्टन  ने बताया कि बुद्धि का निर्माण प्राथमिक मानसिक योग्यताओं के द्वारा होता है।

केली के अनुसार, - “बुद्धि का निर्माण इन योग्यताओं से होता है वाचिक योग्यता (Verbal Ability), गामक योग्यता (Motor Ability), सांख्यिक योग्यता (Statistical Ability), यान्त्रिक योग्यता (Mechanical Ability), सामाजिक योग्यता (Social Ability), संगीतात्मक योग्यता (Musical Ability), स्थानिक सम्बन्धों (spatial relations) के साथ उचित ढंग से व्यवहार करने की योग्यता, रुचि और शारीरिक योग्यता।”

थर्स्टन के अनुसार-  “बुद्धि इन प्राथमिक मानसिक योग्यताओं का समूह होता है प्रत्यक्षीकरण सम्बन्धी योग्यता (Perception related ability), तार्किक योग्यता (Reasoning ability) , सांख्यिकी योग्यता (Statistical Ability) समस्या समाधान की योग्यता (Problem Solving Ability), स्मृति सम्बन्धी योग्यता (Memory related ability)।” 

कुछ मनोवैज्ञानिकों ने केली एवं थर्स्टन के बुद्धि सिद्धान्तों की आलोचना की, किन्तु अधिकतर मनोवैज्ञानिकों ने यह भी माना कि बुद्धि का बहुआयामी होना निश्चित रूप से सम्भव है। बहुआयामी बुद्धि होने के कारण ही कुछ लोग अनेक प्रकार के कौशलों में निपुण होते हैं।


संवेगात्मक बुद्धि (Emotional Intelligence)

सांवेगिक बुद्धि जैसे पद का प्रतिपादन  सेलोवी तथा मेयर (Salovey & Mayer, 1970) ने किया, किन्तु इसकी वैज्ञानिक एवं सैद्धान्तिक व्याख्या गोलमैन (Goleman, 1998) द्वारा दी गई है।

गोलमैन ने इस सम्प्रत्यय (Concept) की व्याख्या अपनी बहुचर्चित पुस्तक 'Emotional Intelligence: Why It Can Matter More than IQ में की है जिसमें उन्होंने स्पष्टत: यह दावा किया कि व्यक्ति को जिन्दगी में जो सफलताएँ मिलती हैं, उनका 20% ही बुद्धि-लब्धि (Intelligence Quotient) के कारण होता है और शेष 80% सफलता का कारण सांवेगिक बुद्धि (Emotional Intelligence or EQ) होता है।

गोलमैन (Goleman, 1994) ने सांवेगिक बुद्धि को परिभाषित करते हुए यह कहा है कि यह दूसरों एवं स्वयं के भावों (Emotions) को पहचानने की क्षमता तथा अपने आपको अभिप्रेरित (Motivate) करने एवं  अपने सम्बन्धों में संवेग को प्रबन्धित करने की क्षमता है। 
गोलमैन ने अपने सिद्धान्त में यह भी स्पष्ट किया है कि ये सांवेगिक क्षमताएँ व्यक्ति को अपनी जिन्दगी के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में सफलता प्रदान करने में काफी सहायता करती हैं, इसलिए गोलमैन ने अपने सांवेगिक बुद्धि के इस मॉडल को 'निष्पादन का सिद्धान्त'(principle of performance) कहकर पुकारना पसन्द किया है।

बुद्धि के सिद्धान्त (Theories of Intelligence)

1. एक कारक या एक सत्तात्मक सिद्धान्त (Unitary or Monarchic Theory)

2. द्विकारक सिद्धान्त (Two factor or Bi-factor Theory)

3. त्रिकारक सिद्धान्त (Three Factor Theory)

4. बहुकारक सिद्धान्त (Multi-factor Theory)

5. समुह कारक सिद्धान्त (Group factor Theory)

6. त्रि-आयाम सिद्धान्त या बुद्धि  सरंचना प्रतिमान (Three Dimensional Theory or S.I. Model)

7. बहु बुद्धि सिद्धान्त (Multiple Intelligence Theory)

8. प्रतिदर्श सिद्धान्त (Sampling or Oligarchic Theory)



बुद्धि परीक्षणों के प्रकार (Types of Intelligence Tests)

बुद्धि  परीक्षण का जन्मदाता अल्फ्रेड बिने को माना जाता है बिने ने 1905 में सर्वप्रथम बुद्धि के मापन के लिए एक परीक्षण तैयार किया था। 

बुद्धि परीक्षणों को दो आधारों पर वर्गीकृत किया जाता है-

1. प्रयोज्यों  या परीक्षार्थियों की संख्या (Number of Subjects or Examinees) के आधार पर। 

2. परीक्षणों के प्रस्तुतीकरण के स्वरूप (Forms of Presentation) के आधार पर। 

1. परीक्षार्थियों की संख्या के आधार पर बुद्धि परीक्षणों को दो वर्गों में विभाजित किया जाता है - 

(i) व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण (Individual Intelligence Test)।

(ii) सामूहिक बुद्धि परीक्षण (Group Intelligence Tests) ।

2. परीक्षणों के प्रस्तुतीकरण के स्वरूप के आधार पर भी उन्हें दो वर्गों में विभाजित किया जाता है - 

(i) शाब्दिक बुद्धि परीक्षण (Verbal Intelligence Tests) ।

(ii) अशाब्दिक बुद्धि परीक्षण (Non-Verbal Intelligence Tests)। 













व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण (Individual Intelligence Test)-

ये वे  बुद्धि परीक्षण हैं जो एक समय मे केवल एक ही  प्रयोज्य या परीक्षार्थी पर प्रशासित किये जाते हैं। इन परीक्षणों के प्रशासन में सर्वप्रथम परीक्षणकर्ता परीक्षार्थी के साथ संबंध स्थापित करता है और इस संबंधित व्यवहार से उसे सामान्य मानसिक स्थिति में लाता है , उसे किसी भी प्रकार के भय व चिंता से मुक्त करता है। इसके बाद उसे परीक्षण संबंधित निर्देश देता है  और अंत मे उसे परीक्षण में निहित प्रश्नों के उत्तर देने के लिए कहता है।

मुख्य परीक्षण-  स्टेनफोर्ड बिने बुद्धि परीक्षण (Stanford Binet Test of Intelligence), वैशलर बुद्धि परीक्षण (Wechsler Intelligence Scale), मैरिल एवं पामर बुद्धि परीक्षण (Merril and Palmer Intelligence Scale), पिन्टर-पैटरसन परफोरमेन्स स्केल (Pinter- Paterson Performance Scale), मैरिल-पामर ब्लाक बिल्डिंग परीक्षण (Merril Palmer Block Building Test) और पोर्टियस भूल भुलैया परीक्षण (Porteus Maze Test) ।


सामूहिक बुद्धि परीक्षण (Group Intelligence Tests)—

ये वे बुद्धि परीक्षण हैं जो एक समय में अनेक (सैंकड़ों-हजारों) प्रयोज्यों (व्यक्तियों) पर एक साथ प्रशासित किए जा सकते हैं। इन परीक्षणों के प्रशासन में परीक्षणकर्ता को प्रयोज्य से किसी प्रकार के सम्बन्ध स्थापित करने की आवश्यकता नहीं होती। वह स्वयं या अन्य साथियों के माध्यम से बुद्धि परीक्षण को वितरित करा देता है। परीक्षण सम्बनधी निर्देश परीक्षण पर ही मुद्रित होते हैं या उन्हें अलग से मुद्रित कराकर परीक्षण के साथ वितरित करा दिया जाता है ।  

मुख्य परीक्षण - आर्मी एल्फा परीक्षण (Army Alpha Test), बर्ट सामूहिक बुद्धि परीक्षण (Burt's Group Intelligence Test), जलोटा बुद्धि परीक्षण (Jalota's Intelligence Test), रेविन्स प्रोग्रेसिव मैट्रिक्स (Raven's Progressive Matrix), कैटिल कल्चर फ्री परीक्षण (Cattell's Culture Free Test) और आर्मी बीटा परीक्षण (Army Beta Test)।

शाब्दिक बुद्धि परीक्षण (Verbal Intelligence Tests)-

  •  ये वे बुद्धि परीक्षण होते हैं जिनमें प्रश्नों एवं समस्याओं को शब्दों अर्थात् भाषा  के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है ।
  •  प्रयोज्यों (व्यक्तियों) को इनका उत्तर भाषा के माध्यम से ही देना होता है। 
  • इनका निर्माण एवं मानकीकरण करना सरल होता है ।

  • इनके निर्माण में खर्च कम  होता है ।
  • ये छोटे बच्चों की बुद्धि का मापन करने के लिए उपयुक्त नहीं होते। 

    • इनकी वैधता एवं विश्वसनीयता अधिक होती है। 
    • इसके  द्वारा मन्द बुद्धि बच्चों की बुद्धि का मापन सही ढंग से नही किया जा सकता।

    •  इन्हें व्यक्तिगत एवं सामूहिक दोनों रूपों में प्रयोग किया जा सकता है। 
    •  इनका प्रशासन सरलता से किया जा सकता है। 

    •  इनका अंकन वस्तुनिष्ठ होता है।

    • केवल शिक्षित व्यक्तियों पर ही प्रशासित किए जा सकते हैं। 


    अशाब्दिक बुद्धि परीक्षण (Non-Verbal Intelligence Tests)-  

    • ये वे बुद्धि परीक्षण हैं जिनमें प्रश्नों एवं समस्याओं को भाषा में प्रस्तुत न करके बड़े आकार  की वस्तुओं और चित्रों आदि के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है 
    • प्रयोज्यों (व्यक्तियों) को इनका उत्तर यथा क्रियाओं द्वारा देना होता है। ये परीक्षण केवल पेपर-पेन्सिल परीक्षण (Paper - Pencil Tests) के रूप में भी हो सकते हैं, केवल निष्पादन परीक्षण (Performance Tests) के रूप में भी हो सकते हैं और इन दोनों के संयुक्त रूप में भी हो सकते हैं। 
    • कागज-पेन्सिल परीक्षणों में वस्तुगत या चित्रात्मक समस्याएँ मुद्रित रूप में प्रस्तुत की जाती हैं और प्रयोज्य उनका हल पेन्सिल द्वारा करते हैं और निष्पादन परीक्षणों में विभिन्न प्रकार की वस्तुओं को प्रस्तुत कर उन्हें व्यवस्थित कराया जाता है और प्रयोज्य उन्हें यथा क्रम अथवा स्वरूप में व्यवस्थित करते हैं।

    • इनका निर्माण एवं मानकीकरण करना कठिन  होता है ।
    • इनका प्रयोग किसी पर भी किया जा सकता है ।

    • ये छोटे बच्चों एवं  मन्द बुद्धि बच्चों की बुद्धि के  मापन में विशेष उपयोगी होते हैं  ।
    • ये  अधिक वैध एवं विश्वसनीय होते  हैं । 

    • इनका प्रशासन  शिक्षित  एवं अशिक्षित व्यक्तियों  दोनों पर किया जाता है ।
    • इन्हें व्यक्तिगत एवं सामूहिक दोनों रूपों में प्रयोग किया जा सकता है। 

    (3) सामग्री (Tools):- Dr. R.K. Ojha एवं Dr. K. Ray Chaudhary द्वारा निर्मित प्रश्नावली, पेपर, पेंसिल, स्टॉपवॉच आदि।

    (4) प्रतिदर्श/प्रयोज्य परिचय (Sample):- 

    प्रयोज्य का नाम:-     ABC

    पिता का नाम :-.      XYZ

    लिंग : ................................

    आयु: .............................

    शैक्षिक योग्यता : ..............,...............

    संस्था का नाम: ..........................

    (5) नियंत्रण (Control) : -

    • परीक्षण के दौरान कमरे में प्रकाश की उचित व्यवस्था की गई।
    • कमरे का वातावरण शांत रखा गया।
    • प्रयोज्य के शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य का उचित प्रकार से ध्यान रखा गया।
    • बैठने की उचित व्यवस्था की गई।
    • ...............


    (6) निर्देश (Instructions):- प्रयोज्य को उचित स्थान पर बैठाने के पश्चात् उसके साथ सौहार्दपूर्ण व्यवहार स्थापित किया गया। उसके बाद परीक्षण से सम्बन्धित निर्देश दिए गए-

    1. यह एक साधारण बुद्धि परीक्षण है जिसके द्वारा मानसिक योग्यताओं को ज्ञात किया जाता है।   

    2. इस परीक्षण के पूरा करने हेतु आपको केवल 40 मिनट दिए जाएँगे। पूरे परीक्षण में आठ भाग है।

    3. प्रत्येक भाग के लिए निर्धारित समय एवं निर्देश उप-परीक्षण के ऊपर दे दिए गए हैं। आपसे जब यह कहा जाए कि कार्य प्रारम्भ कीजिए तो शीघ्रता से कार्य पूरा करने का प्रयास कीजिये।

    4. प्रारम्भ करने की आज्ञा मिलने से पूर्व किसी भी कार्य को न करिए। किसी भी कथन को, जिसे आप कठिन समझते हैं, उस पर समय व्यतीत मत करिएगा बल्कि अगले कथन का उत्तर दीजिए।

    5. आपको निर्धारित समय में ही प्रत्येक उप-परीक्षण के उत्तर देने हैं। यदि समय से पूर्व ही उप-परीक्षण समाप्त हो जाता है तो भी आगे का कार्य नहीं करना है। जब आपसे कहा जाए कि दूसरे परीक्षण का कार्य प्रारम्भ कीजिए तो पहले परीक्षण को छोड़कर आदेश का पालन कीजिए। 

    6. ध्यान रखिए कि आपको किसी भी  कथन का उत्तर किसी दूसरे से नहीं पूछना है।

    (7) परीक्षण प्रक्रिया (Test Procedure):-

    प्रयोज्य को निर्देश देने के बाद परीक्षण प्रक्रिया आरंभ की गई। इस दौरान प्रयोगकर्ता द्वारा प्रयोज्य का निरीक्षण किया गया। प्रयोज्य इस प्रक्रिया पहले घबराया। फिर प्रयोगकर्ता पुनः उसे निर्देश दिए गए और उसे सामान्य मानसिक स्थिति में लाया गया। परीक्षण के समय प्रत्येक भाग का समय समाप्त होने के बाद प्रयोज्य को रोक दिया गया और दूसरे भाग से आठवें भाग तक ऐसे ही उसका निरीक्षण किया गया

    (8) प्रदत संग्रह एवं परिणाम (Data Collection & Result):-

    शाब्दिक बुद्धि परीक्षण द्वारा प्रयोज्य का परीक्षण लिया गया। इस परीक्षण में आठ भाग हैं प्रत्येक भाग से प्रयोज्य द्वारा दिए गए उत्तरों की गणना की गयी। प्रत्येक सही उत्तर के लिए 1 अंक तथा गलत उत्तर के लिए 0 अंक दिया गया। 

    फलांकन तालिका


    (9) व्याख्या एवं निष्कर्ष (Discussion and Conclusion):- 

    इस परीक्षण प्रक्रिया में प्रयोज्य पर  Dr. R.K. Ojha एवं Dr. K. Ray Chaudhary द्वारा निर्मित शाब्दिक बुद्धि  उपकरण प्रयोज्य पर प्रशासित किया गया। जिसमे प्रयोज्य ने अलग -अलग भागों को मिलाकर कुल ............................ प्राप्तांक प्राप्त किया। इस प्रकार प्रयोज्य का बुद्धि स्तर .............................  प्राप्त हुआ। इसका प्रतिशतांक ................................... है 

    (10) संदर्भ ग्रंथ सूची (Reference):-

    QUESTIONNAIRE

    https://drive.google.com/drive/folders/1iMEBqKhtZ1nQl7rBz0PZocD9m_hKSzdL?usp=share_link

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